Representational Image
Representational Image वडोदरा में एमएस यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च स्कॉलर ने एक अनोखा फैब्रिक विकसित किया है. इस फैब्रिक को Magic Fabric कहा जा रहा है क्योंकि यह फैब्रिक बैंडेज का काम करता है और यह शारीरिक घावों को तेजी से ठीक कर सकता है. इस खास कपड़े को बनाया है रश्मि पचौरी ने.
अगर सबकुछ रश्मि की सोच के मुताबिक हुआ तो इस खास कपड़े को सेना के जवानों के लिए पट्टी के रूप में इस्तेमाल करने के लिए सरकार की मंजूरी मिल सकती है!
कैसे बना है यह कपड़ा
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, साराका असोका (अशोक पेड़) के अर्क का इस्तेमाल करके जैविक गुणों के साथ इस 'मैजिक' फैब्रिक का उत्पादन किया गया है. एमएसयू के टेक्नोलॉजी और इंजीनियरिंग फैकल्टी के टेक्सटाइल केमिस्ट्री डिपार्टमेंट के पीएचडी स्कॉलर रश्मी ने इसके प्रभाव को देखने के बाद, इस कपड़े को बैंडेज मेटेरियल के रूप में इस्तेमाल करने के लिए केंद्र सरकार से भी मंजूरी मांगी है.
रश्मि ने डॉ जयेंद्र शाह के मार्गदर्शन में अपनी रिसर्च पूरी की है. उन्होंने टीओआई को बताया कि यह कपड़ा खुले घावों को जल्दी ठीक कर सकता है. सामान्य तौर पर किसी खुले घाव को ठीक होने में लगभग 15 दिन का समय लगता है, तो इस कपड़े को खुले घाव पर लगाने से ठीक होने में 8-10 दिन लगते हैं. उनके प्रोजेक्ट का लक्ष्य एंटी-माइक्रोबियल और यूवी प्रोटेक्शन प्रॉपर्टीज वाला एक कपड़ा विकसित करना है.
महिलाओं का दोस्त हैं अशोक का पेड़
सदियों से, अशोक के पेड़ को "महिलाओं का मित्र" कहा जाता है. इसे ध्यान में रखते हुए, रिसर्च स्कॉलर ने साराका असोका का एक फिनिश विकसित किया. सैनिटरी नैपकिन पर फिनिश की एक परत यह सुनिश्चित करती है कि पीरियड्स के दौरान उचित स्वच्छता बनी रहे. अपने प्रोजेक्ट के लिए, उन्होंने ऑर्गेनिक कॉटन, लिनन और बांस जैसे सेल्यूलोसिक सब्सट्रेट्स पर रिसर्च शुरू की. लेकिन एक बार जब कई टेस्ट और ट्रायल्स के बाद कपड़ा विकसित किया गया, तो उन्होंने देखा कि कपड़े में घाव को जल्दी भरने के गुण भी थे.
इस गुण को स्थापित करने के लिए, उन्होंने कपड़े पर और कई क्वालिटेटिव और क्वांटिटेटिव टेस्ट किए. ब्लड सेल्स पर टेस्ट से पता चला कि ब्लड तेजी से जमा हुआ है. इस कपड़े में घाव भरने के गुण अशोक के अर्क से मिले हैं. यह जड़ी बूटी अपने एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों के कारण घावों के उपचार में बहुत उपयोगी है. यह विभाग अब इस कपड़े की मार्केटिंग के एक दवा कंपनी के साथ बातचीत कर रहा है, और साथ ही, एक फिनिश तैयार कर रहा है जिसका उपयोग महिलाएं सैनिटरी नैपकिन में कर सकती हैं.