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Nepal First Breast Milk Bank: मां का दूध नहीं, फिर भी नवजात को मिलेगा जीवनदान, कई सौ बच्चों की जिंदगी बदल रहा यह ब्रेस्ट मिल्क बैंक!

ब्रेस्ट मिल्क में एंटीबॉडीज, विटामिन, और पोषक तत्व होते हैं, जो बच्चों को संक्रमण और कुपोषण से बचाते हैं. यह दस्त, निमोनिया, और अन्य बीमारियों से लड़ने की ताकत देता है. प्रीमेच्योर बच्चों के लिए यह दिमागी विकास को तेज करता है और हृदय व फेफड़ों को मजबूत करता है.

Nepal First Breast Milk Bank Nepal First Breast Milk Bank

क्या आपने कभी सुना कि मां का दूध न होने पर भी नवजात बच्चे जिंदगी की जंग जीत सकते हैं? नेपाल में एक ऐसी क्रांति हो रही है, जो हजारों मासूमों की जान बचा रही है! नेपाल का पहला ब्रेस्ट मिल्क बैंक ‘अमृत कोष’ हर उस बच्चे के लिए वरदान बन गया है, जो समय से पहले जन्मे हैं या जिनका वजन कम है. यह आकाशी अमृत उन मांओं के दान से तैयार होता है, जो अपने दूध से अनजान बच्चों को जीवन दे रही हैं. 

नेपाल की राजधानी काठमांडू में परोपकार मैटरनिटी एंड वुमेन्स हॉस्पिटल में 2022 में शुरू हुआ अमृत कोष देश का पहला ह्यूमन मिल्क बैंक है. UNICEF, नेपाल सरकार, और यूरोपियन यूनियन के सहयोग से शुरू यह पहल हर महीने 500 नवजात बच्चों को मां का दूध उपलब्ध करा रही है. खासकर उन बच्चों को, जो प्रीमेच्योर (समय से पहले जन्मे), कम वजन वाले, या गंभीर रूप से बीमार हैं. ब्रेस्ट मिल्क नवजातों के लिए सर्वश्रेष्ठ पोषण है, जो उनकी इम्यूनिटी को मजबूत करता है और मस्तिष्क विकास में मदद करता है.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, सरीता खत्री तमांग जैसी मांएं, जो सिजेरियन डिलीवरी के बाद स्तनपान नहीं कर पा रही थीं, अब अपने बच्चों को अमृत कोष के जरिए दूध दे पा रही हैं. दूसरी मांएं, जैसे सुशीला नगरकोटी, इस मिल्क बैंक में दूध दान करके अनजान बच्चों की जान बचा रही हैं. यह कंगारू मदर केयर यूनिट का हिस्सा है, जहां मां और बच्चे को एक साथ रखकर उनकी देखभाल की जाती है.

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क्यों जरूरी है ब्रेस्ट मिल्क बैंक?
दुनियाभर में हर साल 1.5 करोड़ बच्चे समय से पहले जन्म लेते हैं. नेपाल जैसे देश में हर साल 81,000 प्रीमेच्योर जन्म होते हैं. ऐसे बच्चे पहले महीने में मृत्यु के सबसे ज्यादा जोखिम में होते हैं. स्तन दूध इन बच्चों के लिए जीवन रक्षक दवा की तरह है. नेपाल स्वास्थ्य मंत्रालय के डॉ. बिबेक कुमार लाल बताते हैं, “मां का दूध शिशु की सेहत और दिमागी विकास के लिए सबसे बेहतर है. यह मां और बच्चे, दोनों के लिए आजीवन फायदेमंद है.”

पहले 6 महीने तक केवल स्तनपान से 13% बच्चों की मृत्यु को रोका जा सकता है. अगर बच्चे को जन्म के पहले घंटे में दूध पिलाया जाए, तो 22% नवजात मृत्यु टाली जा सकती है. अमृत कोष उन बच्चों को यह मौका देता है, जिनकी मांएं किसी कारणवश स्तनपान नहीं कर पातीं.

कैसे काम करता है अमृत कोष?
अमृत कोष एक एकीकृत लैक्टेशन मैनेजमेंट सेंटर का हिस्सा है. यहां दान किए गए दूध को पाश्चुरीकृत करके सुरक्षित रखा जाता है. यह सुनिश्चित किया जाता है कि दूध हाइजीनिक हो और बच्चों के लिए पूरी तरह सुरक्षित हो. दान करने वाली मांओं की मेडिकल स्क्रीनिंग की जाती है, ताकि कोई जोखिम न हो. इसके बाद दूध को प्रीमेच्योर और गंभीर बीमार बच्चों को प्राथमिकता पर दिया जाता है. यह प्रक्रिया इतनी पारदर्शी और वैज्ञानिक है कि हर बच्चे की जरूरत पूरी होती है.

फंडिंग की कमी
यूनिसेफ और यूरोपियन यूनियन की मदद से शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट अब फंडिंग की कमी का शिकार हो रहा है. नेपाल में अन्य अस्पतालों में ऐसे मिल्क बैंक शुरू करने या लैक्टेशन सेंटर को बढ़ाने के प्लान रुके हुए हैं. स्तनपान काउंसलिंग और सपोर्ट प्रोग्राम्स जो मांओं को प्रोत्साहित करते हैं, वे भी प्रभावित हो रहे हैं. अगर फंडिंग न मिली, तो हजारों बच्चों को इस जीवन रक्षक दूध से वंचित होना पड़ सकता है.

क्या है ब्रेस्ट मिल्क की ताकत?
ब्रेस्ट मिल्क में एंटीबॉडीज, विटामिन, और पोषक तत्व होते हैं, जो बच्चों को संक्रमण और कुपोषण से बचाते हैं. यह दस्त, निमोनिया, और अन्य बीमारियों से लड़ने की ताकत देता है. प्रीमेच्योर बच्चों के लिए यह दिमागी विकास को तेज करता है और हृदय व फेफड़ों को मजबूत करता है. मांओं के लिए भी स्तनपान ब्रैस्ट कैंसर और टाइप-2 डायबिटीज का जोखिम कम करता है.