
विज्ञापनों के द्वारा लोगों को भ्रमित करना कंपनी के लिए एक आम बात है. वह इस तरह के विज्ञापन इसलिए भी बनवाती हैं ताकि लोग उनके प्रोडक्ट की तरफ खींचे चले आए. लेकिन वीएलसीसी लिमिटिड के एक विज्ञापन के कारण ग्राहकों का तो पता नहीं लेकिन केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) जरूर उनकी तरफ खींचता चला आया और भ्रामक विज्ञापन के चलते 3 लाख रुपए का फाइन लगा दिया.
क्या है मामला?
दरअसल वीएलसीसी ने यूएस-एफडीए द्वारा प्रमाणित कूलस्कल्पटिंग प्रक्रिया के माध्यम से वजन घटाने की बात अपने विज्ञापन में की थी. यह पहला मामला नहीं है जब इस प्रक्रिया से फैट लॉस की बात कही गई हो. इससे पहले काया लिमिटिड द्वारा भी ऐसा ही विज्ञापन पेश किया गया था. जिसमें इस प्रक्रिया के इस्तेमाल के बाद पहले की और बाद की तस्वीरों को दिखा कर लोगों को भ्रमित करने की कोशिश की गई. इस विज्ञापन को लेकर भी काया के उपर 3 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया था.
कैसे आया वीएलसीसी रडार में?
वीएलसीसी के इस विज्ञापन को लेकर एक शिकायत की आई. साथ ही ब्यूटी सेक्टर को लेकर प्रकाशित किए जाने वाले विज्ञापनों की निगरानी के दौरान भी यह विज्ञापन देखा गया. जांच के दौरान पता लगा कि वीएलसीसी कूलस्कल्पटिंग के केवल एक सेशन में ही काफी हद तक फैट घटाने की बात कर रहा है. उसने विज्ञापनों में एक सेशन में एक इंच तक मोटापा कम होने का दावा किया गया. यह दावा उस वास्तविक मंजूरी से काफी दूर था जो इस प्रक्रिया को दिया गया है.
कैसे दावे किए वीएलसीसी ने?
फैट लॉस को लेकर वीएलसीसी ने अपने विज्ञापन में इस प्रक्रिया के माध्यम से कई बड़े दावे किए:
क्या होता है कूलस्कल्पटिंग?
कूलस्कल्पटिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मशीन के जरिए शरीर के किसी एक भाग के सेल्स को फ्रीज किया जाता है. जिसके बाद वह नष्ट हो जाते हैं. ऐसे में अधिकांश रूप से वह फैट सेल्स होते हैं. यह मशीन कोई फैट लॉस ट्रीटमैंट का विकल्प नहीं है. साथ ही यह प्रक्रिया केवल वह लोग इस्तेमाल कर सकते हैं जिनका बीएमआई 30 या उससे कम हो.
वीएलसीसी को दी गई चेतावनी
वीएलसीसी को जुर्माने के साथ-साथ चेतावनी दी गई है कि वह अपने विज्ञापनों में इस प्रक्रिया को लेकर स्पष्ट करें कि किस हिस्सों के लिए यह प्रक्रिया कारगर है. साथ ही बीएमआई वाली बात को भी शामिल करे. साथ ही यूएस-एफडीए वाली सभी बातों को भी शामिल करे.