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Indian cough syrup to be tested before export: अब एक्सपोर्ट करने से पहले अनिवार्य होगी कफ सिरप की टेस्टिंग, सरकार ने जारी किया नोटिस

भारत सरकार ने फार्मास्यूटिकल उद्योग के लिए एक खास नोटिस जारी किया है जिसके मुताबिक, अब किसी भी दवा कंपनी को कफ सिरप एक्सपोर्ट करने से पहले सरकारी लैब्स से टेस्टिंग करानी होगी.

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हाइलाइट्स
  • तीन भारतीय कंपनियों पर उठा था सवाल 

  • साल सरकारी प्रयोगशालाओं में होगी जांच 

कुछ समय पहले ही, गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में कफ सीरप पीने से दर्जनों बच्चों की मौत से भारत में बवाल मच गया था. क्योंकि ये कफ सीरप भारत से एक्सपोर्ट किए गए थे. इस घटना के बाद भारत सरकार ने हाल ही में एक अहम फैसला लिया है. सरकार निर्यात से पहले कफ सिरप के लिए परीक्षण को अनिवार्य करने जा रही है.

मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक नोटिस जारी कर कहा कि किसी भी खांसी की दवाई के निर्यात से पहले सरकारी प्रयोगशाला द्वारा जारी विश्लेषण का प्रमाण पत्र होना चाहिए और यह नियम 1 जून से प्रभावी होगा.  

तीन भारतीय कंपनियों पर उठा था सवाल 
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत का 41 बिलियन डॉलर का फार्मास्युटिकल उद्योग दुनिया में सबसे बड़ा है, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा तीन भारतीय कंपनियों द्वारा बनाए गए कफ सिरप में विषाक्त पदार्थ पाए जाने के बाद इसकी प्रतिष्ठा हिल गई थी. 

इनमें से दो कंपनियों द्वारा बनाए गए सिरप के कारण पिछले साल गांबिया में 70 और उज्बेकिस्तान में 19 बच्चों की मौत होने का मामला सामने आया था. जिसके बाद, अब व्यापार मंत्रालय द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है, "खांसी की दवाई को एक्सपोर्ट सैंपल के परीक्षण और विश्लेषण के प्रमाण पत्र के उत्पादन के अधीन निर्यात करने की अनुमति दी जाएगी."

साल सरकारी प्रयोगशालाओं में होगी जांच 
हालांकि, अभी इस बात का स्वास्थ्य मंत्रालय ने जवाब नहीं दिया है कि क्या घरेलू बाजार में बिकने वाले कफ सिरप के लिए परीक्षण की आवश्यकता होगी. नोटिस में सात सरकारी प्रयोगशालाओं के बारे में बताया गया है जहां सैंपल्स परीक्षण के लिए भेजे जा सकते हैं और राष्ट्रीय मान्यता निकाय द्वारा प्रमाणित राज्य प्रयोगशालाओं में भी टेस्टिंग हो सकती है. 

गाम्बिया में मैडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड द्वारा बनाई गई खांसी की दवाई का इस्तेमाल हुआ था. हालांकि, इस कंपनी के सिरप के भारतीय परीक्षण में कोई टॉक्सिन नहीं पाया गया है. लेकिन मैरियन बायोटेक की कई दवाओं में टॉक्सिन पाए गए, जिनके सिरप उज्बेकिस्तान में मौतों से जुड़े थे.

रॉयटर्स ने पिछले सप्ताह बताया कि भारत अपनी दवा उद्योग नीति में बदलाव पर विचार कर रहा है, जिसमें खांसी की दवाई के साथ-साथ दवाओं के लिए कच्चे माल का परीक्षण भी शामिल है.