
एनोरेक्सिया नर्वोसा एक तरह ही खाने की बिमारी है. इसमें मरीज कितना भी भूखा रहे फिर भी वह खाना नहीं खाता है. वह कम से कम खाना खाने की कोशिश करता है. जिसके चलते उसके शारीरिक सेहत पर भी असर पड़ता है. यह बीमारी आमतौर पर उन लोगों को होती है जो खुद को लंबे समय तक भुखा रखते हैं. इसके साथ ही वह भी इस बीमारी के शिकार हो जाते हैं जिन्हें यह डर सतात है कि वह कुछ भी खाएंगे तो वह मोटे हो जाएंगे. जिसके चलते वह खाना नहीं खाते हैं. इस कारण वह कुपोषित हो जाते है. वहीं यह एक मानसिक बीमारी भी है.
एनोरेक्सिया नर्वोसा के कारण
एनोरेक्सिया नर्वोसा किन कारणों के चलते होता है अभी तक शोधकर्ता इसका पता नहीं लगा पाए हैं. लेकिन उनका मानना हैं कि यह कई कारणों के चलते हो सकता है. शोधकर्ताओं के अनुसार यह बीमारी अनुवांशिक भी हो सकती है. इसके साथ ही दूसरों से प्रभावित होकर भी. कई ऐसे लोग होते हैं जो बेहद पतले होते है. जिससे लोग प्रभावित होकर वैसा ही होना चाहते हैं. जिसके चलते वह अधिक पतला होने की कोशिश में एनोरेक्सिया के शिकार हो जाते है. इसके साथ ही कई तरह की भावनात्मक कारक के चलते भी एनोरेक्सिया के शिकार हो जाते है. शरीर का वजन कम करने के लिए कई लोग खाना खाना बेहद कम कर देते है. इसके साथ ही परिवारिक इतिहास होने पर भी एनोरेक्सिया का जोखिम हो सकता है.
एनोरेक्सिया नर्वोसा के लक्षण
एनोरेक्सिया होने पर व्यक्ति खाना खाना बेहद कम कर देता है. साथ ही काफी कसरत करता है. बार-बार अपने वजन चेक करता रहता है. वह सभी खाने की कैलोरी चेक करके ही खाता है. उन्हें वजन बढ़ने का डर होता है. स्किन शुष्क होने के साथ ही पीली पड़ने लगती है. उन्हें एंग्जायटी अटैक या डिप्रेशन की समस्या होने लगती है. उन्हें ठंड लगने लगती है. हॉर्ट संबंधी समस्या होने लगती है. शरीर में हार्मोनल असंतुलित होने लगते हैं.
एनोरेक्सिया नर्वोसा का इलाज
एनोरेक्सिया जैसी गंभीर बीमारी का इलाज करने में सबसे ज्यादा मददगार साबित डॉक्चर की सलाह लेना हो सकती है. डॉक्टर की मदद से कोई भी मानसिक बीमारी से बाहर आया जा सकता है. ऐसा माना जाता है कि डॉक्टरों द्वारा सुझाया गया कोगनेटिव बिहेवियर काफी मदद होती है. इसमें डॉक्टर आपके आस-पास खाने के बारे में सोचने और उन्हें खाने की ललक को बढ़ाने के नए तरीकों के बारे में बताया जाता है. इसके साथ ही उन्हें सलाह दी जाती हैं कि पोषण युक्त आहार के सेवन से शरीर के बजन के बढ़ाने के बारे में बताया जाता है. इसके अलावा योग और मेडिटेशन के जरिए इस समस्या से निपटने में मदद किया जाता हैं.