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भारत

Raja Ram Mohan Roy Birth Anniversary: सती प्रथा को रोकने से लेकर भारतीय पत्रकारिता को बढ़ाने तक, आधुनिक भारतीय समाज के जन्मदाता

raja ram mohan roy
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राजा राम मोहन राय पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के राधानगर गांव में 22 मई 1772 को जन्मे थे. उन्होंने संस्कृत के साथ-साथ फ़ारसी और अरबी में पढ़ाई की. उन्होंने उपनिषद, वेद और कुरान पढ़े और बहुत से शास्त्रों का अंग्रेजी में अनुवाद किया. 1803 में अपने पिता की मृत्यु के बाद वे मुर्शिदाबाद चले गए, जहां उन्होंने अपनी पहली पुस्तक तुहफत-उल-मुवाहिदीन (एकेश्वरवाद को एक उपहार) प्रकाशित की. (Photo: Wikimedia Commons)

sati pratha
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राय ने 1828 में ब्रह्म समाज की स्थापना की. यह एक प्रभावशाली सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन था. ब्रह्म समाज ने भारतीय समाज के सुधार और आधुनिकीकरण में एक प्रमुख भूमिका निभाई. एक समाज सुधारक के रूप में उनका सबसे महत्वपूर्ण योगदान महिलाओं के अधिकारों के प्रति था. लगभग 200 साल पहले, जब सती जैसी बुराइयों ने समाज को त्रस्त कर दिया था, जब उन्होंने सती प्रथा को खत्म करने के लिए लड़ाई लड़ी. (Photo: Wikimedia Commons)

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उन्होंने भारत में आधुनिक शिक्षा प्रणाली को लोकप्रिय बनाने के लिए कई स्कूलों की स्थापना की. उन्होंने महिलाओं के लिए समान अधिकारों के लिए अभियान चलाया. उन्होंने बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाई. उन्होंने महिलाओं को पुनर्विवाह का अधिकार और संपत्ति रखने का अधिकार दिलाने के लिए भी संघर्ष किया. (Photo: Wikimedia Commons)

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राय भारतीय पत्रकारिता के अग्रदूतों में से एक थे. उन्होंने सामाजिक सुधारों के प्रचार के लिए बंगाली, फारसी, हिंदी और अंग्रेजी में कई पत्रिकाएं प्रकाशित कीं. बंगाली साप्ताहिक संवाद कौमुदी उनके द्वारा प्रकाशित सबसे महत्वपूर्ण पत्रिका थी. उन्होंने बंगाल गजट नामक एक अंग्रेजी साप्ताहिक और मिरातुल-अकबर नामक एक फारसी समाचार पत्र प्रकाशित किया. (Photo: Wikimedia Commons)

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राय किसी रियासत के राजा नहीं थे, बल्कि दिल्ली के तत्कालीन मुगल शासक बादशाह अकबर द्वितीय (1806-1837) ने उन्हें 'राजा' की उपाधि दी थी.  (Photo: Wikimedia Commons)