scorecardresearch

अब दुनिया में बजेगा भारत की जड़ी बूटियों का डंका! गुजरात के जामनगर में बनेगा विश्व का पहला पारंपरिक औषधि केंद्र, PM ने दी बधाई 

इस सेंटर के लिए भारत सरकार ने 250 मिलियन डॉलर की मदद की है. इस सेंटर को बनाने के पीछे का उद्देश्य लोगों और पृथ्वी की सेहत में सुधार लाना है और लोगों पारम्परिक चिकित्सा के तरफ मोड़ना है. शुक्रवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसकी स्थापना के लिए भारत सरकार के साथ समझौता किया है.

Traditional Medicine Centre Traditional Medicine Centre
हाइलाइट्स
  • पारंपरिक चिकित्सा लोगों की पहली पसंद: WHO 

  • 2020 में की गई थी इसकी घोषणा 

सदियों से भारत पारम्परिक चिकित्सा केंद्र का गढ़ रहा है. सालों पुरानी हमारी कई किताबों में ज्यादातर बीमारी का इलाज लिखा हुआ है. हमारी दादी-नानी के नुस्खों से लेकर गंभीर से गंभीर बीमारी का इलाज हमारे पास मौजूद है. अब इसे पूरी दुनिया तक पहुंचाया जाएगा.  गुजरात के जामनगर में एक वैश्विक पारंपरिक औषधि केंद्र (India Traditional Medicine) बनने जा रहा है. शुक्रवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसकी स्थापना के लिए भारत सरकार के साथ समझौता किया है. इसपर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ट्वीट करके प्रसन्नता जाहिर की है.

पीएम ने ट्वीट कर दी बधाई 

पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा, भारत की पारंपरिक औषधि और स्वास्थ्य के तरीके विश्व में काफी लोकप्रिय हैं. डब्ल्यूएचओ का ये सेंटर हमारे समाज को तंदरुस्त रखने में काफी मदद करेगा. बता दें, WHO का ये सेंटर दुनिया में अपनी तरह का पहला होगा. 

पारंपरिक चिकित्सा लोगों की पहली पसंद: WHO 

बता दें, डब्ल्यूएचओ ने अपने बयान में लिखा कि दुनिया की लगभग 80% आबादी पारंपरिक चिकित्सा का उपयोग करती है. आज तक, 194 WHO सदस्य राज्यों में से 170 ने पारंपरिक चिकित्सा का उपयोग किया है.

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने कहा, "दुनिया भर में कई लाख लोगों के लिए, पारंपरिक चिकित्सा कई बीमारियों के इलाज के लिए पहली पसंद है. यह सुनिश्चित करना कि सभी लोगों की सुरक्षित और प्रभावी उपचार तक पहुंच हो, ये डब्ल्यूएचओ के मिशन का एक जरूरी हिस्सा है. यह नया केंद्र पारंपरिक चिकित्सा को मजबूत बनाने में और मदद करेगा. मैं इसके लिए भारत सरकार का आभारी हूं, और हम सभी इसे सफल बनाने के लिए तत्पर हैं."

2020 में की गई थी इसकी घोषणा 

गौरतलब है कि 5वें आयुर्वेद दिवस 13 नवंबर, 2020 को इसकी घोषणा की गई थी. ये घोषणा स्विट्जरलैंड के जिनेवा में की गई थी. जिसमें पीएम मोदी के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक भी मौजूद थे. वहीं,केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस सेंटर की स्थापना को 9 मार्च को मंजूरी दी थी. 

आपको बताते चलें, इस सेंटर के लिए भारत सरकार ने 250 मिलियन डॉलर की मदद की है. इस सेंटर को बनाने के पीछे का उद्देश्य लोगों और पृथ्वी की सेहत में सुधार लाना है. और लोगों पारम्परिक चिकित्सा के तरफ मोड़ना है.