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Cyber Fraud के शिकार लोगों को हो सकता है स्ट्रेस, एंग्जायटी और PTSD... सदमे से उबरने में मदद कर रही हैं यह IT Professional

ओडिशा में कटक की रहने वाली आईटी प्रोफेशनल स्वाति दास पिछले तीन वर्षों से ऐसे पीड़ितों को इस मानसिक आघात से उबरने में मदद करने का मिशन चला रही हैं.

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भारत में ऑनलाइन लेन-देन का स्तर काफी ज्यादा बढ़ा है और इसके साथ ही साइबर फ्रॉड्स के मामले भी आए साल बढ़ रहे हैं. द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2020 और वित्त वर्ष 2024 के बीच साइबर धोखाधड़ी के 5,82,000 मामलों के कारण ₹3,207 करोड़ का नुकसान हुआ. यह समस्या हर दिन बढ़ रही है. 

इन मामलों से जुड़ी एक और बड़ी समस्या है- साइबर फ्रॉड के शिकार लोगों पर पड़ने वाला भावनात्मक और आर्थिक प्रभाव. कभी-कभी तो साइबर फ्रॉड का असर इतना गहरा होता है कि इसके शिकार लोगों को अपनी जीवन बोझ लगने लगता है. ओडिशा में कटक की रहने वाली आईटी प्रोफेशनल स्वाति दास पिछले तीन वर्षों से ऐसे पीड़ितों को इस मानसिक आघात से उबरने में मदद करने का मिशन चला रही हैं. वह उन्हें इससे निपटने के लिए ज़रूरी मानसिक सहायक उपाय (coping mechanisms) उपलब्ध करा रही हैं. 

साइबर फ्रॉड से हो सकता है PTSD 
स्वाति भुवनेश्वर-कटक कमिश्नरेट पुलिस के लिए स्वेच्छा से काउंसलर के रूप में काम कर रही हैं, जहां वे साइबर अपराधों के शिकार लोगों की काउंसलिंग करती हैं. 32 वर्षीय स्वाति का कहना है कि इस तरह की घटनाएं लोगों में चिंता, अवसाद और पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) जैसी मानसिक समस्याओं को जन्म दे सकती हैं. 

स्वाति ने कमिश्नरेट पुलिस द्वारा आयोजित कई साइबर क्राइम जागरूकता कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी निभाई है. उनका कहना है कि साइबर अपराध पीड़ितों की मानसिक और भावनात्मक स्थिति को बुरी तरह से प्रभावित करते हैं. कई बार पीड़ितों में विश्वास की कमी, PTSD, कुंठा और यहां तक कि आत्महत्या की प्रवृत्ति भी देखने को मिलती है. ऐसी स्थिति में सामाजिक सपोर्ट की कमी पीड़ित की मानसिक पीड़ा को और बढ़ा देती है. इसे रोकने के लिए उन्हें मानसिक तौर पर मदद की जरूरत होती है. 

आयोजित करती हैं वर्कशॉप्स 
स्वाति ने अब तक विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों और निजी/सरकारी संगठनों में साइबर जागरूकता और मानसिक स्वास्थ्य पर वर्कशॉप आयोजित की हैं. उन्होंने 1,000 से ज्यादा छात्रों और अन्य प्रतिभागियों को ऐसे उपाय बताए हैं जिनसे वे डिजिटल हमले के मानसिक आघात से निपट सकें. 

स्वाति कमिश्नरेट पुलिस की साइबर क्राइम जागरूकता कार्यक्रमों की एकमात्र महिला स्वयंसेवक हैं, और ये कार्यक्रम पिछले तीन सालों से लगातार आयोजित हो रहे हैं. स्वाति ने अपनी कंपनी के 'Supporting Mental Health' इनिशिएटिव के तहत मेंटल हेल्थ काउंसलिंग में ट्रेनिंग ली. 

युवाओं को कर रही हैं जागरूक 
2023 से अब तक स्वाति ने भुवनेश्वर के 50 से अधिक शैक्षणिक संस्थानों का दौरा किया है, जहां उन्होंने युवाओं को साइबर अपराधों के बारे में जागरूक किया और ऐसे फ्रॉड का शिकार हो चुके छात्रों की काउंसलिंग की. इसके अलावा, वे राजधानी स्थित साइबर क्राइम एंड इकोनॉमिक ऑफेंस पुलिस स्टेशन में भी ऑनलाइन अपराधों के पीड़ितों की काउंसलिंग करती हैं. 

काउंसलिंग के दौरान उन्होंने देखा कि कई पीड़ितों ने साइबर ठगों के हाथों भारी आर्थिक नुकसान झेला है, जिससे वे बुरी तरह आहत हैं. कुछ ने तो अपनी जीवनभर की पूंजी तक खो दी. उन्होंने यह भी बताया कि हनी ट्रैपिंग या डीपफेक वीडियो का शिकार बने पीड़ित अपनी पीड़ा साझा करने से कतराते हैं. ऐसे मामलों में सबसे पहले पीड़ितों को सहज महसूस कराना, उनसे सहानुभूति जताना और यह बताना कि वे अकेले नहीं हैं- यह सबसे ज़रूरी होता है. 

सोशल मीडिया से बनाए दूरी 
स्वाति का मानना है कि साइबर अपराधों से होने वाले मानसिक प्रभावों को काफी हद तक कम किया जा सकता है, अगर सही तरह से मानसिक तनाव को हैंडिल किया जाए तो जैसे सामाजिक समर्थन लेना, तनाव कम करने वाली गतिविधियों में भाग लेना, और मेंटल हेल्थ सर्विसेज का इस्तेमाल करना. 

स्वाति ने यह भी चेताया कि सोशल मीडिया की लत मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रही है, विशेषकर कोविड-19 महामारी के बाद. सोशल मीडिया के आदी यूजर्स को मानसिक तनाव, चिंता और कई बार विचलित करने वाल कंटेंट दिख जाता है. इसका लोगों के संबंधों, सुरक्षा की भावना और पूरी मेंटल हेल्थ पर बुरा प्रभाव पड़ता है. स्वाति डिजिटल दुनिया को सुरक्षित बनाने और सोशल मीडिया ज्यादा इस्तेमाल न करने की राय देती हैं.