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नींद पूरी नहीं होती? फैटी लीवर का हो सकता है खतरा! स्लीप साइकल 7 घंटे से कम हो तो शरीर को हो सकते हैं कई नुकसान

नींद स्वास्थ्य का एक बुनियादी स्तंभ है, जो संज्ञानात्मक कार्य से लेकर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया तक सब कुछ प्रभावित करती है. हालांकि, नींद की कमी के कम ज्ञात लेकिन महत्वपूर्ण परिणामों में से एक चयापचय, शरीर में वसा संचय और कोलेस्ट्रॉल के स्तर पर इसका प्रभाव है। अनुसंधान तेजी से अपर्याप्त नींद और चयापचय विकारों, जिसमें मोटापा, डिस्लिपिडेमिया (असामान्य कोलेस्ट्रॉल स्तर) और फैटी लीवर रोग शामिल हैं, के बीच एक मजबूत संबंध की ओर इशारा करता है.

Sleep Deprivation Affects Body Fat Sleep Deprivation Affects Body Fat
हाइलाइट्स
  • अच्छी नींद न लेने से लिवर सिरोसिस का खतरा

  • फैटी लिवर के लिए स्लप सायकल जिम्मेदार

फैटी लिवर आजकल की सबसे कॉमन प्रॉब्लम है. हर 5 में से 2 इंसान फैटी लिवर की समस्या से जूझ रहा है. आमतौर पर माना जाता है कि ज्यादा कैलोरी खाने से लिवर में चर्बी जमने लगती है और फैटी लिवर की रूप ले लेती है. यानी कि ऐसी स्थिति जब लिवर में सामान्य से ज्यादा फैट जमा हो जाए.

आपको जानकर हैरानी होगी कि फैटी लिवर का सीधा संबंध आपके स्लीप सायकल से भी है. यानी आप कितने घंटे की नींद ले रहे हैं..ये आपकी लिवर की गुड और बैड दोनों हेल्थ के लिए जिम्मेदार हो सकता है.

फैटी लिवर के लिए स्लप सायकल जिम्मेदार
नींद की कमी शरीर के हार्मोनल बैलेंस को बिगाड़ देती है, जिससे वजन बढ़ता है और चर्बी जमा होने लगती है. प्रभावित होने वाले दो प्राथमिक हार्मोन हैं घ्रेलिन, जो भूख बढ़ाता है और लेप्टिन, जो मस्तिष्क को तृप्ति का संकेत देता है. जब कम जरूरत से कम नींद लेते हैं, तो घ्रेलिन का स्तर बढ़ जाता है और लेप्टिन का स्तर गिर जाता है, जिससे भूख और कैलोरी की खपत बढ़ जाती है. घ्रेलिन भूख बढ़ाने वाला हार्मोन है जबकि लेप्टिन दिमाग को सेटिस्फेक्शन का मैसेज भेजता है. लेप्टिन भूख को कंट्रोल करने और एनर्जी बैलेंस को बनाए रखने में मदद करता है. लेप्टिन का स्तर कम होने से भूख ज्यादा लगती है.

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अच्छी नींद न लेने से लिवर सिरोसिस का खतरा
लगातार नींद की कमी शरीर की इंसुलिन संवेदनशीलता को डिस्टर्ब करती है. इंसुलिन ब्लड शुगर के लेवल को रेगुलेट करता है और जब कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी हो जाती हैं, तो एक्सट्रा ग्लूकोज शरीर में फैट के रूप में जमा हो जाता है. अध्ययनों से पता चलता है कि नींद की कमी से आंत की चर्बी बढ़ सकती है. लंबे समय तक अच्छी नींद न लेने से लिवर सिरोसिस का खतरा बढ़ सकता है.

जर्नल ऑफ हेपेटोलॉजी के मुताबिक, दुनियाभर में करीब 38 फीसदी लोग फैटी लिवर की समस्या से पीड़ित हैं.

फैटी लिवर होने पर क्या खाएं क्या नहीं

फैटी लिवर के मरीजों को पत्तेदार सब्जियां, खासकर पालक खाना चाहिए. पालक में नाइट्रेट और पॉलीफिनोल्स होते हैं जो नॉन अल्कोहोलिक फैटी लिवर का रिस्क कम करते हैं.

फैटी लिवर के मरीजों को गेहूं के आटे के बजाय मोटा अनाज खाना चाहिए. रागी में ढेर सारा फाइबर, विटामिन और मिनेरल्स होते हैं जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल को घटाता है और फैटी लिवर ठीक करने में मदद करता है.

फैटी लिवर के मरीजों को पिज़्ज़ा, रेड मीट और फ्राइड फूड को हाथ भी नहीं लगाना चाहिए. इनमें ढेर सारा फैट और कैलरीज होती है जो लिवर के लिए सही नहीं है.

अच्छी नींद के लिए क्या करें
हर रात 7-9 घंटे की अच्छी नींद लेने की कोशिश करें. सोने से एक घंटे पहले फोन का इस्तेमाल बंद कर दें.

सोने से पहले नीली रोशनी का संपर्क कम करें, बेडरूम को अंधेरा और ठंडा रखें. सोने के लिए आरामदायक गद्दे और तकिए खरीदें.

प्रोसेस्ड फूड, रिफाइंड शुगर परिष्कृत शर्करा और सेचुरेटेड फैट को डाइट से बाहर निकाल दें.

शारीरिक गतिविधि इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करती है, बेहतर नींद की गुणवत्ता को बढ़ावा देती है. इसलिए रोजाना वर्क आउट करें.

तनाव से नींद में गड़बड़ी और हार्मोन असंतुलन हो सकता है, जिससे वजन बढ़ता है और कोलेस्ट्रॉल का स्तर खराब होता है. माइंडफुलनेस अभ्यास, ध्यान और विश्राम तकनीकें मदद कर सकती हैं.