
पब्लिक वॉशरूम में आपने अक्सर देखा होगा कि अब टिश्यू पेपर होल्डर्स की जगह एयर ड्रायर का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है. इन्हें इको-फ्रेंडली विकल्प बताया जाता है, क्योंकि यह पेपर वेस्ट को कम करते हैं. लेकिन क्या वाकई ये मशीनें हमारी सेहत के लिए सुरक्षित हैं? हाल के वर्षों में वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस सवाल पर गंभीर चेतावनी दी है.
हाथ धोने का असली मकसद बेकार?
हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि एयर ड्रायर हाथ धोने के पूरे मकसद को ही खराब कर सकते हैं. दरअसल, ये ड्रायर न सिर्फ आपके हाथों पर बैक्टीरिया वापस फैला सकते हैं, बल्कि पूरे वॉशरूम के वातावरण को भी दूषित कर देते हैं.
बायोलॉजिस्ट लॉरा गोंजालेज़ ने हाल ही में सोशल मीडिया पर बताया कि पब्लिक टॉयलेट्स में इस्तेमाल होने वाले शक्तिशाली जेट ड्रायर हवा में मौजूद टॉयलेट फ्लश एयरोसॉल्स (टॉयलेट फ्लश से निकलने वाले सूक्ष्म कण) को खींचकर वापस हाथों और वातावरण में फैला देते हैं.
वैज्ञानिक शोध क्या कहते हैं?
कनेक्टिकट यूनिवर्सिटी और क्विनिपैक यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में पाया कि जब पेट्री डिशेज को एयर ड्रायर के सामने रखा गया, तो उन पर लगभग 254 बैक्टीरियल कॉलोनियां विकसित हुईं. जबकि, जब ड्रायर बंद रखे गए तो लगभग कोई बैक्टीरिया नहीं उगा. इसका मतलब है कि बैक्टीरिया का अधिकांश स्रोत टॉयलेट से उड़ने वाले एयरोसॉल्स ही थे.
2018 में अमेरिकन सोसाइटी फॉर माइक्रोबायोलॉजी द्वारा किए गए अध्ययन में यह पुष्टि हुई कि हॉट-एयर ड्रायर वास्तव में दूषित हवा के प्रवाह के जरिए स्पोर्स और पैथोजेन्स फैलाते हैं. यहां तक कि HEPA फिल्टर वाले मॉडर्न ड्रायर भी संक्रमण फैलाने से रोक नहीं पाए. Infection Control & Hospital Epidemiology जर्नल में प्रकाशित रिसर्च ने बताया कि HEPA ड्रायर भी बैक्टीरिया को वॉशरूम में बड़े पैमाने पर फैला सकते हैं.
पेपर टॉवल क्यों बेहतर हैं?
पेपर टॉवल्स न केवल हाथों से नमी हटाते हैं बल्कि हाथों पर मौजूद माइक्रोब्स को भी सोख लेते हैं. यही कारण है कि कई रिसर्च, जैसे कि Mayo Clinic Proceedings ने पाया कि पेपर टॉवल्स बैक्टीरिया के फैलाव को कम करने में कहीं ज्यादा प्रभावी हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) सहित कई स्वास्थ्य संस्थान भी मानते हैं कि हाथ सुखाने के लिए पेपर टॉवल सबसे सुरक्षित विकल्प हैं, खासकर पब्लिक प्लेस जैसे अस्पतालों, हवाई अड्डों और स्कूलों में.