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World Obesity Day: साल 2035 तक आधी आबादी हो जाएगी मोटापे का शिकार, रिपोर्ट में हुआ खुलासा

विश्व मोटापा दिवस से पहले एक रिपोर्ट जारी हुई जिसमें खुलासा हुआ कि भारत में अगर बच्चों में मोटापा के बढ़ते लक्षणों और समस्याओं पर समय रहते रोक नहीं लगाई गई तो 2035 तक 9.1 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि के साथ बच्चों में मोटापा के मामले की बढ़ने की संभावना है.

Obesity (Representative Image) Obesity (Representative Image)

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए मोटापा एक प्रमुख चिंता का विषय है. वर्तमान में दुनिया की 38% से अधिक आबादी पहले से ही अधिक वजन वाली है और यह संख्या आने वाले वर्षों में बढ़ने की संभावना है. वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन की 2023 की रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है. इस नई रिपोर्ट के अनुसार, बिना किसी महत्वपूर्ण कार्रवाई के 2035 तक दुनिया की आधी से अधिक आबादी अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हो जाएगी. रिपोर्ट आगे बताती है कि अगले 12 वर्षों में 4 अरब से अधिक लोग अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हो जाएंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि कम आय वाले समूहों के बच्चों और देशों में मोटापे की दर अधिक होगी.

क्या है उद्देश्य?
विश्व मोटापा दिवस के पहले ये रिपोर्ट प्रकाशित की गई है. हर साल 4 मार्च को विश्व मोटापा दिवस मनाया जाता है. इसका लक्ष्य उस जीवन शैली को प्रोत्साहित करना है, लोगों को अपना वजन सही रखने और मोटापे के से होने वाले खतरों के प्रति आगाह किया जाए. वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन के अध्यक्ष लुईस बाउर ने इस रिपोर्ट को एक "स्पष्ट चेतावनी" के रूप में वर्णित किया है और कहा है कि स्थिति को बिगड़ने से रोकने के लिए नीति निर्माताओं को अब कार्रवाई करनी चाहिए.

उन्होंने एक बयान में कहा, "बच्चों और किशोरों में मोटापे की दर सबसे तेजी से बढ़ती देखना चिंताजनक है.दुनिया भर की सरकारों और नीति निर्माताओं को युवा पीढ़ी को स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक लागतों को पारित करने से बचने के लिए हर संभव प्रयास करने की आवश्यकता है." विश्व जनसंख्या मोटापे से निपटने के लिए संघर्ष कर रही है, अधिक वजन से जुड़ी स्वास्थ्य स्थितियों के परिणामस्वरूप समाज की लागत महत्वपूर्ण है. महासंघ के अनुसार, 2035 तक इसकी लागत लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर से अधिक या वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 3% होगी. 

कितने लड़के, कितनी लड़कियां?
'वर्ल्ड ओबेसिटी एटलस 2023’ रिपोर्ट में बताया गया है कि 2020 में भारत में लड़कों में मोटापे का जोखिम 3 फीसदी था, लेकिन 2035 तक यह जोखिम 12 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा और लड़कियों के लिए जोखिम 2020 में 2 फीसदी था, लेकिन अगले 12 वर्षों में, यह बढ़कर 7 प्रतिशत तक हो जाएगा. रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में भारतीय महिलाओं में मोटापे का जोखिम 7 फीसदी था, जो 2035 तक बढ़कर 13 फीसदी हो जाएगा. पुरुषों में 2020 में 4 फीसदी का जोखिम था, जो 12 वर्षों में बढ़कर 8 फीसदी हो जाएगा.

किन चीजों से बढ़ता है मोटापा?
आजकल ज्यादातर लोग बाहर का खाना पसंद करते हैं. इसमें ज्यादातर आर्टिफिशल प्रीजरवेटिव वाली चीजें होती हैं. मोटापे का मुख्य कारण डिब्बा बंद खाने का इस्तेमाल, गतिहीन जीवन शैली, खाद्य आपूर्ति और खाद्य विपणन को नियंत्रित करने के लिए सरकार की कमजोर नीतियां और वजन प्रबंधन और स्वास्थ्य शिक्षा में सीमित संसाधनों की समस्याएं शामिल हैं. वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन के अध्यक्ष प्रोफेसर लुईस बाउर ने कहा, “इस साल का एटलस एक स्पष्ट चेतावनी है कि आज मोटापे को दूर करने में नाकाम रहने से, हम भविष्य में गंभीर नतीजों का जोखिम उठाते हैं. यह विशेष रूप से चिंता का विषय है कि बच्चों और किशोरों में मोटापे की दर तेजी से बढ़ रही है." 

कौन मोटा है और कौन अधिक वजन वाला?
रिपोर्ट अपने आकलन के लिए बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) का उपयोग करती है, एक संख्या जिसकी गणना किसी व्यक्ति के वजन को किलोग्राम में मीटर वर्ग में उनकी ऊंचाई से विभाजित करके की जाती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों के अनुसार, 25 से अधिक बीएमआई स्कोर अधिक वजन और 30 से BMI को मोटापा माना जाता है.