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पर्यावरण को नुकसान से बचाने के लिए 27 साल के इंजीनियर ने बना डाली खाने वाली चम्मच, करोड़ों में है कमाई

कृविल ने देखा कि लोग खाने-पीने के बाद यूज एंड थ्रो वाले चम्मच और फोर्क को यूं ही सड़क पर फेंक देते हैं, जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान होता है. कृविल कुछ ऐसा करना चाहते थे, जिससे पर्यावरण की रक्षा भी हो जाए और वो एक नया बिजनेस भी शुरू कर सकें. इन्हीं सबसे बीच उन्हें ईटेबल स्पून बनाने का विचार आया.

(PC: Trishula India) (PC: Trishula India)
हाइलाइट्स
  • 5 करोड़ हुआ टर्नओवर

  • विदेशों में भी भेज रहे प्रोडक्ट्स

आप में से लगभग सभी ने रेस्टोरेंट में खाना खाते समय चम्मच, फोर्क या स्ट्रा का इस्तेमाल कुछ खाने या पीने के लिए किया होगा. मगर क्या आपने कभी सोचा है कि अगर आप खाने के बाद वो चम्मच या फिर स्ट्रा खा लें तो कैसा होगा? दरअसल गुजरात के वडोदरा के एक ऐसे ही युवा इंटरप्रेन्योर हैं, जिन्होंने एक अलग ही तरह का स्टार्टअप शुरू किया है. युवक का नाम कृविल पटेल है और वो पेशे से इंजीनियर हैं.

कैसे आया आइडिया?
कृविल ने देखा कि लोग खाने-पीने के बाद यूज एंड थ्रो वाले चम्मच और फोर्क को यूं ही सड़क पर फेंक देते हैं, जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान होता है. कृविल कुछ ऐसा करना चाहते थे, जिससे पर्यावरण की रक्षा भी हो जाए और वो एक नया बिजनेस भी शुरू कर सकें. इन्हीं सबसे बीच उन्हें ईटेबल स्पून बनाने का विचार आया.

आटे से बनाया चम्मच
इसके बाद उन्होंने थोड़ा इस बारे में रिसर्च की और पाया कि ऐसा किया जा सकता है. उन्होंने कुछ आटे को साथ में लेकर उनकी स्ट्रेंथ चेक की कि किस तापमान पर मिक्स आटे को सख्त बनाया जा सकता है, जिससे उसमें स्ट्रेंथ आए. जब उनको पूरा यकीन हो गया की इस मल्टी ग्रेन आटे से स्पून बन सकती है, तब उन्होंने वड़ोदरा के पास एक गांव में इसकी फैक्टरी लगाई. आज यहां पर कृविल अपनी फैक्ट्री में न सिर्फ चम्मचें बल्कि फोर्क और स्ट्रॉ भी बनाते हैं. उनकी यह पूरी यूनिट सौ फीसदी एक्सपोर्ट बेस्ड है. 

विदेशों में भी भेज रहे प्रोडक्ट्स
कृविल अपने ये अनोखे प्रोडक्ट न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी भेजते हैं. उनका कहना है कि इन प्रोडक्ट्स को बनाने के पीछे हमारा उद्देश्य लोगों को जागरूक करना और नुकसान को बचाना है. उन्होंने कहा कि जो लोग प्लास्टिक, वुडेन या फिर स्टील की स्पून का इस्तेमाल खाना खाने के लिए करते हैं वो उनके स्वस्थ्य के लिए खतरा होता है और यह पर्यायवरण को भी नुकसान पहुंचाता है. लेकिन उनकी ये अलग अलग फ्लेवर में आने वाली स्पून से आप खाना भी खा सकते हैं और खाना खाने के बाद उस स्पून को भी खा सकते है. अगर आप उसे नहीं भी खाना चाहते हे तो यदि आप उसे फेंक देते हैं तो वो मिटटी में घुल जाएगी और पर्यायवरण को बिलकुल नुकसान नहीं होगा.

5 करोड़ हुआ टर्नओवर
कृविल कहते हैं कि हमारे देश के लोग अभी भी इतने जागरूक नहीं है कि उन्हें इसका फायदा और नुकसान समझ में आए. हालांकि विदेश में इसकी बहुत मांग है. कृविल ने चार साल पहले  4 लाख रुपए से अपना स्टार्टअप शुरू किया था. अब उनका टर्नओवर 5 करोड़ रुपए से ज्यादा पहुंच गया है. इतना ही नहीं, इसके जरिए वे कई लोगों को रोजगार भी मुहैया करा रहे हैं.