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Acid Attack: मजबूत हौसले की मिसाल हैं एसिड अटैक की योद्धा रूपा और सीमा, जानें इनकी कहानी

Acid Attack: एसिड अटैक की सर्वाइवर रूपा और सीमा शिरोज हैंगआउट(Sheroes Cafe) कैफे में काम करती है. छांव फाउंडेशन एनजीओ एसिड हमले के पीड़ितों के रोजगार के लिए शिरोज कैफे चलाते हैं. सीमा और रूपा की तरह कई सारे एसिड अटैक सर्वाइवर्स हैं जो शिरोज कैफे में काम कर रहे हैं.

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भारत में एसिड अटैक का शिकार ज्यादातर महिलाएं हैं. एसिड सर्वाइवर्स फाउंडेशन ने अपनी सालाना रिपोर्ट में इसकी पुष्टि की है. एसिड सर्वाइवर्स फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में एसिड अटैक के शिकार हुए लोगों में 70% महिलाएं हैं. अक्सर ऐसा माना जाता है कि सिरफिरा आशिक के कारण ही एसिड अटैक होता है लेकिन सच्चाई इससे कहीं ज्यादा अलग है.  रूपा और सीमा की जान के दुश्मन अपने ही लोग बन गए थे.

रूपा और सीमा पर अपने ही लोगों ने एसिड से हमला किया था. एसिड अटैक ने उनके चेहरे को जलाकर बिगाड़ दिया लेकिन वे अपनी जिंदगी की जंग में डटी रहीं. आज रूपा और सीमा कई एसिड अटैक सर्वाइवर्स के लिए प्रेरणा बन रही हैं. आइए आज इन दोनों की कहानी जानते हैं. 

इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की रहने वाली रूपा पर 15 साल की उम्र में एसिड अटैक हुआ था. रूपा जब तीन साल की थीं तब उनकी मां की मौत हो गई थी. इसके बाद उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली. रूपा की सौतेली मां ने जबरदस्ती उसकी पढ़ाई छुड़वाकर घर के काम में लगा दिया.

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एसिड फेंकने से पहले सौतेली मां ने रूपा को गला घोंटकर मारने की कोशिश की थी. एक रात सोते समय सौतेली मां ने रूपा को एसिड से जलाकर मारने की कोशिश की. इस एसिड हमले में रूप का चेहरा ही नहीं बिगड़ा बल्कि रूपा की जिंदगी को ही हमेशा के लिए बदल दिया.
 
शिरोज कैफे
29 साल की रूपा अब अपने परिवार के साथ नहीं रहती हैं. 2013 में रूपा की दोस्त अर्चना ने उसको छांव फाउंडेशन से मिलवाया. छांव फाउंडेशन उत्तर प्रदेश के नोएडा में स्थित एक एनजीओ है. इस फाउंडेशन ने एसिड हमले के पीड़ितों के रोजगार के लिए शिरोज कैफे शुरू किया है.

छांव फाउंडेशन ने 2014 में सबसे पहले आगरा में शिरोज कैफे खोला था. फिलहाल, शिरोज कैफे उत्तर प्रदेश के लखनऊ, आगरा और नोएडा में संचालित है. शिरोज कैफे में सभी एसिड हमले के पीड़ित काम करते हैं.

रूपा की तरह सीमा भी एसिड अटैक सर्वाइवर है. सीमा के हमलावर का इरादा उन पर एसिड फेंकने का बिल्कुल नहीं था. हमलावर उसके भाई पर एसिड फेंकना चाहते थे. कुछ लोग सीमा के घर के बाहर उसके भाई पर एसिड डालने के लिए खड़े थे लेकिन भाई की जगह सीमा बाहर निकली. हमलावरों ने बिना देखे सीमा पर एसिड फेंक दिया. शुरू में सीमा को लगा कि उसके भाई के दोस्तों ने उसके चेहरे पर पानी फेंका है लेकिन जब उसका चेहरा जलने लगा तो उसे एसिड अटैक का पता चला. 

सीमा का परिवार इतना सक्षम नहीं था कि उसका इलाज करा सकें लेकिन सीमा हार मानने वालों में से नहीं थी. परिवार वालों को परेशान करने की बजाय सीमा ने इस लड़ाई को खुद लड़ने का सोचा. सीमा एक दिन ब्रेकफास्ट के लिए मिले पैसों से घर से भाग गई, उसे घर से भागना ठीक लगा.

सीमा हंसते हुए कहती है- 'मैं अब अपने आपको ज्यादा सुंदर महसूस करती हूं. मेरा चेहरा नहीं, मेरी ताकत मुझे ज्यादा सुंदर बनाती है'. 9 जुलाई 2024 को सीमा शादी करने जा रही है, इसके लिए वो बहुत खुश है.

एसिड अटैक में आई गिरावट
नेशनल क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो(NCRB) के अनुसार, पिछले पांच साल में एसिड अटैक की घटनाओं में काफी गिरावट आई है. साल 2017 में एसिड अटैक की संख्या 244 थी जो 2022 में गिरकर 124 हो गई है. पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में एसिड हमलों की संख्या सबसे ज्यादा है. महानगरों में से पिछले 5 सालों में एसिड अटैक की सबसे ज्यादा घटनाएं दिल्ली में हुई हैं.