
World Running Day: हर साल जून के पहले बुधवार को ग्लोबल रनिंग डे मनाया जाता है, और 2025 में ये 4 जून को होगा. ये दिन दौड़ने की खुशी को सेलिब्रेट करता है और बताता है कि दौड़ना न सिर्फ़ शरीर को फिट रखता है, बल्कि दिमाग को भी तरोताज़ा करता है. दौड़ना मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए गज़ब है. इसके पीछे की साइंस भी उतनी ही मज़ेदार है. आइए समझते हैं कि दौड़ना आपके दिमाग और शरीर के स्वास्थ्य के लिए कैसे अच्छा है.
1. दिल और फेफड़ों की मज़बूती (कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ)
दौड़ना एक एरोबिक एक्सरसाइज़ है. यानी ये ऑक्सीजन का इस्तेमाल करके शरीर को एनर्जी देता है. जब एक इंसान दौड़ता है तो दिल तेज़ी से धड़कता है. इससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है. साइंस कहती है कि रेगुलर रनिंग से हार्ट की मसल्स मज़बूत होती हैं. ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है. कोलेस्ट्रॉल भी कम होता है. अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक, हफ्ते में 150 मिनट मॉडरेट रनिंग से हार्ट अटैक का खतरा 30-40% तक घटता है. साथ ही फेफड़े ज़्यादा ऑक्सी फायदे लेते हैं जिससे सांस लेने की क्षमता बढ़ती है.
2. मेटाबॉलिज़्म में हो जाता है जादू
दौड़ने से कैलोरी तेज़ी से बर्न होती है. मिसाल के तौर पर, 70 किलो का इंसान 30 मिनट में करीब आठ किमी/घंटा की दौड़ में 300-400 कैलोरी जला सकता है. साइंस की बात करें तो दौड़ने से मेटाबॉलिक रेट बढ़ता है यानी शरीर रेस्ट में भी ज़्यादा कैलरी बर्न करता है. ये इंसुलिन सेंसिटिविटी को भी बेहतर करता है जिससे डायबिटीज़ का खतरा कम होता है. मसल्स और हड्डियां भी मज़बूत होती हैं क्योंकि दौड़ने से बॉडी में कैल्शियम अब्सॉर्प्शन बढ़ता है.
3. स्ट्रेस भगाए, खुशी लाए
दौड़ने से दिमाग में एंडॉर्फिन्स और सेरोटोनिन जैसे “फील-गुड” हॉर्मोन्स रिलीज़ होते हैं. ये हॉर्मोन्स स्ट्रेस, चिंता और डिप्रेशन को कम करते हैं. न्यूरोसाइंस की एक स्टडी बताती है कि रेगुलर एरोबिक एक्सरसाइज़ (जैसे दौड़ना) दिमाग में बीडीएनएफ (Brain-Derived Neurotrophic Factor) बढ़ाता है. यह न्यूरॉन्स की ग्रोथ और मेंटल हेल्थ को सपोर्ट करता है. आसान भाषा में कहें तो दौड़ने से तनाव भूलकर इंसान रिलैक्स महसूस करता है.
4. नींद और फोकस में सुधार
दौड़ने से बॉडी का सर्कैडियन रिदम (स्लीप साइकिल) रेगुलेट होता है. साइंस कहती है कि एक्सरसाइज़ से मेलाटोनिन हॉर्मोन का प्रोडक्शन बेहतर होता है जो गहरी नींद में मदद करता है. साथ ही दौड़ने से दिमाग में ऑक्सीजन और ब्लड फ्लो बढ़ता है. इससे मेमोरी, फोकस, और डिसीजन-मेकिंग पावर बेहतर होती है. यानी, सुबह की जॉगिंग इंसान को दिनभर चुस्त और दुरुस्त रखती है.
5. बढ़ता है कॉन्फिडेंस
दौड़ने से डोपामाइन रिलीज़ होता है जो मोटिवेशन और रिवॉर्ड का सेंस देता है. जब एक इंसान पांच हज़ार या 10 हज़ार स्टेप्स जैसे गोल्स पूरे करता है तो दिमाग में “मैं कर सकता हूं” वाला फील आता है. साइकोलॉजी में इसे सेल्फ-एफिकेसी कहते हैं, जो आत्मविश्वास और मेंटल ताकत बढ़ाता है. ये ज़िंदगी के दूसरे चैलेंजेस से निपटने में भी मदद करता है.
6. लंबी उम्र का बोनस
लैंसेट जर्नल की एक स्टडी के मुताबिक, हफ्ते में 50 मिनट दौड़ने वाले लोगों की लाइफ एक्सपेक्टेंसी 3-5 साल तक बढ़ सकती है. दौड़ना इम्यून सिस्टम को बूस्ट करता है, इन्फ्लेमेशन कम करता है और ओवरऑल हेल्थ को बेहतर बनाता है.
दौड़ना शरीर को फिट और दिमाग को कूल रखने का साइंस-बैक्ड तरीका है. यह दिल, दिमाग, फेफड़ों और शरीर के कई हिस्सों को ताकत देता है. साथ ही स्ट्रेस को भगाकर खुशी और कॉन्फिडेंस लाता है. इसलिए रनिंग को किसी न किसी हद तक अपनी ज़िन्दगी में शामिल ज़रूर करें.