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भारत

PM Modi Birthday: 70 साल बाद देश में ‘Cheetah Return’, देखिए मोदी संग चीतों की शानदार तस्वीरें

इन सभी चीतों को 24 लोगों की एक टीम के साथ नामीबिया से भारत लाया गया.
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इन चीतों को एक खास पिंजरों में बंद करके नामीबिया से लाया गया है. ग्वालियर एयरबेस पर उतरने के बाद रुटीन चेकअप किया गया और फिर यहां से चिनूक हेलिकॉप्टर के जरिए इन सभी चीतों को कूनो वाइल्ड लाइफ सेंचुरी लाया गया. इन सभी चीतों को 24 लोगों की एक टीम के साथ नामीबिया से भारत लाया गया. देखरेख के लिए नामीबिया के वेटरनरी डॉक्टर भी चीतों के साथ भारत आए हैं. 
 

कूनो वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में चीते की फोटो खींचते पीएम मोदी
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नामीबिया से लाए गए चीतों को पीएम मोदी के जन्मदिन का तोहफा भी बताया जा रहा है. ये चीते देश से लुप्त हो चुके थे, अब लंबे समय बाद फिर एक बार देशके वातावरण में बसाने की कोशिश की जा रही है. बता दें कि  प्रधानमंत्री मोदी ने कूनो नेशनल पार्क में बॉक्स खोलकर तीन अफ्रीकन चीतों को क्वारंटीन बाड़े में छोड़ दिया है.  10 फीट ऊंचें सुरक्षित मंच से प्रधानमंत्री ने इन चीतों को छोड़ने का काम किया है. दरअसल जिस मंच से पीएम ने चीतों को छोड़ा, मंच के ठीक नीचे पिंजरे में ये सभी चीते रखे गए थे.

चीतों को निहारते पीएम मोदी
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चीते बाहर आते ही अनजान जगह में सहमे हुए दिखाई दिए. पिंजरे से बाहर निकलते ही चीतों ने सहमें हुए कदमों के साथ इधर-उधर नजरें घुमाईं और चहलकदमी करने लगे. चीतों के चेहरे पर लंबे सफर की थकान  साफ दिख रही थी.  चीतों के स्वागत के लिए पीएम मोदी ने कुछ फोटो भी क्लिक किए पीएम मोदी  500 मीटर चलकर मंच पर पहुंचे थे. 

8 चीतों में 2 सगे भाई भी
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दक्षिण अफ्रीका से  भारत आए 8 चीतों में दो सगे भाई हैं.  इनकी उम्र ढाई से साढ़े पांच साल के बीच है. चीते की औसत उम्र 12 साल होती है. बता दें कि इतने बड़े मांसाहारी वन्यप्राणी की शिफ्टिंग की यह दुनिया की पहली ऐसी परियोजना है. चीतों को देश लाए जाने का एग्रीमेंट  भारत और नामीबिया सरकार के बीच 20 जुलाई 2022 को हुआ था. 

पीएम संग मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया चीतों को रिसीव
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कूनो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संग मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने चीतों को रिसीव किया. मुख्यमंत्री ने देश के लिए सबसे बड़ा तोहफा बताया. शिवराज सिंह ने कहा कि देश में चीते विलुप्त हो गए थे और इन्हें फिर से बसाना एक ऐतिहासिक कदम है.