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खाना खाते ही नींद आती है? सावधान! यह थकान नहीं, डायबिटीज और कैंसर की शुरुआती चेतावनी हो सकती है

बार-बार खाने के बाद नींद आना इंसुलिन रेजिस्टेंस का शुरुआती संकेत हो सकता है. यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर ग्लूकोज (शुगर) को सही तरीके से ऊर्जा में नहीं बदल पाता. समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो यही समस्या आगे चलकर डायबिटीज, दिल की बीमारी और यहां तक कि कैंसर का खतरा बढ़ा सकती है.

खाने के बाद क्यों आती है नींद खाने के बाद क्यों आती है नींद

खाना खाने के बाद भारीपन, सुस्ती या तेज नींद आना अक्सर लोग सामान्य मान लेते हैं. खासतौर पर जब दोपहर का खाना ज्यादा चावल, रोटी या मीठा हो, तो लोग कहते हैं, 'कार्ब्स खाए हैं, नींद तो आएगी ही.' लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि अगर यह समस्या रोज होने लगे, तो यह सामान्य नहीं बल्कि शरीर की एक  चेतावनी हो सकती है.

मेडिकल एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बार-बार खाने के बाद नींद आना इंसुलिन रेजिस्टेंस का शुरुआती संकेत हो सकता है. यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर ग्लूकोज (शुगर) को सही तरीके से ऊर्जा में नहीं बदल पाता. समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो यही समस्या आगे चलकर डायबिटीज, दिल की बीमारी और यहां तक कि कैंसर का खतरा बढ़ा सकती है.

खाना खाने के बाद शरीर में क्या होता है?
BDR फार्मास्युटिकल्स के टेक्निकल डायरेक्टर डॉ. अरविंद बडिगर बताते हैं कि सामान्य व्यक्ति में इंसुलिन खून से ग्लूकोज को कोशिकाओं तक पहुंचाता है, जहां उससे ऊर्जा बनती है. लेकिन इंसुलिन रेजिस्टेंस में शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन की बात ठीक से नहीं मानतीं.

ऐसे में जब व्यक्ति कार्बोहाइड्रेट से भरपूर खाना खाता है, तो खून में शुगर अचानक बहुत बढ़ जाती है. इसे कंट्रोल करने के लिए शरीर जरूरत से ज्यादा इंसुलिन रिलीज करता है. यही उतार-चढ़ाव 30 से 90 मिनट के भीतर थकान, भारीपन, सुस्ती, नींद और कभी-कभी भ्रम तक पैदा कर देता है.

डॉ. बडिगर के अनुसार, आजकल लोग ज्यादा रिफाइंड कार्ब्स, मैदा, मीठा और कम फाइबर वाला खाना खाते हैं. इससे शरीर पर अचानक शुगर का बोझ पड़ता है. ऊपर से खाना खाने के बाद तुरंत बैठ जाना या लेट जाना, मांसपेशियों में ग्लूकोज के इस्तेमाल को और कम कर देता है. कई बार ऐसा भी होता है कि फास्टिंग शुगर नॉर्मल आती है, लेकिन फिर भी इंसुलिन रेजिस्टेंस शुरू हो चुका होता है. यही वजह है कि इसे साइलेंट मेटाबॉलिक प्रॉब्लम कहा जाता है.

इंसुलिन रेजिस्टेंस और कैंसर का कनेक्शन
HCG कैंसर सेंटर, इंदौर के कंसल्टेंट ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. सुनीत लोकवानी बताते हैं कि लंबे समय तक शरीर में इंसुलिन का स्तर ज्यादा रहने से कोशिकाओं की असामान्य बढ़त शुरू हो जाती है. इससे IGF-1 नाम का हार्मोन बढ़ता है, जो कैंसर कोशिकाओं को जीवित रहने में मदद करता है. इसके अलावा, ज्यादा इंसुलिन शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन भी बढ़ाता है, जिससे खासतौर पर पोस्ट-मेनोपॉज महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. रिसर्च में इंसुलिन रेजिस्टेंस को कोलन, लिवर, पैंक्रियाज, ब्रेस्ट और यूट्रस कैंसर से भी जोड़ा गया है.

ऐसे करें बचाव
डॉक्टरों का कहना है कि अगर समय रहते ध्यान दिया जाए, तो इंसुलिन रेजिस्टेंस को पलटा जा सकता है. इसके लिए लो-ग्लाइसेमिक, फाइबर और प्रोटीन से भरपूर डाइट लें, खाने के बाद 10–15 मिनट टहलें, नियमित एक्सरसाइज और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करें, पर्याप्त नींद लें और वजन नियंत्रित रखें और मीठे ड्रिंक्स और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड से बचें.
 

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