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Cancer Treatment: बिना सर्जरी, कीमो या रेडिएशन के ठीक हुए रेक्टल कैंसर के मरीज, इस नई इम्यूनोथेरेपी दवा ने किया कमाल

अमेरिका के मेमोरियल स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर में हुए एक फेज 2 क्लिनिकल ट्रायल में रेक्टल कैंसर से जूझ रहे मरीजों को एक खास इम्यूनोथेरेपी दवा डोस्टारलिमैब (Dostarlimab) दी गई, जिसका अच्छा रिजल्ट सामने आया है.

Cancer Treatment (Representational Image) Cancer Treatment (Representational Image)

अगर हम आपसे कहें कि आने वाले समय में कैंसर का इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी या रेडिएशन के बिना भी संभव हो सकता है तो शायद आप यकीन न करें. लेकिन यह सच है क्योंकि यह बात अमेरिका के मेमोरियल स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर में हुए एक फेज 2 क्लिनिकल ट्रायल में साबित हुई है. इसमें रेक्टल कैंसर से जूझ रहे मरीजों को एक खास इम्यूनोथेरेपी दवा डोस्टारलिमैब (Dostarlimab) दी गई, जिसका अच्छा रिजल्ट सामने आया है. 

क्या हुआ इस ट्रायल में?
ट्रायल में 117 मरीजों को शामिल किया गया. इनमें से 49 को रेक्टल कैंसर था और 54 को अन्य ट्यूमर जैसे पेट, प्रोस्टेट और बड़ी आंत के कैंसर आदि थे. इनमें से इस इम्यूनोथेरेपी दवा से रेक्टल कैंसर वाले सभी 49 मरीज पूरी तरह ठीक हो गए. किसी को सर्जरी, कीमोथेरेपी या रेडिएशन की जरूरत नहीं पड़ी. इलाज के 2 साल बाद भी, इनमें से 96% मरीजों को दोबारा कैंसर नहीं हुआ है. अन्य 54 मरीजों में से 35 भी कैंसर मुक्त पाए गए. सिर्फ 2 मरीजों को सर्जरी की जरूरत पड़ी. इलाज के बाद कुछ मरीजों में ट्यूमर इतना सिकुड़ गया कि वह हल्के स्तर पर आ गया. पूरे ट्रायल में सिर्फ 5 मरीजों में कैंसर दोबारा लौटा. 

क्या खास है इस इलाज में?
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह इलाज हर कैंसर मरीज के लिए नहीं है. यह सिर्फ उन मरीजों पर काम करता है जिनके कैंसर में एक खास "म्यूटेशन" (गड़बड़ी) होता है, जिसे Mismatch Repair Deficiency कहते हैं. यह म्यूटेशन 10% रेक्टल और अन्य ट्यूमर वाले कैंसर मरीजों में पाया जाता है. जब शरीर की सेल्स (कोशिकाएं) DNA की कॉपी बनाती हैं, तो इस प्रक्रिया में हुई गलतियों को सुधारने का एक सिस्टम होता है. जब यह सिस्टम काम नहीं करता, तब गलतियां बढ़ती हैं और कैंसर होने का खतरा ज्यादा होता है. 

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डोस्टारलिमैब दवा कैसे काम करती है?
इम्यूनोथेरेपी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) को एक्टिव करती है ताकि वह कैंसर सेल्स पर हमला करे. डोस्टारलिमैब, शरीर के PD-1 नामक प्रोटीन को रोकता है. यह प्रोटीन आमतौर पर शरीर की T-सेल्स को धीमा कर देता है. जब यह दवा दी जाती है, तो T-सेल्स एक्टिव हो जाती हैं और कैंसर सेल्स पर हमला करती हैं. इस इलाज से शरीर के बाकी स्वस्थ हिस्सों को नुकसान नहीं होता. मरीजों को कोलोस्ट्रॉमी बैग, बांझपन, या इनकॉन्टिनेंस जैसी तकलीफों का सामना नहीं करना पड़ा. ट्रायल में 3 महिलाएं स्वस्थ होने के बाद मां भी बनीं, जो कीमोथेरेपी जैसी विधियों में अक्सर संभव नहीं होता है. 

भारत में भी उपलब्ध है दवा 
हालांकि, यह दवा भारत में भी उपलब्ध है, लेकिन इसकी कीमत सबसे बड़ी समस्या है. एक डोज की कीमत करीब 11,000 डॉलर (लगभग ₹9 लाख) हो सकती है, जो आम लोगों की पहुंच से बाहर है. यह इम्यूनोथेरेपी उन मरीजों के लिए नई उम्मीद है जिनके कैंसर में खास म्यूटेशन है. इससे भविष्य में कैंसर का इलाज अधिक आसान, सुरक्षित और व्यक्तिगत (पर्सनलाइज्ड) हो सकता है.