
साल में दो बार वीरता पुरस्कारों का ऐलान किया जाता है. पहला 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के मौके पर और दूसरी बार 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर. इनमें से कुछ पुरस्कार केवल सैनिकों के लिए होते हैं जबकि कुछ पुलिस और आम नागरिकों के लिए भी होते हैं. वीरता पुरस्कारों में सबसे अहम होता है, परमवीर चक्र, जो सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार है.
230 कर्मियों को वीरता पदक से किया जाएगा सम्मानित
सरकार ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या (14 अगस्त 2023) पर विभिन्न केंद्रीय और राज्य बलों के 954 पुलिस कर्मियों को सेवा पदक देने की घोषणा की. केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार 230 कर्मियों को वीरता के लिए वीरता पदक से सम्मानित किया जाएगा, जिसमें राष्ट्रपति पुलिस पदक (पीपीएमजी) भी होगा.
इस अधिकारी को मिलेगा यह सम्मान
पीपीएमजी का इकलौता पदक केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के अधिकारी लौखरकपम इबोम्चा सिंह को दिया जाएगा. सेवा में रहते हुए यह उनका दूसरा वीरता पदक है. अन्य पदकों में विशिष्ट सेवा के लिए दिए जाने वाले 82 राष्ट्रपति पुलिस पदक और उल्लेखनीय सेवा के लिए दिए जाने वाले 642 पुलिस पदक शामिल हैं.
किस राज्य को कितना पदक
सबसे ज्यादा यदि किसी राज्य के बल को वीरता के लिए पदक दिया जाएगा तो वह जम्मू-कश्मीर है. यहां 55 पुलिस पदक दिए जाएंगे. इसके अलावा 33 पदक महाराष्ट्र पुलिस, 27 केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और 24 पदक छत्तीसगढ़ पुलिस को दिए जाएंगे.
कब हुई थी वीरता पुरस्कारों की शुरुआत
देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद से भारत सरकार हर साल जवानों और अधिकारियों को वीरता पुरस्कार देती है. 26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू हुआ और इसी तारीख को भारत सरकार ने प्रथम तीन वीरता पुरस्कारों परमवीर चक्र, महावीर चक्र और वीर चक्र की घोषणा की. हालांकि इसे 15 अगस्त, 1947 से प्रभावी माना गया था. इसके बाद भारत सरकार ने 4 जनवरी, 1952 को तीन अन्य वीरता पुरस्कारों की शुरुआत की.
कैसे होता है चयन
वीरता पुरस्कारों के लिए देश की रक्षा में अतुलनीय योगदान देने वाले जवानों और अधिकारियों के नामों का चयन किया जाता है. शूरवीरों के नाम पहले रक्षा मंत्रालय के पास भेजे जाते हैं. रक्षा मंत्रालय में इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति केंद्रीय सम्मान एवं पुरस्कार समिति होती है. यह समिति मंत्रालय के पास आने वाले सभी नामों पर विचार करती है. फिर मानकों के आधार पर पूरी प्रक्रिया के बाद यह समिति एक लिस्ट तैयार करती है, जिसमें वीरता पुरस्कार के लिए तय नाम होते हैं. यह लिस्ट राष्ट्रपति के पास भेजी जाती है. राष्ट्रपति की अनुमति के बाद इन पुरस्कारों की घोषणा की जाती है.
परमवीर चक्र: यह भारत का सर्वोच्च वीरता सम्मान है, जो सैन्य सेवा और उससे जुड़े हुए लोगों को दिया जाता है. यह पदक दुश्मन के सामने अद्वितीय साहस और परम शूरता का परिचय देने पर दिया जाता है. यह मरणोपरांत भी दिया जाता है. यदि कोई परमवीर विजेता दोबारा कोई वीरता का कार्य करता है तो उसे रिबैंड दिया जाता है. इसी प्रकार उसके रिबैंड बार की संख्या बढ़ती जाती है. इस पदक पर इंद्र के वज्र की प्रतिकृति बनी होती है और इसे रिबैंड के साथ ही लगाया जाता है. इसे अमेरिका के सम्मान पदक तथा यूनाइटेड किंगडम के विक्टोरिया क्रॉस के बराबर दर्जा हासिल है.
महावीर चक्र: यह भारत का ऐसा पदक है, जो युद्ध के समय वीरता दिखाने के लिए दिया जाता है. सेना और असैनिकों को असाधारण वीरता या शौर्यता या बलिदान के लिए यह पदक दिया जाता है. यह पुरस्कार भी मरणोपरांत दिया जा सकता है. यह गोल आकार में बना हुआ निर्धारित मानक चांदी से बना होता है. इसमें पांच कोनों वाला एक अभरा हुआ तारा भी उकेरा गया है. वहीं इसके पीछे के भाग पर हिंदी और अंग्रेजी शब्दों के बीच में दो कमल के फूलों के साथ महावीर चक्र उकेरा गया है.
वीर चक्र: वीर चक्र का स्थान वरीयता के हिसाब से महावीर चक्र के बाद आता है. यह सम्मान सैनिकों को असाधारण वीरता और बलिदान के लिए दिया जाता है. इसे मरणोपरांत भी दिया जाता है. यह पदक गोलाकार और सिल्वर से निर्मित होता है. इसके अग्रभाग पर पांच कोनों वाला तारा उत्कीर्ण किया गया है, जिसके कोने गोलाकार किनारों को छू रहे हैं. इस पर भी वीर चक्र उत्कीर्ण किया गया है.
अशोक चक्र: अशोक चक्र भारत का शांति के समय का सबसे ऊंचा वीरता पदक है. यह सम्मान सैनिक और असैनिक को दिया जाता है. यह असाधारण वीरता, शूरता और बलिदान के लिए दिया जाता है. यह सम्मान मरणोपरांत भी दिया जाता है. इसे राष्ट्रपति प्रदान करते हैं. इसके साथ पुरस्कार राशि के तौर पर प्रति माह 1400 रुपए का मासिक भत्ता भी दिया जाता है.
कीर्ति चक्र: 4 जनवरी 1952 को इस सम्मान की स्थापना हुई थी. सेना, वायुसेना और नौसेना के जवानों और अधिकारियों के अलावा यह पुरस्कार टेरिटोरियल आर्मी और आम नागरिकों को भी दिया जाता है. यह सिल्वर से निर्मित चक्र होता है, जिसके अग्र भाग पर केंद्र में अशोक चक्र की प्रतिकृति बनी होती है. यह प्रतिकृति कमल माला से घिरी होती है.
शौर्य चक्र: शांति के समय देश के सर्वोच्च वीरता पदकों में शौर्य चक्र का नाम आता है. वरीयता में यह कीर्ति चक्र के बाद का वीरता पदक है. शांति काल के समय सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता, शौर्य प्रदर्शन के लिए या बलिदान के लिए यह पुरस्कार दिया जाता है. मरणोपरांत भी यह पुरस्कार दिया जा सकता है. इस पदक के अग्र भाग पर केंद्र में अशोक चक्र की प्रतिकृति उत्कीर्ण है, जो कि कमल की माला से घिरी हुई है. इसके पिछले भाग पर हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में शौर्य चक्र उत्कीर्ण है.