
कहा जाता है कुत्तों की सूंघने की क्षमता कमाल की होती है. लेकिन अब इस क्षमता को मेडिकल फील्ड में उतारने की तैयारी कर ली गई है. दरअसल SpotltEarly नामक एक कंपनी ने कुत्तों को इस क्षमता को मेडिकली इस्तेमाल करने को सोची है.
कई लोगों को कैंसर हो जाता है और वह अपनी जान गवां बैठते हैं. लेकिन अगर कैंसर का पता पहले ही लग जाए तो उचित कदम उठा कर बचा भी जा सकता है. उन्हीं उचित कदम को उठाने में यह कंपनी मदद कर रही है. तो चलिए बताते हैं कि आखिर किस प्रकार कंपनी वर्क कर रही है.
क्या है मॉडल
दरअसल कंपनी के पास ट्रेन्ड डॉग्स है. जो कैंसर किसी गंध में से कैंसर की गंध को सूंघ इशारा दे सकते हैं. आपको केवल कंपनी से कॉन्टेक्ट करना होगा. जिसके बाद आपको एक मास्क में 3-5 मिनट सांस लेनी होगी. इसके बाद इस मास्क को कंपनी की लैब भेज देना होगा.
क्या होगा लैब में
लैब में मौजूद ट्रेन्ड डॉग्स आपके मास्क को सूंघेंगे और इस दौरान वह पता लगा पाएंगे की आपकी ली गई सांस में कैंसर की महक तो नहीं है. अगर वह कोई इशारा नहीं देते हैं तो समझे कि सिगनल ग्रीन है. आपको फिक्र करने की जरूरत नहीं है.
आखिर कैसे एक डॉग पहचान लेता है गंध
दरअसल इंसानों के मुकाबले डॉग्स में गंध को पहचानने वाले 10 से 1 लाख तक ज्यादा रिसेप्टर्स होते है. जो गंध में बारीक से बारीक अंश को भी पकड़ लेते हैं. इसी कारण डॉग्स का इस्तेमाल एजंसियों द्वारा स्निफिंग के लिए किया जाता है.
मिलता है एआई का जोड़
जिस दौरान डॉग आपके मास्क को सूंघ रहा होता है, कंपनी का अपना एआई (LUCID) डॉग की हरकत पर नजर रखता है. वह उसके व्यवहार को भी देखता है. यानी अगर किसी में कैंसर मौजूद है तो डॉग की हरकत कैसी होगी. यह एआई जान लेता है.
अब अगर एआई डॉग को दी गई नेचर की सूंघने की खूबी को खुद सीख जाएगा, तो कहीं ना कहीं उस डॉग पर काफी भारी प्रभाव पड़ेगा. हो सकता है कंपनी फिर इन डॉग्स को हटा और एआई के भरोसे ही अपना काम चलाए.
लेकिन फिलहाल के लिए कंपनी का कहना है कि वह डॉग से ज्यादा काम नहीं करवाते हैं. साथ ही डॉग्स को ह्यूमन लव भी मिलता है. और अगर कोई डॉग रिटायर हो जाता है तो उसे कोई अपना लेता है.