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Representative image सरकार जल्द ही प्राइवेट लैब्स को Sars-Cov-2 पॉजिटिव सैंपल्स की पूरी तरह से जीनोम सीक्वेंसिंग करने की अनुमति दे सकती है ताकि टेस्ट फैसिलिटिस को बढ़ाया जा सके. सूत्रों के अनुसार इस पर बातचीत हुई है, लेकिन इस मुद्दे पर अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है. इस बात का जिक्र संसद में मौजूदा शीतकालीन सत्र के दौरान भी हुआ था.
प्राइवेट लैब्स की मदद से बढ़ाई जा सकती है सीक्वेंसिंग की क्षमता
स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने पिछले सप्ताह शुक्रवार को प्रश्नकाल के दौरान ओमिक्रॉन संस्करण पर बोलते हुए कहा.“वर्तमान में देश में जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए 36 लैब्स हैं. ये लैब्स 30,000 पॉजिटिव सैंपल्स तक की पूरी तरह से जीनोम सीक्वेंसिंग कर सकती है और प्राइवेट लैब्स की मदद से यह क्षमता बढ़ाई जा रही है”. अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि अगर केंद्र म्यूटेशन का पता लगाने के लिए जेनेटिक सीक्वेंसिंग को स्केल अप करने का सोच रहा है, तो प्राइवेट लैब्स को शामिल करना एक सही फैसला हो सकता है.
इजराइल सभी पॉजिटिव सैंपल्स की कर रहा जीनोम सीक्वेंसिंग
देश के सबसे बड़े क्लीनिकल लैब में से एक, न्यूबर्ग डायग्नोस्टिक्स के प्रेसिडेंट और मैनेजिंग डायरेक्टर जीएसके वेलु ने कहा, “भारत शायद दुनिया में सबसे कम जेनेटिक टेस्टिंग कर रहा है. हम शायद पॉजिटिव सैंपल्स में से 1% की भी जीनोम सीक्वेंसिंग नहीं कर रहे हैं, जबकि इजराइल जैसे देश सभी पॉजिटिव सैंपल्स की जीनोम सीक्वेंसिंग कर रहे हैं. यहां तक कि अमेरिका भी अपने पॉजिटिव सैंपल्स के 20-30 फीसदी हिस्से की सीक्वेंसिंग करा रहा है. अगला लक्ष्य हमारे जेनेटिक टेस्टिंग का विस्तार करना है जैसे हमने मॉलिक्युलर टेस्टिंग के लिए किया था”.