Represtative Image
Represtative Image हाल ही में पाया गया कोविड -19 का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन (New Covid Variant Omicron), जिसका पहला केस दक्षिण अफ्रीका के बोत्स्वाना में मिला था, पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बन गया है. यह वेरिएंट 30 से ज्यादा बार म्यूटेट कर सकता है जो इसे बाकी वेरिएंट्स की तुलना में अधिक खतरनाक बनाता है. इससे भारत में भी डर का माहौल पैदा हो गया है और कई राज्यों ने अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए नए दिशानिर्देश भी जारी कर दिए हैं. इस वक्त लोगों के दिमाग में घूम रहा सबसे बड़ा सवाल है कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन इस वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी होंगे या नहीं.
ओमिक्रॉन के खिलाफ हॉस्पिटलाइज़ेशन से बचा सकते हैं भारतीय वैक्सीन
इस विषय में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के एपिडेमियोलॉजी और कम्युनिकेबल डिज़ीज डिवीज़न के पूर्व प्रमुख और सीनियर साइंटिस्ट रमन गंगाखेडकर का कहना है, “ये संभव है कि नया वेरिएंट(ओमिक्रॉन) वैक्सीन एफिकैसी के लिए खतरा साबित हो सकता है. लेकिन हम जानते हैं कि हमारे वैक्सींस हमें हॉस्पिटलाइज़ेशन और मौत के खतरे से बचाते हैं और हो सकता है कि वो हमें ओमिक्रॉन के विरुद्ध भी सुरक्षा प्रदान करें. इसलिए हमें वैक्सीन की दोनों डोज लेने चाहिए और कोविड उपयुक्त व्यवहार अपनाना चाहिए”.
नैचुरल इंफेक्शन भविष्य में किसी भी वेरिएंट से लड़ने में करता है मदद
रमन गंगाखेडकर SARS-CoV2 जैसे महामारी फैलाने वाले पैथोजेंस के ओरिजिन का पता लगाने वाली 26 लोगों की टीम के एक सदस्य हैं. एक और सीनियर क्लीनिकल एपिडेमियोलॉजिस्ट अमिताभ बनर्जी ने इस बारे में कहा कि भारत के अधिकतर लोग इस बीमारी से संक्रमित हो चुके हैं और नैचुरल इंफेक्शन में वायरस के पूरे हिस्से का बॉडी के इम्यून सिस्टम से एनकाउंटर होता है. ऐसे में टी-सेल्स को वायरस या वायरस के किसी भी स्ट्रेन को पहचानने और उससे लड़ने में मदद मिलती है. कुछ दिनों पहले ICMR के एपिडेमियोलॉजी और कम्युनिकेबल डिज़ीज डिवीज़न के प्रमुख, डॉ समीरन पांडा ने भी इस विषय में टिप्पणी की थी.