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सहारनपुर के मास्टर अंश पेघवाल ने बनाया विश्व रिकॉर्ड, आंखों में पट्टी बांधकर बन गया सितारा और कर दिया ये काम....जानें कहानी

24 दिसंबर 2015 को जन्मे मास्टर अंश पेघवाल ने अपनी असाधारण मेधा का प्रदर्शन किया है. वे IDE अबाकस अकादमी, पुराना आवास विकास, दिल्ली रोड, सहारनपुर के छात्र हैं और साथ ही पीएसएम अकादमी स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं.

अंश पेघवाल अंश पेघवाल

सहारनपुर के लिए गर्व का पल है कि यहां के नौ वर्षीय मास्टर अंश पेघवाल ने अपनी अद्भुत प्रतिभा से पूरे विश्व में शहर का नाम रोशन कर दिया है. महज 9 साल 7 महीने की उम्र में अंश ने इन्फ्लुएंसर बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराकर एक मिसाल कायम की है. कक्षा चौथी के छात्र अंश ने राजस्थान के जयपुर में आयोजित ब्रेन एक्टिविटी प्रतियोगिता में आंखों पर पट्टी बांधकर रंग, नंबर और कार्ड्स की पहचान कर सभी को हैरान कर दिया.

9 साल का बालक जिसने किया नाम करिश्मा
24 दिसंबर 2015 को जन्मे मास्टर अंश पेघवाल ने अपनी असाधारण मेधा का प्रदर्शन किया है. वे IDE अबाकस अकादमी, पुराना आवास विकास, दिल्ली रोड, सहारनपुर के छात्र हैं और साथ ही पीएसएम अकादमी स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं. जयपुर में आयोजित इस प्रतियोगिता में अंश ने बिना किसी दृश्य संकेत के अपनी गहन एकाग्रता और असाधारण स्मरण शक्ति का परिचय दिया. प्रतियोगिता में उन्होंने आंखों पर पट्टी बांधकर रंग, नंबर और कार्ड्स को पहचान कर सभी को चकित कर दिया.

मेडल और सर्टिफिकेट से हुआ सम्मानित
इस शानदार प्रदर्शन के लिए अंश को मेडल और सर्टिफिकेट प्रदान किया गया, जिससे न केवल उनका परिवार बल्कि पूरा सहारनपुर गर्व से झूम उठा. उनकी माता नीलम ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह उपलब्धि उनके लिए सपने के सच होने जैसा है. उन्होंने बताया कि जयपुर में आयोजित इस ब्रेन एक्टिविटी प्रतियोगिता में अपने बेटे ने अपनी प्रतिभा से सबका दिल जीत लिया है.

अंश पेघवाल

टीचर कविता नैन ने बताया सफलता का राज
IDE अबाकस अकादमी की संचालक और अंश की मेंटर कविता नैन ने बताया कि यह सफलता उनके निरंतर कठिन परिश्रम और नियमित अभ्यास का नतीजा है. अकादमी में बच्चों को माइंड एक्टिवेशन, ब्रेन गेम्स और अबाकस जैसी गतिविधियों के माध्यम से मानसिक क्षमता को निखारा जाता है. कविता ने कहा, "अंश ने अपनी बुद्धिमत्ता और मानसिक क्षमता के बल पर आंखों पर पट्टी बांधकर जो प्रदर्शन किया है, वह अत्यंत सराहनीय है."

सहारनपुर और उत्तर प्रदेश के लिए गौरव का क्षण
मास्टर अंश की यह उपलब्धि सिर्फ एक व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि पूरे सहारनपुर और उत्तर प्रदेश के लिए गर्व का विषय है. यह साबित करता है कि सही मार्गदर्शन, प्रेरणा और सकारात्मक सोच से बच्चे अपनी छुपी हुई प्रतिभा को उभार सकते हैं. 13 अगस्त 2025 को जब उनका नाम इन्फ्लुएंसर बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ, तब पूरे शहर में खुशी की लहर दौड़ गई.

अंश का यह रिकॉर्ड न केवल उनके परिवार और शिक्षकों के लिए, बल्कि बच्चों और अभिभावकों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है. यह संदेश देता है कि तनावमुक्त शिक्षा और सकारात्मक वातावरण में बच्चे असाधारण उपलब्धियां हासिल कर सकते हैं. सहारनपुर के इस छोटे से बच्चे ने साबित कर दिया कि भारत के छोटे शहरों से भी विश्वस्तरीय प्रतिभाएं निकल सकती हैं.

अपनी इस उपलब्धि पर अंश ने कहा, मैंने राजस्थान जयपुर में आयोजित प्रतियोगिता में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है. वहां मुझे मेडल और सर्टिफिकेट मिला. प्रतियोगिता में आंखों पर पट्टी बांधकर गेंदों का रंग, कार्ड और नंबर बताने होते हैं.

बेटे की उपलब्धि से खुश हैं मां
अंश की मां नीलम का कहना, "मेरा बच्चा पीएसएम अकादमी स्कूल में पढ़ता है. यह नौ साल का है और आईडीई अकादमी में ट्यूशन करता है. जयपुर में ब्रेन एक्टिविटी प्रतियोगिता में उसने अच्छा प्रदर्शन किया. मैं उससे बहुत खुश हूं."

अंश की टीचर कविता ने कहा, "हमने अंश को दस साल से माइंड एक्टिवेशन और ब्रेन गेम्स की ट्रेनिंग दी है. उसने अपनी मेहनत से राजस्थान में प्रतियोगिता में आंखों पर पट्टी बांधकर जो प्रदर्शन किया, वह उसकी प्रतिभा का परिचायक है."

-सहारनपुर से राहुल कुमार की रिपोर्ट