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Parkinson’s patient Spinal Implant: 6 महीने बाद चलने लगा पार्किंसंस का मरीज, बिजली के इम्प्लांट से हुआ कारनामा

अच्छे से न चल पाना पार्किंसंस का एक सामान्य लक्षण है. लेकिन इम्प्लांट की मदद से अब मरीज बैलेंस में चल सकते हैं. मार्क भी इम्प्लांट के बाद से आत्मविश्वास से चलते हैं और इतना ही नहीं बल्कि बिना किसी डर के सीढियां तक चढ़ जाते हैं. 

Parkinson’s patient Parkinson’s patient
हाइलाइट्स
  • टेक्नोलॉजी की मदद से मिली नई जिंदगी 

  • पार्किंसंस रोगियों के लिए आशा की किरण 

मेडिकल इंडस्ट्री में आए दिन नए कारनामे हो रहे हैं. अब इसी कड़ी में बिजली के इम्प्लांट से पार्किंसंस के मरीज को आशा की नई किरण नजर आई है. इस स्पाइनल इम्प्लांट से 6 महीने बाद पार्किंसंस का मरीज चलने लगा. फ्रांस के बोर्डो के 63 साल के मार्क ऐसे पहले हैं जिनको इस तरह का ट्रीटमेंट दिया गया है. मार्क ने इसे एक तरह से नई जिंदगी मिलना बताया है. 

मार्क के मुताबिक, वे करीब दो दशकों से ज्यादा समय तक पार्किंसंस से जूझ रहे हैं. इसमें व्यक्ति को चलने फिरने में और बैलेंस बनाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है. लेकिन स्पूनल इम्प्लांट की मदद से अब मार्क बिना लड़खड़ाए चल सकते हैं. 

टेक्नोलॉजी की मदद से मिली नई जिंदगी 

इम्प्लांट, जिसका उद्देश्य रीढ़ से पैर की मांसपेशियों तक नॉर्मल सिग्नलिंग को फिर से स्थापित करना है, ने मार्क के जीवन को बदल दिया है. वह ट्रीटमेंट से पहले की चुनौतियों के बारे में याद करते हुए कहते हैं, "मैं व्यावहारिक रूप से बार-बार, दिन में कई बार गिरे बिना चल नहीं पाता था." बता दें, अच्छे से न चल पाना पार्किंसंस का एक सामान्य लक्षण है. लेकिन इम्प्लांट की मदद से अब वे बैलेंस में चल सकते हैं. इम्प्लांट के बाद से, वह आत्मविश्वास से चलते हैं और इतना ही नहीं बल्कि बिना किसी डर के सीढियां तक चढ़ जाते हैं. 

पार्किंसंस रोगियों के लिए आशा की किरण 

हालांकि इम्प्लांट को अभी क्लीनिकल ट्रायल से गुजरना बाकी है. इस अग्रणी तकनीक के पीछे की स्विस रिसर्च टीम का मानना ​​है कि यह पार्किंसंस रोग से जुड़ी गतिशीलता की कमी के इलाज के लिए एक अच्छा तरीका है. 

गौरतलब है कि पार्किंसंस रोग डोपामाइन-प्रोड्यूसिंग न्यूरॉन्स को जब नुकसान पहुंचता है तब होता है. इससे चलने में मुश्किल होती है, जिसमें संतुलन की कमी और चाल का रुकना शामिल है. ऐसे में लेवोडोपा जैसे ट्रेडिशनल ट्रीटमेंट लक्षणों से राहत तो देते हैं लेकिन उसके बाद भी नॉर्मल स्पीड से चल पाना मुमकिन नहीं हो पाटा है. ऐसे में इम्प्लांट चलने के दौरान पैर की मांसपेशियों को एक्टिव करने का काम करता है. वो इसके लिए रीढ़ की हड्डी के विशिष्ट क्षेत्र टारगेट करता है. 

कैसे होता है इस्तेमाल?

रोगी प्रत्येक पैर पर मूवमेंट सेंसर पहनता है. जब चलना शुरू होता है, तो इम्प्लांट ऑटोमेटिक रूप से एक्टिव हो जाता है, जिससे रीढ़ की हड्डी के न्यूरॉन्स को पल्स स्टिमुलेशन मिलती हैं. ये रोगी के ब्रेन से पैरों तक असामान्य संकेतों को ठीक करने का काम करता है, जिसके परिणामस्वरूप रोगी की चाल सही हो जाती है.