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AMR क्या है, क्यों है यह हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरा? इससे बचाव के तरीकों का WHO कर रहा दुनियाभर में प्रसार

AMR Awareness Week 2023: डब्ल्यूएचओ के मुताबिक एएमआर वैश्विक स्तर पर मानवता के सामने आने वाले 10 सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य के खतरों में से एक है. इससे हर साल दुनिया में 50 लाख लोग दम तोड़ रहे हैं.

Antibiotic Medicine (symbolic photo) Antibiotic Medicine (symbolic photo)
हाइलाइट्स
  • दवाओं का दुरुपयोग है एएमआर विकसित होने का बड़ा कारण 

  • डॉक्टरों की सलाह पर ही एंटीबायोटिक दवाओं का करें उपयोग 

इस साल 24 नवंबर तक विश्व एएमआर जागरूकता सप्ताह मनाया जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) एएमआर (एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस) को रोकने के लिए जरूरी और तुरंत किए जाने वाले कार्यों की जानकारी दुनियाभर में प्रसारित कर रहा है. आइए जानते हैं एएमआर क्या होता है और यह कैसे हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है?

क्या होता है एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस
जब रोग फैलाने वाले सूक्ष्मजीव जैसे बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और पैरासाइट्स पर उनके इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाओं का असर नहीं होता है तो इस स्थिति को एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) कहा जाता है. जब एंटीबायोटिक से लगातार किसी जीवाणु संक्रमण का इलाज किया जाता है, और कामयाबी नहीं मिलती है तो वह जीवाणु उस दवा के खिलाफ प्रतिरोध विकसित कर लेता है, जिससे संक्रमण का इलाज करना मुश्किल या असंभव हो जाता है. इन्हें कभी-कभी सुपरबग्स भी कहा जाता है.

एएमआर विकसित होने का सबसे बड़ा कारण
एएमआर विकसित होने का सबसे बड़ा कारण दवाओं का दुरुपयोग है. अक्सर जरूरत नहीं होने पर भी जल्द स्वस्थ होने के लिए एंटी बायोटिक, एंटी फंगल और एंटी पैरासिटिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है. इससे मनुष्यों के साथ ही जानवरों, पौधों और पर्यावरण के लिए भी खतरा पैदा हो रहा है.

हर साल इतने लोग तोड़ रहे हैं दम
एंटी बायोटिक दवाओं के गलत इस्तेमाल की वजह से मानवता के सामने एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) किसी भी महामारी की तुलना में सबसे बड़े स्वास्थ्य खतरे के तौर पर उभरा है. एक अनुमान के मुताबिक 2050 तक इस एमएमआर की वजह से दुनिया में हर साल 1 करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत होगी. यह आंकड़ा कितना भयावह है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस सदी की सबसे भयावह महामारी कोविड की वजह से तीन वर्ष में करीब 70 लाख लोगों की मौत हुई. जबकि, एमएमआर की वजह से फिलहाल, हर साल दुनिया में 50 लाख लोग दम तोड़ रहे हैं. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक एएमआर वैश्विक स्तर पर मानवता के सामने आने वाले 10 सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य के खतरों में से एक है. 

ब्रिक्स देशों एंटीबायोटिक के सबसे अधिक सेवन
एक अध्ययन के मुताबिक 2000 और 2010 के बीच दुनियाभर में एंटीबायोटिक के सेवन में होने वाली कुल बढ़ोतरी का 76 फीसदी सेवन ब्रिक्स देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ने किया. इसमें से 23 फीसदी हिस्सेदारी भारत की थी. आमदनी बढ़ने से एंटीबायोटिक ज्यादा लोगों की पहुंच में आ रहे हैं और इससे जानें बच रही हैं, लेकिन इससे एंटीबायोटिक की उचित और अनुचित दोनों तरह की खपत भी बढ़ रही है. 

साथ ही जिस तरह से कृषि और मवेशियों में एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल बढ़ रहा है वो भी इसके खतरे को और बढ़ा रहा है. जानवरों को दी जा रही एंटीबायोटिक लौटकर इंसानों के शरीर में ही पहुंच रहा है. एक रिपोर्ट में भारत के पोल्ट्री फार्मों में बढ़ते एंटीबायोटिक के इस्तेमाल पर चिंता जाहिर की गई थी. जहां न केवल मुर्गियों को बीमारियों से बचाने बल्कि वजन बढ़ाने के लिए भी इन दवाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है. जिससे एंटीबायोटिक रजिस्टेंट बैक्टीरिया का उभार हो रहा है.

क्या अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है इसका असर
विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2050 तक दुनिया भर में स्वास्थ्य देखभाल पर करीब 80 लाख करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा. रोगाणुरोधी प्रतिरोध का इलाज कराने के लिए अस्पताल के चक्कर लगाने से 2030 तक अतिरिक्त 2.4 करोड़ लोग गरीबी के गर्त में जा सकते हैं. इसके अलावा एएमआर की वजह से वैश्विक निर्यात में 3.8% की कमी होगी. पशुधन उत्पादन में प्रति वर्ष 7.5% की कमी होगी. 

डब्ल्यूएचओ के इन परामर्शों का करें पालन
अक्सर हम बिना डॉक्टर के परामर्श के एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग कर लेते हैं. इसके कारण खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है. प्रभाव को कम करने और प्रतिरोध के प्रसार को सीमित करने के लिए समाज को सभी स्तर पर कदम उठाना होगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन के परामर्श आलेख के अनुसार-
1. डॉक्टरों की ओर से निर्धारित किए जाने पर ही एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग करें.
2.  यदि डॉक्टर कहते हैं कि आपको एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता नहीं है, तो कभी भी बिना जरूरत के एंटीबायोटिक का प्रयोग नहीं करें.
3. डॉक्टर के परामर्श के अनुसार ही एंटीबायोटिक दवाओं की डोज लें. जल्दी ठीक होने के लिए ओवरडोज लेना खतरनाक हो सकता है.
4. बची हुई एंटीबायोटिक दवाओं का कभी भी उपयोग न करें.
5. नियमित रूप से हाथ धोने, साफ-सफाई से भोजन तैयार करने, बीमार लोगों के साथ निकट संपर्क से बचने, सुरक्षित यौन संबंध बनाने और टीकाकरण का पालन करने से संक्रमण से बचाव किया जा सकता है.