
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में एक महीने के अंदर किडनी फेल होने के कारण 9 मासूम बच्चों की मौत हो गई. शुरुआत में ये मामूली सर्दी और बुखार के मामले लग रहे थे, लेकिन जांच में पता चला कि बच्चों को किडनी फेल होने के कारण अस्पताल में लाया गया.
स्वास्थ्य अधिकारियों को संदेह है कि यह मौतें टॉक्सिक खांसी की दवा (cough syrup) से संबंधित हो सकती हैं. राजस्थान के सीकर जिले में भी कुछ दिन पहले इसी तरह की मौतें हुई थीं.
मृत बच्चों ने पिया था खांसी का सिरप
मृत बच्चों में कम से कम पांच ने Coldref syrup और एक ने Nextro syrup लिया था. इसके बाद राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन (RMSCL) ने 19 बैच की बिक्री और वितरण पर रोक लगा दी. स्वास्थ्य विभाग ने माता-पिता, डॉक्टर और मेडिकल ऑपरेटर्स को सतर्क रहने के लिए चेतावनी जारी की है.
परासिया उप-जिला मजिस्ट्रेट शुभम यादव ने बताया कि जिले में 1,420 बच्चों की लिस्ट बनाई गई है, जो जुकाम, बुखार और फ्लू जैसे लक्षण दिखा रहे हैं. किसी भी बच्चा जो दो दिन से अधिक बीमार है, उसे सिविल अस्पताल में छह घंटे की निगरानी में रखा जाता है. हालत बिगड़ने पर जिला अस्पताल भेजा जाता है. स्थिर होने पर बच्चे को घर भेजा जाता है और आशा वर्कर्स लगातार मॉनिटरिंग करते हैं.
स्वास्थ्य अधिकारियों ने पानी और मच्छर से जुड़े परीक्षण कराए, जिनमें कोई अनियमितता नहीं पाई गई. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलाॅजी में भेजे गए नमूने भी सामान्य पाए गए. हालांकि CSIR के माध्यम से पानी के नमूनों की रिपोर्ट अभी आनी बाकी है.
निजी डॉक्टरों के लिए दिशा-निर्देश
स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टरों को निर्देश दिए हैं कि किसी भी वायरल मरीज का इलाज सिविल अस्पताल में किया जाए, निजी इलाज न करें. यह कदम संभावित संक्रमण और मौत के मामलों को रोकने के लिए उठाया गया है.
राष्ट्रीय निगरानी एजेंसी की कार्रवाई
नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) ने मध्यप्रदेश और राजस्थान के अस्पतालों से पानी और दवा के नमूने जुटाए हैं. इन नमूनों का परीक्षण किया जाएगा ताकि किसी संक्रामक बीमारी की संभावना को खत्म किया जा सके. परिणाम मिलने के बाद राज्य दवा प्राधिकरणों को सूचित किया जाएगा.
सरकार ने जांच के लिए कमेटी बनाई
राजस्थान सरकार ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यों की कमेटी बना दी है. इस कंपनी की खांसी वाली दवा पर भी पाबंदी लगा दी है, लेकिन चिंता की बात ये है कि इसी कंपनी का खांसी का एक दूसरा सिरप भी पहले बैन होने के बावजूद इसी कंपनी को दोबारा काम दे दिया गया था.
किस काम आता है ये सिरप
भारत में Coldref और Nextro सिरप का इस्तेमाल आमतौर पर सर्दी, बुखार, और खांसी जैसे लक्षणों के उपचार के लिए किया जाता है. ये सिरप आमतौर पर क्लोरफेनीरामाइन मेलिएट, फेनाइलफ्राइन, पैरासिटामोल, और सोडियम साइट्रेट जैसे संघटक होते हैं, जो एलर्जी, नाक की जकड़न, बुखार, और खांसी में राहत दिलाते हैं.
मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में इन सिरपों के सेवन से बच्चों की मौतों की घटनाएं सामने आई हैं. जांच में पाया गया कि इन सिरपों में डाईथिलीन ग्लाइकोल (diethylene glycol) जैसे विषैले रसायन की मौजूदगी पाई गई है, जो किडनी फेलियर का कारण बन सकते हैं.