scorecardresearch

Health Screening Tests: हर किसी को कराने चाहिए ये 10 हेल्थ स्क्रीनिंग टेस्ट ताकि समय रहते पता चले बीमारी का

Regular health test: आज के जमाने में हर किसी के लिए जरूरी है कि वे साल में एक बार अपना पूरा बॉडी चेकअप कराएं ताकि किसी भी बीमारी को बड़ा बनने से पहले ही रोका जा सके.

Representational Image Representational Image
हाइलाइट्स
  • साल में कम से कम एक बार तो फुल-बॉडी चेकअप कराना चहिए

  • बहुत बार समय से बीमारी पता चल जाने से ही लोगों की जान बच जाती है

आज के जमाने में हर किसी परिवार के पास हेल्थ इंश्योरेंस होना जरूरी हो गया. पता ही नहीं चलता कि आपको कब, क्या हो जाए. पिछले कुछ सालों से लोगों में बीमारियां सिर्फ बढ़ रही हैं. ऐसे में, आपके लिए सिर्फ हेल्थ इंश्योरेंस होना जरूरी नहीं है बल्कि इसके साथ-साथ सबसे ज्यादा जरूरी है अपना और अपने परिवार का रेगुलर हेल्थ चेकअप. 

बहुत बार डॉक्टर हमें सलाह देते हैं कि हमें साल में कम से कम एक बार तो फुल-बॉडी चेकअप कराना चहिए. अगर आप एकदम ठीक हैं फिर भी आपको चेकअप कराना चाहिए ताकि कोई बीमारी बनने से पहले या छोटी बीमारी के बढ़ने से पहले ही आप अलर्ट हो जाएं और भविष्य मं परेशानी से बच जाए. बहुत बार समय से बीमारी पता चल जाने से ही लोगों की जान बच जाती है.  

आज हम आपको बता रहे हैं कि आप कौन-कौन से स्क्रीनिंग टेस्ट करा सकते हैं. 

1. पूरा ब्लड काउंट (Complete Blood Count)
ब्लड टेस्ट कराने से आपको मुख्य रूप से एनीमिया (हीमोग्लोबिन की कमी), और किसी भी तरह के इंफेक्शन के बारे में पता चल जाता है. कई बार टेस्ट रिजल्ट्स में पॉलीसिथेमिया (बढ़ा हुआ हीमोग्लोबिन), ल्यूकेमिया (ल्यूकोसाइट्स की संख्या में परिवर्तन), इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (कम प्लेटलेट्स) जैसी स्थितियां भी सामने आ जाती हैं. जिससे जल्दी इलाज में मदद मिलती है. ईोसिनोफिल का काउंट एलर्जी या पैरासिटिक इंफेक्शन के लिए जरूरी है. 

2. रेनल प्रोफाइल (Renal Profile)
इस टेस्ट को कराने से विशेष रूप से डायबिटीज, हाइपरटेंसिव लोगों में किडनी की बीमारी का पता लगाया जा सकता है. वहीं, युवाओं में ऑटोइम्यून कंडीशन्स का भी शुरुआती स्टेज पर पता लगाया जा सकता है. साथ ही, सीनियर सिटिजन्स में इस टेस्ट से इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन जैसे सोडियम लेवल्स कम होना, असामान्य पोटेशियम लेवल का भी पता चल जाता है.

3. लिपिड प्रोफाइल (Lipid Profile)
आजकल की लाइफस्टाइल को देखते हुए यह टेस्ट बहुत ज्यादा जरूरी है. इससे कोलेस्ट्रॉल (अच्छे और बुरे कोलेस्ट्रॉल) और ट्राइग्लिसराइड के लेवल्स पता चलते हैं और समय से निदान करने से आप दिल से संबंधित बीमारियों से बच जाते हैं. 

4. लिवर फंक्शन टेस्ट (Liver function test)
एक स्वस्थ लिवर इस बात का संकेत है कि आपका शरीर टॉक्सिन्स को फिल्टर करने और आपके शुगर लेवल को नियंत्रित करने में सक्षम है. हालांकि, टेस्ट में अगर बिलीरुबिन, लिवर एंजाइम का स्तर बढ़ा हुआ मिले तो मतलब, लिवर की बीमारी जैसे फैटी लिवर, सिरोसिस होने का रिस्क है. यह टेस्ट लिवर या पित्ताशय में किसी पथरी या ट्यूमर आदि का पता लगाने में भी मददगार हो सकता है. 

5. यूरीन रूटीन (Urine Routine Test)
यूरीन एनालिसिस में किसी भी संभावित यूरीन इंफेक्शन की जांच के लिए यूरीन की जांच की जाती है. यूरीन में रक्त या प्रोटीन की उपस्थिति किडनी की बीमारियों का जल्दी निदान करने में सहायक होती है. 

6. रैंडम ब्लड शुगर लेवल (Random blood sugar level)
डायबिटीज भी एआजकल बहुत ज्यादा किशोरों और युवाओं को प्रभावित कर रही है. एक रैंडम ब्लड शुगर लेवल टेस्ट डायबिटीज मेलिट्स का पता लगा सकता है जो किसी भी उम्र में हो सकता है. 

7. प्रोस्टेट स्पेस्फिक एंटीजन (पुरुषों के लिए> 50 वर्ष) (Prostate specific antigen)
प्रोस्टेट कैंसर का जल्द पता लगाने के लिए साल में एक बार पीएसए टेस्ट कराना महत्वपूर्ण है.

8. पैप स्मीयर (महिलाओं के लिए > 50 वर्ष) (Pap Smear)
पैप स्मीयर, जिसे पैप टेस्ट के नाम से जाना जाता है, सर्वाइकल कैंसर का जल्द पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण है.

9. मैमोग्राम (महिलाओं के लिए > 40 वर्ष) (Mammogram)
हर साल मैमोग्राम लेना, जो अनिवार्य रूप से छाती का एक्स-रे है, ब्रेस्ट कैंसर का शुरुआती स्टेज में पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण है.

10. विटामिन डी और बी 12 (Vitamin D and B12)
शहरी आबादी में विटामिन डी की कमी बहुत आम है. शाकाहारी लोगों में आमतौर पर विटामिन बी12 की कमी होती है. अपने विटामिन डी और बी12 लेवल्स की जांच करने से आपको स्वास्थ्य को सुधारने में मदद मिलेगी क्योंकि उसके अनुसार आप अपने आहार, जीवन शैली और भोजन के पैटर्न को बदल या प्रबंधित कर सकते हैं. 

(Note: यह लेख इंटरनेट पर उपलब्ध पर आधारित जानकारी पर आधारित है. अधिक जानकारी के लिए आप किसी डॉक्टर से जरूर कंसल्ट करें.)