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क्या आपके भी बच्चे ऑफलाइन की जगह खेल रहे हैं ऑनलाइन ग्राउंड में? आगे जाकर हो सकती है गंभीर बीमारियां

बच्चों का ऑफलाइन खेलना कम हो गया है. इसकी जगह अब बच्चे मोबाइल पर खेलना पसंद करते हैं. लेकिन ऑनलाइन ग्राउंड में खेलने का उनपर बहुत खराब असर पड़ रहा है. इससे उन्हें आगे जाकर गंभीर बीमारियां हो सकती हैं.

बच्चे ज्यादा समय स्क्रीन पर गुजार रहे हैं बच्चे ज्यादा समय स्क्रीन पर गुजार रहे हैं
हाइलाइट्स
  • दुनिया की जानी मानी यूनिवर्सिटी कर चुकी हैं इसपर रिसर्च 

  • शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए ठीक नहीं

पढ़ाई के लिए फोन, दोस्तों से बातचीत के लिए फोन…और तो और खेलने के लिए भी फोन. इस तरह बच्चों खासकर किशोर उम्र के बच्चों की जिन्दगी ऑनलाइन हो चुकी है. फोन हाथ में है तो घर से बाहर खेल के मैदान तक जाने की जरूरत महसूस नहीं होती. घर में भी हाथ पैर हिलाने की जहमत भला कौन उठाए. नतीजा ये है कि बच्चों और युवाओं की फिजिकल एक्टिविटी लगभग खत्म हो चली है. लेकिन वो नहीं जानते कि इसका असर उनकी सेहत पर पड़ने वाला है. एक नई स्टडी में इस बात को लेकर चिंता जताई गई है कि कसरत और खेल के मैदान से बच्चों की दूरी, अगले कुछ वर्षों में गंभीर बीमारियों की वजह बन सकती है. 

दुनिया की जानी मानी यूनिवर्सिटी कर चुकी हैं इसपर रिसर्च 

बताते चलें कि असल में विश्व स्वस्थ संगठन (WHO) की राय है कि 5 से 17 साल के बच्चों और युवाओं को रोजाना औसतन 60 मिनट शारीरिक गतिविधि करनी चाहिए. लेकिन नई रिसर्च में पाया गया है कि दुनिया भर में कोरोना काल के दौरान बच्चों और युवाओ की फिजिकल एक्टिविटी औसतन 17 मिनट तक आ गई है. कोरोना काल के दौरान रोज पैदल चलना भी करीब 27 फीसदी कम हो गया.

बच्चे ज्यादा समय स्क्रीन पर गुजार रहे हैं

ऐसे में कोरोना काल के दौरान खेल के मैदान और कसरत से बच्चों की जो दूरी बनी है, वो एक बड़ी समस्या है. क्योंकि स्टडी के मुताबिक बच्चे अब ज्यादा समय स्क्रीन पर गुजार रहे हैं. और खेलने-कूदने की उनकी आदत खत्म होती जा रही है. WHO का साफ मानना है कि बच्चों को 2 घंटे से ज्यादा समय स्क्रीन पर नहीं गुजारना चाहिए. लेकिन इसके उलट बच्चे और युवा रोजाना कई घंटे स्क्रीन से चिपके रहते हैं. डॉक्टर मान रहे है कि इसका बच्चों की सेहत पर असर पड़ना तय है.

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में मेडिसिन विभाग में प्रोफेसर डॉ कौसर उस्मान कहते हैं, “ये सही है कि फिजिकल ऐक्टिविटी न होने का बड़ा खतरा स्वास्थ्य को होता है. आजकल कम उम्र में डायबिटीज और हृदय की बीमारियों के लिए ये जिम्मेदार हैं. विश्व में मौत की चौथी बड़ी वजह इनएक्टिविटी है. इससे जुड़ी बीमारियों को लेकर हमारे पास छोटे बच्चों से लेकर और वयस्क तक आ रहे हैं. शुरू में ये पता नहीं चलता है, सिर्फ वजन बढ़ जाता है. लेकिन धीरे-धीरे छोटी बीमारियां और इसके बाद घातक बीमारियां घेर लेती हैं. कोविड-19 के समय बच्चों और किशोरों के घर में भी जो लोग बीमार हुए उनका असर मानसिक स्थिति पर पड़ा है. ऐसे में जरूरी है कि फिजिकल एक्टिविटी को हर हाल में बढ़ाया जाए. इसके अलावा, स्क्रीन टाइम को घटाना चाहिए यानी मोबाइल, लैपटॉप आदि.”

शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए ठीक नहीं

नई स्टडी के मुताबिक फिजिकल एक्टिविटी से दूरी बच्चों के शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए ठीक नहीं है. इसकी वजह से कम उम्र में ही गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. अगर समय रहते युवाओं का शारीरिक क्रियाकलाप ठीक नही होता तो अंदाजा है कि 2030 तक दुनिया भर में गंभीर बीमारियों के 50 करोड़ नए मामले सामने आ सकते हैं.