
आजकल की पीढ़ी न सिर्फ अपनी पढ़ाई-खेल बल्कि आसपास के समाज के प्रति जागरूक हैं. स्कूल भी छात्रों को समाज की समस्याओं को न सिर्फ समझने बल्कि इनका हल निकालने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. गुरुग्राम के शिव नादर स्कूल में पढ़ने वाले प्रनेत खैतान ने भी इसी तरह एक समस्या का हल तलाशा है. 11वीं कक्षा के छात्र प्रनेत ने लकवाग्रस्त मरीजों के लिए एक डिवाइस, Paraspeak बनाया है जो उनकी बात को आसानी और स्पष्टता से दूसरे लोगों तक पहुंचा सकता है.
Paraspeak क्या है?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, Paraspeak एक छोटी, पहनने योग्य डिवाइस है जो स्लर की हुई आवाज़ (slurred speech) को पहचानकर उसे स्पष्ट, समझने योग्य आवाज़ में बदल देती है.
प्रनेत को कैसे आया आइडिया?
प्रनेत को यह विचार तब आया जब उन्हें स्कूल की तरफ से एक बार पैरालिसिस केयर सेंटर में जाने का मौका मिला. वहां उन्होंने देखा कि मरीजों को बातचीत करने में बहुत मुश्किल होती है क्योंकि पैरालिसिस अटैक की वजह उन्हें बोलने में बहुत परेशानी होती है. उसी समय उन्हें लगा कि क्या मशीन लर्निंग आधारित कोई सिस्टम ऐसा नहीं हो सकता जो उनकी बात को समझ सके?”
Paraspeak किस तकनीक पर आधारित है?
Paraspeak डिवाइस ट्रांसफॉर्मर आर्किटेक्चर पर आधारित है वही तकनीक जो ChatGPT और Claude जैसे एआई मॉडल्स को पावर करती है. इसे खासतौर पर स्पीच रिकग्निशन (Automatic Speech Recognition- ASR) के लिए अनुकूलित किया गया है.
डिसआर्थ्रिया क्या होता है?
डिसआर्थ्रिया (Dysarthria) एक मोटर स्पीच डिसऑर्डर है, जिसमें व्यक्ति की मांसपेशियां आवाज़ स्पष्ट रूप से नहीं बना पाती हैं. यह लकवे, पार्किंसन, ALS, COPD जैसी बीमारियों से जुड़ा होता है. इसमें मरीज सोच और समझ में पूरी तरह सक्षम होते हैं, बस वे ठीक से बोल नहीं पाते.
खेतान ने बताया कि डिसआर्थ्रिक स्पीच के लिए अंग्रेज़ी में कुछ रिसर्च थी, लेकिन हिंदी में न तो कोई मॉडल था, न ही कोई डेटासेट. Paraspeak भारत का पहला ओपन-सोर्स ASR फ्रेमवर्क है जो हिंदी डिसआर्थ्रिक स्पीच के लिए बनाया गया है. खेतान ने खुद NGO और केयर सेंटर्स में जाकर 28 मरीजों से 42 मिनट की रिकॉर्डिंग इकट्ठा की. फिर उन्होंने डेटा ऑगमेंटेशन से इसे 20 घंटे के ट्रेनिंग डेटा में बदला.
डिवाइस कैसे काम करता है?
Paraspeak की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं?
क्या डिवाइस का ट्रायल हुआ है?
Paraspeak को कई मरीजों जैसे कि पैरालिसिस, पार्किंसन, COPD, और जन्मजात बीमारियों वाले मरीजों पर सफलतापूर्वक टेस्ट किया गया है. Paraspeak को Regeneron ISEF 2025 (Ohio, USA) में सराहा गया और भारत के IRIS National Fair में भी मान्यता मिली.
डिसआर्थ्रिया कितने लोगों को प्रभावित करता है?
प्रनेत खेतान को असिस्टिव टेक्नोलॉजी में बहुत रुचि है. वह चाहते हैं कि टेक्नोलॉजी का उपयोग कर वह लोगों की जिंदगी में बदलाव ला सकें.
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