
sperm transplant
sperm transplant अमेरिका में एक 20 साल के लड़के में स्पर्म बनाने वाली स्टेम सेल ट्रांसप्लांट (Stem Cell Transplant) किया है. यह अपने तरह का पहला ट्रांसप्लांट है. ये स्टेम सेल शरीर में शुक्राणु (sperm) बनाने का काम करती है. यह प्रक्रिया अब तक केवल जानवरों पर ही सफल हुई थी, लेकिन अब पहली बार किसी इंसान पर इसका परीक्षण किया गया है. अगर यह सफल रहता है, तो इंफर्टिलिटी से जूझ रहे लाखों पुरुषों के लिए ये उम्मीद की किरण हो सकती है.
क्या है मामला?
20 साल के लड़के को बचपन में हड्डी के कैंसर का इलाज कराने के लिए कीमोथेरेपी दी गई थी, जिसके कारण उसमें अज़ूस्पर्मिया (azoospermia) नाम बीमारी हो गई. Azoospermia ऐसी कंडीशन है जिसमें Semen में शुक्राणु नहीं बनते. इस वजह से लड़का प्राकृतिक रूप से पिता नहीं बन सकता था.
इलाज कैसे किया गया?
इलाज के दौरान, डॉक्टरों ने उस युवक की बचपन में ली गई और फ्रीज़ की गई स्टेम सेल्स को उसके टेस्टिस में वापस ट्रांसप्लांट किया. ये स्पर्म बनाने वाली स्टेम सेल्स होती हैं, जो जन्म के समय मौजूद होती हैं और युवावस्था में जाकर शुक्राणु बनाती हैं. ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया अल्ट्रासाउंड गाइडेड सुई से की जाती है.

क्या मिला अब तक का नतीजा?
फिलहाल युवक के वीर्य में शुक्राणु नहीं पाए गए हैं, लेकिन अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में बताया गया है कि उसके हार्मोन लेवल सामान्य हैं और कोई नुकसान नहीं हुआ है. करीब छह महीने बाद एक बार फिर सैंपल की जांच की जाएगी कि शुक्राणु बनने शुरू हुए हैं या नहीं.
इनफर्टिलिटी से जूझ रहे पुरुषों को होगा फायदा
डॉक्टरों का मानना है कि अगर ये तकनीक सुरक्षित और प्रभावी साबित होती है, तो कैंसर के इलाज से प्रभावित और अज़ूस्पर्मिया से ग्रसित पुरुषों के लिए यह वरदान साबित हो सकती है. यह तकनीक खास तौर पर लोगों के लिए कारगर हो सकती है जिन्हें युवावस्था से पहले कीमोथेरेपी दी गई होती है. ऐसे पुरुषों के लिए भी ये मददगार है जो अनुवांशिक या अन्य कारणों से टेस्टिकल फेलियर से जूझ रहे हैं. हालांकि मरीज से बचपन में बहुत कम मात्रा में स्टेम सेल्स ली गई थीं, जिससे शुक्राणुओं का प्रोडक्शन कम हो सकता है. अगर प्राकृतिक रूप से शुक्राणु नहीं बन पाते, तो भी IVF जैसी तकनीकों के जरिए पिता बनने की संभावना बनी रहती है.