
आजकल के खानपान की हैबिट्स और लाइफस्टाइल की वजह से 30 साल से ज्यादा के लोगों में कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ने का खतरा रहता है. बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल लेवल कई गंभीर हेल्थ प्रॉब्लम्स पैदा करता है. बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल से हार्ट अटैक भी हो सकता है, इससे जान भी जा सकती है. कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर भी कहा जाता है. क्योंकि इस बीमारी का कोई खास लक्षण और सकेंत नहीं होता है. यही वजह है कि कोलेस्ट्रॉल को लेकर गूगल पर कई सारे सवाल सर्च किए जाते हैं. आज हम आपको कोलेस्ट्रॉल से जुड़े गूगल पर सर्च किए जाने वाले कुछ सवालों के साथ उनका जवाब भी बता रहे हैं.
कोलेस्ट्रॉल क्या है? (What is Cholesterol?)
कोलेस्ट्रॉल एक लुब्रिकेंट (एक तरह का वसा )है, जो लिवर से बनता है. यह बॉडी में हॉर्मोन्स को कंट्रोल करने के अलावा सुरज की रोशनी को विटामिन D में बदलने में मदद करता है. कोलेस्ट्रॉल बॉडी से टॉक्सिन्स को सोखकर हेल्दी रखता है. जो ब्रेन के लिए भी फायदेमंद होता है. हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल के दो सोर्स होते हैं पहला वसा और दूसरा हमारा लीवर .
कोलेस्ट्रॉल लिपोप्रोटीन नाम के गोलाकार कणों से आपके ब्लड में ले जाया जाता है. ये जानना जरूरी है कि हमारे शरीर में ज्यादातर कोलेस्ट्रॉल हमारे लीवर से बनता है, ना कि हमारे खाए गए भोजन से. इसलिए जब किसी को हाई कोलेस्ट्रॉल होता है तब उसे तो कम वसा वाला खाना खाने की सलाह दी जाती है. ताकि दवाओं के साथ खानपान भी इलाज में मदद कर सके.
कैसे पता करें कि आपको हाई कोलेस्ट्रॉल है? (How Do I Know If I Have High Cholesterol?)
हाई कोलेस्ट्रॉल में आमतौर पर तब तक कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं जब तक ये बहुत ज्यादा बढ़ जाए. ये बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल दिल का दौरा पड़ने का खतरा पैदा करती है. लिपिड पैनल (एक तरह का ब्लड टेस्ट) के जरिए कोलेस्ट्रॉल के लेवल की जांच की जा सकती है. कोलेस्ट्रॉ का सही समय पर जांच और इलाज जरूरी है ताकि समय रहते किसी बड़े खतरे से बचा जा सके.
इलाज के साथ कोलेस्ट्रॉल के लेवल को सही करने के लिए जीवन शैली में बदलाव करने की सलाह दी जाती है.खान पान में सैचुरेटेड फैट के इस्तेमाल को पूरी तरह से बंद करने, साथ ही मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसेचुरेटेड फैट का इस्तेमाल ज्यादा करने की सलाह दी जाती है.अच्छे वसा के लिए खानपान में वनस्पति तेल (जैसे जैतून, कैनोला, सूरजमुखी, सोया और मक्का) नट, बीज, और मछली खाने की सलाह दी जाती है.
हालांकि, हाई कोलेस्ट्रॉल वाले मरीजों को नियमित रूप से दवा खाने की सलाह दी जाती है. कई बार कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की समस्या अनुवांशिक भी होती है. लेकिन ज्यादातर मामलों में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की वजह दिनचर्या और खान-पान बताया गया है. यानी ये साफ है कि आप अपने खान-पान और जिवनशैली में बदलाव करके आप इस बीमारी को कंट्रोल कर सकते हैं.
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण (symptoms of cholesterol)
बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को पहचानने के लिए कोई खास लक्षण नहीं होते हैं. डॉक्टर्स आपके शरीर की जांच के बाद ही इसके होने ना होने की पुष्ठी करते हैं. यानी आप अपने ब्लड टेस्ट के जरिए कोलेस्ट्रॉल के हाई या लो होने के बारे में जान सकते हैं. कई बार लगातार मितली आना, जबड़ों और बाहों में दर्द होना, सांस लेने में समस्या होना और बहुत ज्यादा पसीना आना, जैसी दिक्कतें एक साथ हों तो आपको इन्हें गंभीरता से लेना चाहिए. ये बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल के लक्षण हो सकते हैं.
कोलेस्ट्रॉल के प्रकार (Types of Cholesterol)
कोलेस्ट्रॉल दो तरह के होते हैं. गुड कोलेस्ट्रॉल और बैड कोलेस्ट्रॉल. गुड कोलेस्ट्रॉल (Good Cholestero) की तो हमें जरूरत होती है लेकिन बैड कोलेस्ट्रॉल (Bad Cholesterol) के बिना भी हम रह सकते हैं. बैड कोलेस्ट्रॉल जब शरीर में बढ़ता है तो यह धीरे-धीरे ब्लड स्ट्रीम्स (रक्त धमनियों) में जमने लगता है. जिसकी वजह से खून के प्रवाह में दिक्कत आने लगती हैं. इसे एथेरोस्क्लेरोसिस रोग कहा जाता है. यानी कि ब्लड वेसल्स अंदर से छोटा होने लगता है. इस वजह से दिल की बीमारियां (heart problems), हार्ट स्ट्रोक (stroke) या वस्क्यूलर जैसी परेशानी होती है. आपके ब्लड फ्लो में जितना कोलेस्ट्रॉल मौजूद होता है, वह आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल कहलाता है.
महिलाओं में कोलेस्ट्रॉल हाई होने की वजह (What Causes High Cholesterol in Women?)
महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले एचडीएल कोलेस्ट्रॉल का लेवल ज्यादा होता है. इसकी वजह महिलाओं में पाया जाने वाला एस्ट्रोजन हार्मोन है. ये हार्मोन कोलेस्ट्रॉल लेवल को बढ़ाता है. महिलाओं में मोटापा होना इसकी एक वजह मानी जाती है. दूसरी तरफ खराब खान-पान भी महिलाओं के कोलेस्ट्रॉल लेवल पर भी असर डालता है. इस वजह से महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले दिल की बीमारी ज्यादा होती है. अंडे, मांस और डेरी प्रोडक्ट में हाई कैलोरी फैट भरपूर मात्रा में होते हैं. इस तरह आपका खान-पान आपके शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल के लेवल को बढ़ाता है.
क्या कोलेस्ट्रॉल जल्दी ठीक हो सकता है (What Reduces Cholesterol Quickly?)
दवाओं के इस्तेमाल से कोलेस्ट्रॉल जल्दी ठीक हो सकता है, साथ ही केवल आहार और व्यायाम से कोलेस्ट्रॉल कम तो होता है लेकिन इसमें काफी समय लग जाता है. कोलेस्ट्रॉल के इलाज के लिए स्टैटिन सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली दवा है. ये दवा दशकों से इस्तेमाल की जा रही है लेकिन कई कोलेस्ट्रॉल के मरीज इस दवा को बर्दाशत नहीं कर पाते. ऐसे मरीजों को साल में दो बार इंजेक्शन के बाद क्विओ (इनक्लिसिरन नाम की दवा दी जाती है.
कैसे करें बचाव (Preventions)
बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को अनदेखा करना बेहद ही खतरनाक होता है. आगे चल कर ये अनदेखी जान के लिए खतरा बन जाती है. हमें कोलेस्ट्रॉल से बचने के लिए अपने खान-पान और दिनचर्या में ये चीजें जरूर शामिल करनी चाहिए.
एलडीएल (LDL), एचडीएल (HDL )और वीएलडीएल (VLDL) कोलेस्ट्रॉल का नॉर्मल रेंज
लो डेंसिटी लिपो प्रोटीन- ये सबसे ज्यादा खतरनाक कोलेस्ट्रॉल है. इसे बैड कोलेस्ट्रॉल के रूप में जाना जाता है. शरीर में इसकी मात्रा कम रखना जरूरी है, वरना हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है.
हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन- इसे गुड कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है. अगर शरीर में एचडीएल की ज्यादा है, तो आपका दिल हेल्दी है. शरीर में हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या तब होती है, जब आप अनहेल्दी फैटी फूड्स का इस्तेमाल करते हैं.
वेरी लो डेंसिटी लिपो प्रोटीन- वीएडीएल शरीर के लिए बुरा कोलेस्ट्रॉल भी माना जाता है. ट्राइग्लिसराइड (VLDL) 150 mg/dl से कम होना बेहतर है.
19 साल और उससे कम उम्र के बच्चों में
बच्चों में कुल कोलेस्ट्रॉल 170 mg/dL से कम होना चाहिए. वहीं एलडीएल 100 mg/dL से कम होना चाहिए. अगर आपके बच्चे का एलडीएल कोलेस्ट्रॉल लेवल वयस्कों के मुकाबले ज्यादा है तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए और खान-पान में बदलाव करना चाहिए.
20 से ज्यादा उम्र की महिलाओं में
महिलाओं में कुल कोलेस्ट्रॉल का लेवल 125 से 200 mg/dL होना चाहिए. अगर महिलाओं में एलडीएल लेवल 100 mg/dL से कम है तो हल्दी कोलेस्ट्रॉल माना जाएगा. वहीं एचडीएल 50 mg/dL या इससे ज्यादा होना चाहिए.
20 साल से ज्यादा के पुरुषों में
पुरुषों के कुल कोलेस्ट्रॉल का लेवल 125 से 200 mg/dL है. पुरुषों में एलडीएल 125 से 200 mg/dL होना चाहिए. वहीं एचडीएल कोलेस्ट्रॉल 40 mg/dL है तो हेल्दी कोलेस्ट्रॉल माना जाएगा.