
world diabetes day
world diabetes day आज 'वर्ल्ड डायबिटीज डे' है. इस दिन का मकसद डायबिटीज के बढ़ते खतरे और उसकी रोकथाम को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाना है. इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (IDF) के आंकड़ों के अनुसार, साल 2024 में दुनिया में लगभग 58.9 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित थे. अनुमान है कि 2050 तक यह संख्या बढ़कर करीब 85.3 करोड़ तक पहुंच सकती है.
'वर्ल्ड डायबिटीज डे' पर हमने बात की मैक्स अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट एंडोक्राइनोलॉजी एंड डायबिटीज के डॉ. साकेत कांत से और डायबिटीज से जुड़े कई सवालों के जवाब जानने की कोशिश की.
सवाल: भारत में 25 साल से कम उम्र के युवाओं में डायबिटीज बढ़ने के 5 बड़े कारण क्या हैं?
1. लाइफस्टाइल में बदलाव
स्क्रीन टाइम बढ़ने से बच्चे और युवा लंबे समय तक बैठे रहते हैं. बाहर खेलने और वॉक जैसे एक्टिविटी कम होने से शरीर इंसुलिन को सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाता और डायबिटीज जल्दी शुरू हो जाती है.
2. मोटापा बढ़ रहा
कम उम्र में पेट के आसपास फैट तेजी से बढ़ रहा है. यह फैट इंसुलिन की कार्यक्षमता को घटा देता है, जिससे ब्लड शुगर बढ़ने लगता है.
3. प्रोसेस्ड फूड और जंक फूड
जंक फूड, चिप्स, कोल्ड ड्रिंक्स और रेडी-टू-ईट भोजन कैलोरी से भरपूर होते हैं लेकिन न्यूट्रीशन कम देते हैं. इससे मोटापा और इंसुलिन रेजिस्टेंस दोनों बढ़ते हैं.
4. जेनिटिक
अगर परिवार में किसी को डायबिटीज है तो जोखिम दोगुना होता है. खराब डाइट और कम एक्टिविटी इस जेनेटिक रिस्क को और तेजी से एक्टिव कर देती है.
5. स्ट्रेस और नींद कम लेना
पढ़ाई, करियर और सोशल प्रेशर से युवा तनाव में रहते हैं. तनाव बढ़ने से कोर्टिसोल हार्मोन बढ़ता है, जो सीधे ब्लड शुगर लेवल को ऊपर ले जाता है. नींद की कमी इसे और खराब करती है.
डॉ. साकेत कांत कहते हैं, हर युवा को रोज 45 मिनट फिजिकल एक्टिविटी करनी चाहिए. जंक फूड सीमित करें और नींद पूरी लें. यही डायबिटीज रोकने का सबसे आसान उपाय है.

सवाल: प्रीडायबिटीज पर तुरंत ध्यान देना क्यों जरूरी है?
प्रीडायबिटीज एक संकेत है जिसे नजरअंदाज करने पर टाइप 2 डायबिटीज हो सकती है. प्रीडायबिटीज का मतलब है कि हमारे शरीर में ब्लड शुगर का लेवल सामान्य से ज्यादा है, जो बताता है कि हमारे शरीर में इंसुलिन रेजिडेंस है और अगर समय पर ध्यान न दिया जाए तो यह डायबिटीज का कारण बन सकता है.
अच्छा खाना, नियमित व्यायाम और वजन कंट्रोल जैसे लाइफस्टाइल में बदलाव करके प्रीडायबिटीज को रोका जा सकता है. बहुत देर तक इंतजार करने से इसे कंट्रोल करना मुश्किल हो सकता है. इसलिए, लाइफस्टाइल में बदलाव करके प्रीडायबिटीज को कंट्रोल करना कहीं ज्यादा आसान होता है.
ICMR के एक सर्वे के मुताबिक, देश में 13.6 करोड़ लोग (कुल आबादी का 15.3%) प्री-डायबिटिक हैं.
सवाल: कौन से संकेत हैं बताते हैं कि आप प्रीडायबिटिक हैं?
लगातार थकान: पूरी नींद लेने के बाद भी शरीर में कमजोरी और थकावट महसूस होना ब्लड शुगर असंतुलन का शुरुआती संकेत हो सकता है.
ज्यादा भूख व मीठे की क्रेविंग: बार-बार भूख लगना या खासकर कार्ब्स और स्वीट्स खाने का मन करना इंसुलिन रेसिस्टेंस का लक्षण है.
वजन बढ़ना और कम न होना: डाइट व एक्सरसाइज के बावजूद वजन न कम होना, खासकर पेट के आसपास फैट बढ़ना, प्रीडायबिटीज का सबसे आम सिग्नल है.
त्वचा का काला पड़ना: गर्दन, बगल या ग्रोइन में काले, मोटे पैच होना इंसुलिन रेसिस्टेंस का संकेत है.
धुंधला दिखना: ब्लड शुगर के उतार-चढ़ाव से विजन ब्लर हो सकता है.
बार-बार प्यास लगना या हल्का सिरदर्द: ये भी शुरुआती शुगर disturbance के संकेत हैं, जिन्हें लोग अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं.

सवाल: भारत के युवाओं में टाइप-2 डायबिटीज क्यों बढ़ रही है?
डॉ. कांत के मुताबिक आज का युवा पहले से कहीं ज्यादा बैठे रहने वाली लाइफस्टाइल जी रहा है. घंटों मोबाइल-लैपटॉप पर काम, जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक और नींद का बिगड़ा रूटीन शरीर के मेटाबॉलिज्म को सीधे इफेक्ट कर रहा है.
स्टूडेंट्स और यंग प्रोफेशनल्स में स्ट्रेस ज्यादा बढ़ चुका है, जो हार्मोनल असंतुलन पैदा करता है और ब्लड शुगर बढ़ाता है. इसके साथ भारत की जेनेटिक प्रवृत्ति भी जोखिम को कई गुना बढ़ा देती है. चिंता की बात यह है कि युवा लक्षणों को गंभीरता से नहीं लेते और बीमारी अक्सर तब पकड़ी जाती है जब जोखिम बढ़ चुका होता है.
अर्ली-ऑनसेट डायबिटीज तेजी से परेशानियां लेकर आती हैं. दिल की बीमारी, किडनी डैमेज, नसों की समस्या और आंखों की क्षति इसका हिस्सा हैं. अच्छी बात यह है कि सही समय पर लाइफस्टाइल मैनेजमेंट से इसे कंट्रोल किया जा सकता है और कई मामलों में रिवर्स भी किया जा सकता है.
सवाल: डायबिटीज से बचाव के 7 आसान उपाय
संतुलित भोजन करें: पूरे अनाज, फल, सब्जियां, हेल्दी फैट्स और प्रोटीन लें. चीनी, मैदा और प्रोसेस्ड फूड कम करें.
रोज 30 मिनट एक्टिव रहें: वॉक, योग, साइक्लिंग, कोई भी शारीरिक गतिविधि शरीर की इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाती है.
वजन और BMI कंट्रोल में रखें: पेट की चर्बी घटाना सबसे जरूरी है क्योंकि यही डायबिटीज की जड़ है.
7-8 घंटे की नींद लें: सोने-जागने का समय फिक्स रखने से मेटाबॉलिज्म सुधरता है.
तनाव कम करें: मेडिटेशन, योग या डीप ब्रीदिंग रोज 10 मिनट भी काफी असर दिखाती है.
पानी ज्यादा पिएं: सोडा, पैकेज्ड जूस और शुगर ड्रिंक से बचें. पानी शरीर की इंसुलिन प्रतिक्रिया को सुधारता है.
नियमित स्क्रीनिंग कराते रहें: फास्टिंग शुगर और HbA1c टेस्ट हर साल करवाना जरूरी है. प्रीडायबिटीज समय रहते पकड़ में आ जाए तो उसे आसानी से रिवर्स किया जा सकता है.