
बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में कई जातियों को अनुसूचित जनजातियों की लिस्ट में शामिल किया गया है. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने मीडिया को जानकारी दी कि कैबिनेट ने 5 राज्यों में करीब 15 जनजातीय समुदायों को अनुसूचित जनजाति में शामिल कर लिया है.
आपको बता दें इन राज्यों में छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश शामिल हैं. इसके चलते अब देश में अनुसूचित जनजातियों की संख्या 705 से बढ़कर 720 हो गई है.
इन जातियों को किया गया शामिल
बात अगर इन जातियों की करें तो छत्तीसगढ़ से भुईंया, भूया, पंडो, धनुहार, गदबा, गोंड, कोंध, कोरकू, नगेसिया, धांगड़, सौंरा, बिंझिया जाति समुदायों को शामिल किया गया है. वहीं, हिमाचल से हट्टी, तमिलनाडु से कुरुविक्करन, कर्नाटक से बेट्टा कुरुबा और उत्तर प्रदेश से गोंड और इनकी, उपजाति-धुरिया, नायक, ओझा, पठारी, राजगोंड को शामिल किया गया है.
क्या है प्रक्रिया
अब सवाल आता है कि किसी भी जाति को अनुसूचित जनजाति लिस्ट में शामिल करने की प्रक्रिया आखिर क्या है. किसे यह अधिकार होता है कि वे किसी विशेष समुदाय को एक विशेष पहचान जैसे अनुसूचित जनजाति का दर्जा दे दें.
दरअसल, संवैधानिक प्रावधान के अनुसार, अनुसूचित जाति और जनजाति में अगर किसी का समावेश करना हो या जो जाति पहले से मौजूद है उसे हटाना हो तो भारतीय संविधान के आर्टिकल 341 और 342 में इसकी प्रक्रिया है. इस प्रक्रिया के अनुसार राज्य सरकार, इससे जुड़ा एक प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजती है.
केन्द्र सरकार से यह प्रस्ताव रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया को भेजा जाता है और उनकी राय ली जाती है. अगर वह प्रस्ताव को क्लीयर कर देते हैं तो केंद्र सरकार इसे एससी कमीशन को भेजता है. एससी कमीशन से एप्रुवल मिलने के बाद बिल बनाया जाता है और यह बिल कैबिनेट के पास जाता है. कैबिनेट की स्वीकृति के बाद बिस संसद में आता है और संसद में मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन जाता है.