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National Party: आप को मिला राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा, एनसीपी, तृणमूल और सीपीआई से क्यों छिन गया, जानें नेशनल पार्टी को क्या मिलेगा फायदा

चुनाव आयोग ने NCP, TMC और CPI का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खत्म कर दिया है जबकि AAP को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दे दिया है. इससे केजरीवाल सरकार गदगद है. आइए जानते हैं कैसे मिलता है राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा.

आप बनी राष्ट्रीय पार्टी, एनसीपी-तृणमूल को हुआ नुकसान. आप बनी राष्ट्रीय पार्टी, एनसीपी-तृणमूल को हुआ नुकसान.
हाइलाइट्स
  • आम आदनी पार्टी चार राज्यों में राज्य की पार्टी बनने में रही कामयाब

  • एनसीपी, तृणमूल और सीपीआई चार राज्यों में राज्य की पार्टी नहीं रही

केंद्रीय चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी (AAP) को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दे दिया. इसके साथ ही तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) का राष्ट्रीय दल का दर्जा वापस ले लिया है. कुछ पार्टियों की राज्य स्तर की पार्टी का दर्जा भी समाप्त कर दिया है. आइए जानते हैं अरविंद केजरीवाल की पार्टी को क्यों दिया गया नेशनल पार्टी का दर्जा और उपरोक्त तीन पार्टियों से क्यों छिना है. 

कैसे मिलता है राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा   
चुनाव आयोग के अनुसार किसी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए इन तीन शर्तों में से किसी एक को पूरा करना आवश्यक है. एक राजनीतिक दल को एक राष्ट्रीय दल के रूप में मानने के लिए सबसे आसान नियमों में से एक चार या उससे अधिक राज्यों में एक राजनीतिक दल के रूप में मान्यता प्राप्त करना है. यदि किसी पार्टी को चार से कम राज्यों में मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के रूप में माना जाता है, तो यह एक राज्य पार्टी है. इसके अलावा राजनीतिक दल राष्ट्रीय दल बन सकते हैं यदि उन्हें पिछले लोकसभा चुनावों में चार सीटों के साथ-साथ पिछले विधानसभा चुनावों में किन्हीं चार राज्यों में छह प्रतिशत वोट मिले हों या कम से कम तीन राज्यों से चुने गए सांसदों के साथ पिछले आम चुनाव में सभी लोकसभा सीटों का 2 प्रतिशत प्राप्त हो.

आप ऐसे बनी नेशनल पार्टी
आम आदमी पार्टी को 2013 में दिल्ली में, 2014 में पंजाब में और 2022 में गोवा में राज्य की पार्टी का दर्जा मिला था. इसके साथ ही गुजरात में दिसंबर 2022 में चुनाव हुए और आप वहां भी राज्य पार्टी का दर्जा पाने में कामयाब रही. इस तरह से चार राज्यों में राज्य की पार्टी आप बनी गई है, इसलिए यह एक राष्ट्रीय पार्टी होने के योग्य है. इसी को देखते हुए चुनाव आयोग ने उसे नेशनल पार्टी बना दिया है.

तृणमूल कांग्रेस के साथ क्या हुआ 
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में अब राज्य पार्टी का दर्जा प्राप्त नहीं है. अब यह पश्चिम बंगाल में एक राज्य की पार्टी है. इसके अलावा त्रिपुरा यह मेघालय में राज्य की पार्टी है लेकिन राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने के लिए कम से कम चार राज्यों में राज्य की पार्टी होना जरूरी है. ऐसा नहीं होने पर चुनाव आयोग ने राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस ले लिया. ममता बनर्जी की पार्टी को 2016 में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला था.

सीपीआई से क्यों छिना दर्जा
चुनाव आयोग के अनुसार ओडिशा और पश्चिम बंगाल में सीपीआई ने अपना राज्य पार्टी का दर्जा खो दिया है. अब यह सिर्फ केरल, मणिपुर और तमिलनाडु में एक राज्य की पार्टी है. चूंकि यह चार राज्यों में एक राज्य की पार्टी नहीं है, इसलिए अब देश में एक राष्ट्रीय पार्टी नहीं है.

एनसीपी के लिए आयोग ने क्या कहा
एनसीपी के लिए चुनाव आयोग ने कहा कि यह पार्टी अब गोवा, मणिपुर और मेघालय में राज्य की पार्टी बनने के योग्य नहीं है. हालांकि गत सोमवार को इसे नगालैंड में राज्य पार्टी का दर्जा दिया गया है. इसके अलावा यह महाराष्ट्र में एक राज्य की पार्टी बनी हुई है. इस तरह से यह पार्टी भी चार राज्यों में राज्य पार्टी नहीं है. इसलिए इसका भी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा आयोग ने वापस ले लिया.

अभी इतनी है राष्ट्रीय पार्टी 
1. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 
2. कांग्रेस
3. बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी)
4. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी)
5. नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP)
6. आम आदमी पार्टी (AAP)

इनका राज्य स्तर की पार्टी का दर्जा समाप्त
चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश में रालोद, आंध्र प्रदेश में बीआरएस, मणिपुर में पीडीए, पुडुचेरी में पीएमके, पश्चिम बंगाल में आरएसपी और मिजोरम में एमपीसी को दिया गया राज्य स्तर की पार्टी का दर्जा भी समाप्त कर दिया है.

राष्ट्रीय पार्टी बनने पर मिलते हैं ये लाभ
1. दल देश में कहीं भी चुनाव लड़ सकेगा, किसी भी राज्य में उम्मीदवार खड़ा कर सकेगा.
2. दल को पूरे देश में एक ही चुनाव चिह्न आवंटित हो जाता है यानी वह चिह्न दल के लिए रिजर्व हो जाता है.
3. चुनाव में नामांकन दाखिल करने के दौरान उम्मीदवार के साथ एक प्रस्तावक होने पर भी मान्य किया जाएगा.
4. चुनाव आयोग मतदाता सूची संशोधन पर दो सेट मुफ्त में देता है. साथ ही उम्मीदवारों को भी मतदाता सूची मुफ्त में देता है. 
5. पार्टी दिल्ली में केंद्रीय दफ्तर खोलने की हकदार हो जाती है, जिसके लिए सरकार कोई बिल्डिंग या जमीन देती है. 
6. पार्टी चुनाव प्रचार में 40 स्टार कैंपेनर्स को उतार सकेगी. स्टार प्रचारकों पर होने वाला खर्च पार्टी प्रत्याशी के चुनावी खर्च में शामिल नहीं होगा. 
7. चुनाव से पहले दूरदर्शन और आकाशवाणी के जरिए जन-जन तक संदेश पहुंचाने के लिए एक तय समय मिल जाता है.