Navy personnel trying to take picture
Navy personnel trying to take picture मेंटल हेल्थ हमेशा से ही बहुत गंभीर समस्या रही है. भारत में इसके आंकड़े और भी चौंकाने वाले हैं. WHO के मुताबिक भारत में हर साल एक लाख लोगों में से 16 लोग Depression से लड़ते-लड़ते आत्महत्या कर लेते हैं. हैरान करने वाली बात ये है कि हर 7 में से 1 व्यक्ति depression का शिकार है. लेकिन चिंता की बात ये है कि हमारे जवान भी इस बिमारी से अछूते नहीं है. देश की रक्षा में हर दिन हर पल सीमा पर डटे भारतीय जवानों में भी डिप्रेशन की समस्या देखी गई है और यही वजह है कि जवानों को तरोताजा और दिमागी रुप से सुरक्षित रखने के लिए मेंटल हेल्थ से जुड़े प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं. हाल ही में भारतीय नौसेना एक नया प्रोग्राम लेकर आई है जिससे सैनिकों को दिमागी बिमारी से दूर रखा जाएगा.
अच्छी खबर ये है कि इनके तनाव के निदान के लिए एक नया प्रोग्राम लॉन्च किया गया है. जवानों को तनाव से दूर रखने के लिए भारतीय नौसेना ने IN-SMART प्रोग्राम को लॉन्च किया है. अधिकारियों का मानना है कि इस पहल से डिप्रेशन के शिकार हो रहे जवानों को आत्महत्या के रास्ते से बचाया जा सकेगा. इसके जरिए उनको खुश रहने और तरोताजा रहने के गुर सिखाने की तैयारी है.
क्या है ये प्रोग्राम?
इस प्रोग्राम के तहत जवानों की काउंसलिंग की जाएगी. उनकी हर समस्या को सुना जाएगा. हर परेशानी का इलाज किया जाएगा और इसके साथ ही उनका तनाव दूर करके उन्हें खुश रहने का मंत्र भी दिया जाएगा. राज्यसभा में राज्य रक्षा मंत्री अजय भट्ट ने हाल ही में ये जानकारी दी कि आर्मी के अंदर तनाव कम करने वाले सेशन करवाए जाते हैं. आर्मी के अलावा भारतीय नौसेना ने भी अपने जवानों की सेहत का ध्यान रखते हुए IN-SMART की शुरुआत की है.
कैसे ये प्रोग्राम जवानों के लिए मददगार साबित होगा?
इस प्रोग्राम के तहत जवानों के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है जो नेवी के जवानों की हर पल मदद करने के लिए उपलब्ध रहेगा. INHS Asvini पर कार्यरत जवान और ऑफिसर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा नेवल स्टेशनों पर काउंसलिंग की भी पूरी सुविधा दी गई है.
सरकार कर रही हर संभव कोशिश
देश में बढ़ती दिमागी बिमारी के लिए सरकार हर संभव कोशिश कर रही है. मेंटल हेल्थ के लिए जहां वित्त वर्ष 2019-20 के बजट में 2 करोड़ 51 लाख रुपए का आवंटन किया गया था. वहीं इस वित्त वर्ष सरकार ने इस बजट को और बढ़ाया. राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम के तहत 40 करोड़ का बजट रखा गया. कुल केंद्रीय मानसिक स्वास्थ्य सेवा आवंटन में 670 करोड़ का बजट रखा गया है. जाहिर है सरकार मानसिक स्वास्थ्य पर काम कर रही है. लेकिन इस बिमारी को जड़ से हटाने के लिए हर व्यक्ति को खुद काम करना होगा. ये हम इसलिए बोल रहे हैं क्योंकि आत्महत्या बड़ी समस्या बनती जा रही है और ये केवल आम लोगों में नहीं हो रहा. देश की सुरक्षा में तैनात आर्मी, वायुसेना और नौसेना के जवानों में सुसाइड की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है.
पिछले पांच सालों में बढ़े आत्महत्या के मामले
राज्यसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए राज्य रक्षा मंत्री अजय भट्ट ने जानकारी देते हुए बताया कि पिछले पांच सालों में तीनों सेनाओं के 819 जवानों ने आत्महत्या कर ली है, जिसमें सबसे ज्यादा आत्महत्या के मामले आर्मी में देखने को मिले. पिछले पांच सालों में आर्मी के 642 जवानों ने अपनी जिंदगी खत्म कर ली. वहीं वायुसेना के 148 जवानों ने सुसाइड किया और नेवी के भी 29 जवानों ने आत्महत्या की. ये मामले तब हैं जब सरकार पहले ही 2009 से तनाव और सुसाइड की बढ़ती घटनाओं को कम करने के लिए काम कर रही है कई तरीके के प्रोग्राम चला रही है. इस बढ़ती समस्या को काबू में लाने के लिए और प्रोग्राम चलाने की योजनाएं बनाई जा रही हैं. डॉक्टर्स का भी मानना है कि पिछले कई वर्षों में depression का शिकार होने वाले लोगो की संख्या बढ़ी है जो भविष्य के लिए खतरे की घंटी है.