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World's First Cementless Knee Replacement: जिस दिन सर्जरी उसी दिन चलने लगे, दुनिया में पहली बार हुआ घुटनों का सीमेंटलेस इम्प्लांट, 54 साल के मरीज को मिली नई जिंदगी!

झारखंड के धनबाद के बृज किशोर पिछले 8 साल से ऑस्टियोआर्थराइटिस और घुटनों के डिसऑर्डर (वैरस और फ्लेक्शन डिफॉर्मिटी) से पीड़ित थे. वह छोटी-सी दूरी भी बिना सहारे नहीं चल पाते थे. स्थानीय अस्पतालों, होम्योपैथी, और कोलकाता के डॉक्टरों से इलाज कराने के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ.

सीमेंटलेस नी रिप्लेसमेंट (प्रतीकात्मक तस्वीर) सीमेंटलेस नी रिप्लेसमेंट (प्रतीकात्मक तस्वीर)

क्या आपने कभी सुना कि कोई घुटने की सर्जरी के बाद उसी दिन चलने लगे? दुनिया में पहली बार ऐसा मुमकिन हुआ है. 2 जुलाई 2025 को दिल्ली के मैक्स अस्पताल ने दुनिया की पहली रोबोट-असिस्टेड सीमेंटलेस मेडियल पिवट नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की है. झारखंड के धनबाद के 54 साल के बृज किशोर, जो 8 साल से घुटनों के असहनीय दर्द और डिसऑर्डर से जूझ रहे थे, इस सर्जरी के बाद उसी दिन चलने लगे! 

क्या है यह सर्जरी?
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, साकेत ने CUVIS रोबोटिक सिस्टम और सीमेंटलेस मेडियल पिवट इम्प्लांट का इस्तेमाल कर यह सर्जरी की. पारंपरिक घुटने के ट्रांसप्लांट में सीमेंट का उपयोग होता है, लेकिन इस नई तकनीक में सीमेंटलेस इम्प्लांट हड्डी के साथ स्वाभाविक रूप से जुड़ जाता है.

इसका मतलब है कि हड्डी खुद इम्प्लांट के आसपास बढ़ती है, जिससे यह ज्यादा टिकाऊ और लंबे समय तक चलने वाला बनता है. मेडियल पिवट डिज़ाइन घुटने की प्राकृतिक हलचल की नकल करता है, जिससे मरीज को सीढ़ियां चढ़ने, चलने और रोज़मर्रा के कामों में आसानी होती है. 

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डॉ. सुजॉय भट्टाचार्जी, जो मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट के चेयरमैन हैं, कहते हैं, “यह सर्जरी भारत में मेडिकल साइंस की नई ऊंचाइयों का प्रतीक है. मरीज को सालों से दर्द और चलने में तकलीफ थी. सर्जरी के कुछ ही दिनों बाद उनकी रिकवरी देखकर हमारी पूरी टीम गदगद है.”

क्यों है यह सर्जरी खास?

  1. तेज रिकवरी: पारंपरिक सर्जरी में रिकवरी में हफ्तों लगते हैं, लेकिन इस तकनीक से मरीज कुछ ही दिनों में सामान्य ज़िंदगी में लौट सकते हैं.  
  2. प्राकृतिक अनुभव: मेडियल पिवट डिज़ाइन घुटने को प्राकृतिक हलचल देता है, जिससे मरीज को लगता है जैसे उनका अपना घुटना हो.  
  3. लंबी उम्र: सीमेंटलेस इम्प्लांट हड्डी के साथ बेहतर तरीके से जुड़ता है, जिससे यह ज्यादा टिकाऊ होता है.  
  4. रोबोटिक सटीकता: CUVIS रोबोटिक सिस्टम सर्जरी में इतनी सटीकता लाता है कि गलती की गुंजाइश ही नहीं रहती.  
  5. कम दर्द: मरीज को सर्जरी के बाद कम दर्द होता है, और वह जल्दी चलने-फिरने लगता है.

मरीज को दर्द से मिली आजादी
झारखंड के धनबाद के बृज किशोर पिछले 8 साल से ऑस्टियोआर्थराइटिस और घुटनों के डिसऑर्डर (वैरस और फ्लेक्शन डिफॉर्मिटी) से पीड़ित थे. वह छोटी-सी दूरी भी बिना सहारे नहीं चल पाते थे. स्थानीय अस्पतालों, होम्योपैथी, और कोलकाता के डॉक्टरों से इलाज कराने के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ. आखिरकार, वह दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल, साकेत पहुंचे. 23 जून 2025 को उनकी सर्जरी हुई, और हैरानी की बात- वह उसी दिन अपने पैरों पर चलने लगे! यह न सिर्फ मरीज के लिए, बल्कि पूरी मेडिकल फ्रैटर्निटी के लिए चमत्कार जैसा था.