Covid 19 (Photo: PTI)
Covid 19 (Photo: PTI) कोरोना महामारी के बढ़ते मामलों के बीच सभी इस चिंता में हैं कि तीसरी लहर कब खत्म होगी. मंगलवार को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद में महामारी विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ समीरन पांडा ने कहा कि यह कहना कि दिल्ली और मुंबई में तीसरी लहर अपने चरम पर पहुंच गई है, जल्दबाजी होगी. हालांकि, 11 मार्च के बाद हमें कुछ राहत मिलने की उम्मीद है. 11 मार्च के बाद इसके एंडेमिक (Endemic) में परिवर्तित होने की उम्मीद लगाई जा रही है.
इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में डॉ समीरन पांडा ने कहा, “हमें यह कहने से पहले दो सप्ताह और इंतजार करने की जरूरत है कि दिल्ली और मुंबई में तीसरी लहर चरम पर है और सबसे बुरा वक्त खत्म हो गया है. हमें इसके लिए थोड़ा इंतजार करना होगा, केवल मामलों में गिरावट और पॉजिटिविटी रेट के आधार पर हम इस इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकते हैं.”
विभिन्न राज्य इस समय महामारी के अलग-अलग चरणों में हैं
डॉ समीरन पांडा ने कहा कि दो प्रमुख महानगरीय शहरों में, कोविड -19 के ओमिक्रॉन और डेल्टा मामलों का अनुपात लगभग 80 और 20 प्रतिशत है. भारत के विभिन्न राज्य इस समय महामारी के अलग-अलग चरणों में हैं. कहीं मामले बढ़ रहे हैं तो कहीं ये घट रहे रहे हैं.
मार्च में कम हो सकता है महामारी का प्रकोप?
डॉ समीरन पांडा के अनुसार, भारत में कोविड -19, 11 मार्च के बाद एंडेमिक हो सकता है, बशर्ते कुछ शर्तें पूरी हों.
आपको बता दें, एंडेमिक वह स्थिति होती है जब अपेक्षाकृत कम प्रसार वाली आबादी या क्षेत्र में वह वायरस या बीमारी रहती है. यह एक महामारी से अलग और कम खतरनाक होती है.
डॉ समीरन पांडा के अनुसार, “कोरोना महामारी 11 मार्च तक एंडेमिक में परिवर्तित हो सकती है. बस जरूरी है कि हम निराश न हों. गणितीय अनुमानों से पता चलता है कि ओमिक्रॉन वेव भारत में 11 दिसंबर से शुरू होकर तीन महीने तक चलेगी. 11 मार्च के बाद हमें कुछ राहत मिल सकती है.”
नई टेस्टिंग स्ट्रेटेजी
पिछले हफ्ते, आईसीएमआर ने एक एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि कोविड -19 पॉजिटिव पाए गए लोगों के सम्पर्क में आने वालों का टेस्ट करने की जरूरत नहीं है. इस बारे में पूछे जाने पर, डॉ पांडा ने कहा, "आईसीएमआर ने वायरस के एपिडेमियोलॉजिकल परिवर्तनों के बाद टेस्टिंग स्ट्रेटेजी भी बदल दी है. हमने राज्यों से कभी टेस्ट काम करने के लिए नहीं कहा है. टेस्टंग की संख्या काम करने का कोई भी निर्देश अभी नहीं दिया गया है. हमने ज्यादा निर्देशित और उद्देश्यपूर्ण टेस्टिंग के लिए कहा है. इस वायरस ने अपना स्वरूप बदल दिया है और इसलिए, परीक्षण और प्रबंधन की रणनीति भी बदल जाएगी. ”
डॉ समीरन पांडा ने कहा कि स्थानीय भाषाओं में होम टेस्टिंग पर दिशानिर्देश दिए जायेंगे तो ज्यादा लोगों तक और सही संदेश जा पायेगा.
रोग की गंभीरता
डॉ समीरन पांडा ने बताया कि बीमारी की गंभीरता को समझने के लिए अस्पतालों में कोविड-19 मामलों का अध्ययन किया जा रहा है, विशेष रूप से ओमिक्रॉन वेरिएंट वालें मामलों का.
वे कहते हैं, "जीनोमिक सिक्वेंसिंग एक डायनेमिक फिनोमेना है. लेकिन एक मृत शरीर पर जीनोमिक सिक्वेंसिंग करना, केवल ये समझने के लिए कि वह व्यक्ति ओमिक्रॉन पॉजिटिव है, काफी तर्कहीन है. कई मरीज दूसरे कारणों से भी मर जाते हैं."
एंटीवायरल दवा मोलनुपिरवीर
एंटीवायरल दवा मोलनुपिरवीर (Molnupiravir), जिसे कोविड -19 के लिए आईसीएमआर के क्लिनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल से बाहर रखा गया है, उसपर उन्होंने कहा, “यह बिना टीकाकरण वाले रोगियों को दी जा सकती है. गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं और बच्चों को इसे देने के लिए कोई दिशानिर्देश नहीं दिए गए हैं और इसलिए यह प्रोटोकॉल में नहीं है.”