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White Rice Side Effects: रोजाना करते हैं चावल का सेवन तो कर दें बंद, हो सकती है दिल की बीमारी

शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक अध्ययन में पाया है कि रिफाइंड चावल के सेवन करने से हृदय रोग होने की जोखिम बढ़ जाती है. साथ ही रोजाना सफेद चावल खाना उतना ही दिल के लिए जोखिम भरा है जितना जंक फूड या कैंडी का सेवन करना है. हम यहां आपको रिफाइंड चावल का सेवन करना दिल के लिए कितना जोखिम भरा है, उसके बारे में बता रहे हैं.

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हाइलाइट्स
  • धमनियों में ब्लॉकेज होने का खतरा

  • साबुत अनाज का सेवन करके कम किया जा सकता है

रोजाना अधिकांश लोग रोटी और चावल का सेवन करते हैं. इतना ही नहीं उनके रोनाजा के डाइट में भी यह शामिल होता है. वहीं देश में सफेद चावल का सेवन देश के कई हिस्सों में प्रचुर मात्रा में किया जाता है. साथ ही इसे सेहत के प्रतिकूल भी नहीं माना जाता है. इस सफेद चावल को हाल में हुए एक शोध में हृदय रोगों के लिए जोखिम माना गया है. डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार हाल में हुए एक शोध में रोजाना सफेद चावल का सेवन करना उतना ही दिल के जोखिम भरा है जितना जंक फूड का सेवन करना. 

रोजाना चावल का सेवन करने से हार्ट पर ऐसे पड़ता है असर
हृदय रोग विशेषज्ञों के अनुसार जितना शुगर के सेवन से दिल पर असर पड़ता है उतना ही रोजाना चावल का सेवन करने से हृदय रोग होने का खतरा बना रहता है. इसलिए जो लोग चावल का सेवन अधिक करते हैं उन्हें अपने दिल के सेवन पर उतना ही ध्यान देना चाहिए. हृदय रोग विशेषज्ञों के अनुसार बहुत अधिक मात्रा में रिफाइंड अनाज खाने से कोरोनरी धमनी की बीमारी होने का खतरा बना रहता है. जो दुनिया भर में मौत का एक प्रमुख कारण है. अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी और अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने अपने एक अध्ययन में बताया है कि रिफाइंड अनाज का अधिक सेवन करने से हृदय रोग होने का खतरा अधिक होता है. इस खतरे को साबुत अनाज का सेवन करके कम किया जा सकता है. 

रिफाइंड चावल के सेवन से होता है ये नुकसान
जब साबुत अनाज को रिफाइंड किया जाता है तो उसकी बनावट तो बदलती ही है साथ ही उसे एक लंबी शेल्फ लाइफ देता है. लेकिन चावल को रिफाइंड करने पर उसके प्रमुख पोषक तत्व खत्म हो जाते है. वहीं जब हम रिफाइंड चावल का सेवन करते हैं तो हमारा ब्लड शुगर का लेवल बढ़ता है. जिसके परिणाम स्वरूप रक्त वाहिकाओं और हृदय को नियंत्रित करने वाली नसों को नुकसान पहुंचा सकता है. इसके चलते आपको प्लेक हो सकता है. जिससे धमनियों में ब्लॉकेज होने लगती है. जिसके कारण पीसीएडी होने का खतरा बढ़ जाता है.