वोट चोरी के नाम पर राहुल गांधी लगातार चुनाव आयोग और मोदी सरकार पर सवाल खड़ा कर रहे है. बिहार से लेकर हरियाणा में वोट चोरी का आरोप लगाकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनाव प्रक्रिया तक पर सवाल खड़ा किया है. इन सब आरोपों के बीच बस्ती जनपद में भी वोट चोरी का अजब मामला सामने आया है. इस बार वोट चोरी से लोकसभा के चुनाव पर अब सवाल खड़े होने लगे है क्योंकि लोकसभा चुनाव के दौरान इस संभावित वोट चोरी की जांच की मांग की गई थी. जिसकी जांच अब जाकर पूरी हुई तो हड़कंप मच गया है. जिसमें जिले के 91 ट्रांसजेंडर वोटर फर्जी पाए गए है, जिनके नाम पर पुरुष और महिला ने वोट दे दिया, जब कि जनपद में महज 7 ट्रांसजेंडर वोटर ही रजिस्टर्ड है जो हर बार अपने मताधिकार का प्रयोग करते है मगर उनके नाम पर हर चुनाव में 91 फर्जी वोट पड़ता रहा और जिले के अधिकारी अनजान रहे.
धरातल पर कुछ और, कागज़ों में कुछ और
शिकायतकर्ता अजय पाण्डेय जो कि किन्नरों के उत्थान के लिए और उन्हें मुख्य धारा में जोड़ने के लिए कार्य करते हैं उनकी शिकायत पर मतदाता सूची के सत्यापन अभियान में बस्ती जिले से बड़ा खुलासा हुआ है. जिले में लोकसभा चुनाव के दौरान मतदाता सूची में दर्ज 98 ट्रांसजेंडर पाए गए जिनमें केवल 7 ट्रांसजेंडर ही असली है बाकी 91 फर्जी साबित हो गए है. इंदिरा चैरिटेबल सोसायटी के अजय पाण्डेय ने चुनाव के दौरान एक शिकायत की थी जिस पर जांच के बाद सामने आई सच्चाई ने सबको चौका दिया है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार ट्रांसजेंडर मतदाता सदर विस में चार, हरैया में एक, रुधौली और कप्तानगंज में एक एक किन्नर वोटर हैं. वर्तमान में जिले में कुल सात ट्रांसजेंडर मतदाता चिह्नित किए गए हैं जबकि बाकी 91 सामान्य मतदाता थे जिन्हें लापरवाही के कारण ट्रांसजेंडर श्रेणी में दर्ज कर दिया गया था.
प्रशासन ने सूची में किया सुधार
अब प्रशासन ने इन नामों को सूची से हटाकर सुधार कर लिया है. इस मामले की शुरुआत लोकसभा चुनाव 2024 से पहले हुई थी, जब ट्रांसजेंडरों पर रिसर्च करने वाली संस्था इंदिरा चैरिटेबल सोसायटी ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी कि जिले में दर्ज ट्रांसजेंडर मतदाताओं की संख्या वास्तविकता से मेल नहीं खा रही है. संस्था के सीईओ और यूपी ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड के सदस्य अजय कुमार पांडेय ने आरोप लगाया था कि 98 में से 91 मतदाता ऐसे हैं जो वास्तव में पुरुष या महिला है जब कि वे ट्रांसजेंडर नहीं है.
संस्था की ओर से साक्ष्यों सहित मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र भेजा गया था, लेकिन तब मामला जांच के नाम पर टाल दिया गया था और उसी सूची पर लोकसभा चुनाव संपन्न करा दिया गया. हालांकि, अब मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान 2025 के दौरान जब प्रशासन ने जांच कराई, तो संस्था की शिकायत सही मिली. बीएलओ रिपोर्ट के आधार पर गलत प्रविष्टि हटाई गई और जिले में ट्रांसजेंडर मतदाताओं की वास्तविक संख्या अब तय की गई है. सत्यापन के बाद पाया गया कि वास्तविक ट्रांसजेंडर मतदाता सदर विधानसभा में चार, हरैया में 1, रुधौली और कप्तानगंज में एक एक ट्रांसजेंडर मतदाता हैं.
अपर जिला अधिकारी प्रतिपाल सिंह चौहान ने बताया कि फर्जी वोटरों को मतदाता सूची से हटा लिया गया है. जिसमें 7 ट्रांसजेंडर वोटर पाए है, वहीं वास्तविक ट्रांसजेंडर व्यक्तियों से प्रपत्र भरवाकर उन्हें सूची में शामिल कर लिया गया है. अब जिले की मतदाता सूची में ट्रांसजेंडर मतदाताओं की वास्तविक और प्रमाणित संख्या दर्ज हो गई है. वहीं 91 फर्जी वोटरों की जांच करवाकर उन्हें या तो सूची से हटा दिया गया या उनके गलत दर्ज जेंडर को सही कर दिया गया है.
महिला व पुरुष का जेंडर किया किन्नर
जिस तरह से फर्जी वोट का मामला जिले में पकड़ में आया है उसे देखकर तो यही लगता है कि तत्कालीन निर्वाचन अधिकारियों ने सिर्फ कागज में ही काम किया,क्योंकि अगर धरातल पर काम हुआ होता तो इतनी भारी मात्रा में फर्जी वोटर सामने नहीं आते. मजे की यह कि जो वोटर बस्ती जिला निर्वाचन की लिस्ट में सामान्य महिला व पुरुष थे उन्हें किन्नर बना दिया गया और इतना ही नहीं वह हर विधानसभा और लोकसभा चुनाव में वोट करते रहे. जांच के बाद अब यह खुलासा हुआ है तो अधिकारियों के होश उड़ गए हैं. अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब वोटर ही फर्जी निकल गए तो चुनाव फिर कैसे असली रह गया. अब चुनाव आयोग को चाहिए कि जिन अधिकारियों व कर्मचारियों ने भारत के लोकतंत्र में ऐसा मजाक किया है उन्हें सख्त से सख्त सजा हो.
- संतोष कुमार सिंह की रिपोर्ट