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Lok Sabha और Rajya Sabha में हंगामा करने पर एक दिन में 78 MP निलंबित, किस नियम के तहत होता है सांसदों का सस्पेंशन? यहां जानिए

Parliament Suspension Rules: सदन की कार्यवाही बिना किसी बाधा के चल सके, इसकी जिम्मेदारी लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा में सभापति की होती है. लोकसभा में सांसदों के निलंबन के संबंध में विशिष्ट नियम 374 में दिए गए हैं. राज्यसभा के मामले में निलंबन से संबंधित नियम 256 में दिए गए हैं.

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में सांसद संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में सांसद
हाइलाइट्स
  • 18 दिसंबर को लोकसभा से 33 सांसदों को किया गया निलंबित

  • राज्यसभा से 45 सांसदों को किया गया सस्पेंड

Parliament Winter Session 2023: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सोमवार (18 दिसंबर) को एक बार फिर हंगामा हुआ. लोकसभा की कार्यवाही में बाधा डालने वाले 33 सांसदों को स्पीकर ओम बिड़ला ने सस्पेंड कर दिया. इसके बाद सभापति की बात नहीं मानने पर राज्यसभा से भी विपक्ष के 45 सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया. इस तरह से एक दिन में कुल 78 सांसदों का निलंबन हुआ.

जिन सांसदों पर पूरे सत्र के लिए निलंबन की गाज गिरी है, उनमें कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, द्रमुक सांसद टीआर बालू, दयानिधि मारन और तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय शामिल हैं. इससे पहले 14 दिसंबर को लोकसभा से 14 सांसद निलंबित किए गए थे. इस तरह से कुल 92 सांसद निलंबित हो चुके हैं. आइए आज जानते हैं किस नियम के तहत सांसदों का सस्पेंशन होता है.   

निलंबन क्यों किया जाता है
सदन की कार्यवाही बिना किसी बाधा के चल सके, इसकी जिम्मेदारी लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा में सभापति की होती है. यदि कोई सांसद इस कार्यवाही में बाधा पहुंचाता है और इन्हें ऐसा लगता है तो सदस्य को सदन से बाहर जाने के लिए कह सकते हैं. नियम 374 यह कहता है कि कोई सदस्य अध्यक्ष के आधिकार की अवहेलना किया है तो वो सदस्य को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर सकते हैं. हालिया मामले में ऐसा ही हुआ है. सांसदों को पूरे शीत सत्र के लिए निलंबित किया गया है.

सांसदों के संसद से निलंबन के नियम 
नियम 373: इस नियम के मुताबिक अध्यक्ष के पास यह अधिकार है कि यदि कोई सदस्य बुरा व्यवहार करता है तो वह उसे तुरंत सदन छोड़ने के लिए कह सकते हैं. जिन सदस्यों को जाने का आदेश दिया गया है उन्हें तुरंत चले जाना चाहिए और बाकी बैठक के लिए वापस नहीं आना चाहिए.

नियम 374: इसके तहत अध्यक्ष ऐसे सदस्य का नाम ले सकते हैं, जो अध्यक्ष के आदेश की अवज्ञा करते हुए या अनुचित तरीके से कार्य करते हुए लगातार और जानबूझकर सदन की कार्यवाही में बाधा डालता है. इस नियम के अनुसार जिस सदस्य को निलंबित किया गया है उसे तुरंत सदन छोड़ देना चाहिए.

नियम 374ए: इस नियम को दिसंबर 2001 में नियम पुस्तिका में शामिल किया गया था. घोर उल्लंघन या गंभीर आरोप के मामले में, अध्यक्ष की ओर से नामित किए जाने पर सदस्य को तुरंत और खुद से लगातार पांच बैठकों या सत्र की अवधि, जो भी कम हो, के लिए सदन की सेवा से निलंबित कर दिया जाता है.

नियम 255 (राज्यसभा): सदन का पीठासीन अधिकारी राज्यसभा की प्रक्रिया के सामान्य नियमों के नियम 255 के तहत संसद सदस्य का निलंबन लागू कर सकता है.

नियम 256 (राज्यसभा): यह सदस्यों के निलंबन का प्रावधान करता है. सभापति किसी सांसद को सत्र के शेष समय से अधिक की अवधि के लिए संसद से निलंबित कर सकते हैं.

क्या-क्या काम नहीं कर पाते निलंबित सांसद
निलंबित सदस्य सदन कक्ष में प्रवेश नहीं कर सकते. अलग-अलग समितियों की होने वाली बैठकों में शामिल नहीं हो सकते. न वो किसी तरह की चर्चा का हिस्सा बन सकते हैं. उनके पास किसी को नोटिस देने का अधिकार तक नहीं होता. वह अपने सवालों के जवाब पाने का अधिकार भी खो देता है. सरकार से सवाल भी नहीं कर सकते.

सत्र से पहले कैसे खत्म हो सकता है सांसदों का सस्पेंशन
यूं तो सांसद का सस्पेंशन पूरे सत्र के लिए होता है, लेकिन वो चाहें तो निलंबन खत्म किया जा सकता है. निलंबन को खत्म करने के लिए उन्हें माफी मांगनी होगी. अगर वो अध्यक्ष और सभापति से माफी मांगते हैं और उन्हें लगता है कि मामला माफ करने लायक है तो वो सांसद का सस्पेंशन वापस ले सकते हैं. इसके अलावा निलंबन के खिलाफ प्रस्ताव भी सदन में लाया जा सकता है. यदि प्रस्ताव सदन में पास हो जाता है तो सांसदों का निलंबन रद्द हो सकता है. 

कोर्ट में नहीं किया जा सकता है चैलेंज
संविधान के आर्टिकल 105 (2) के तहत भारत में संसद में किए गए किसी भी व्यवहार के लिए कोई सांसद किसी कोर्ट के प्रति उत्तरदायी नहीं होता है. यानी सदन में कही गई किसी भी बात को कोर्ट में चैलेंज नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सांसदों को संसद में कुछ भी करने की छूट मिली है. एक सांसद जो कुछ भी कहता है वो राज्यसभा और लोकसभा की रूल बुक से कंट्रोल होता है. इस पर सिर्फ लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के सभापति ही कार्रवाई कर सकते हैं.

क्या निलंबित सांसदों को मिलती है सैलरी
संसद में व्यवधान डालने वाले सांसदों को निलंबन के समय भी पूरा वेतन मिलता है. सदस्य को दैनिक भत्ते का भुगतान तभी किया जाता है, जब वो लोकसभा/राज्यसभा सचिवालय में रखे रजिस्टर में हस्ताक्षर करते हैं. अब सवाल है कि निलंबन के बाद कितनी तरह के भत्ते रोक दिए जाएंगे. इसका जवाब है कि सस्पेंशन के बाद उन्हें कॉन्स्टीट्यूएंसी अलाउंस, कार्यालय और स्टेशनरी समेत अलग-अलग भत्ते मिलते रहेंगे. सिर्फ वही भत्ता नहीं मिलेगा जो बतौर सांसद सदन की कार्यवाही में शामिल होने के लिए मिलता है. चूंकि इस दौरान वो सदन में एंट्री नहीं कर सकते, इसलिए उन्हें कार्यवाही के लिए दिया जाने वाला भत्ता नहीं मिलेगा.