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Explainer: फिर से भारत के नागरिक बने Akshay Kumar! जानें विदेश की Citizenship लेने, छोड़ने और वापस इंडिया का नागरिक बनने के क्या हैं नियम?

Akshay Kumar Indian Citizenship: बॉलीवुड के खिलाड़ी कुमार यानी अभिनेता अक्षय कुमार की जब फिल्में बैक टू बैक फ्लॉप होने लगी थीं, तब उन्होंने कनाडा जाकर काम करना शुरू किया था और वहीं की नागरिकता ले ली थी. हालांकि बाद में उनकी दो फिल्में सुपरहिट हो गईं और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. बॉलीवुड में अपना सिक्का जमा लिया.

अक्षय कुमार को मिली भारतीय नागरिकता अक्षय कुमार को मिली भारतीय नागरिकता
हाइलाइट्स
  • कनाडा की नागरिकता के चलते अक्षय को लोग कैनेडियन कुमार कहकर करते थे ट्रोल 

  • नागरिकता छोड़ने के लिए करना होता है ऑनलाइन आवेदन 

स्वतंत्रता दिवस के खास मौके पर एक्टर अक्षय कुमार के फैंस के लिए एक खुशखबरी है. अक्षय कुमार को भारतीय नागरिकता मिल गई है. उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट साझा कर खुद यह जानकारी साझा की है. उन्होंने लिखा है, अब दिल और सिटिजनशिप दोनों हिंदुस्तानी हैं. हैप्पी इंडिपेंडेंस डे... जय हिंद. आइए आज जानते हैं अक्षय कुमार ने क्यों छोड़ी थी भारत की नागरिकता और इसे लेने और वापस पाने के लिए क्या हैं नियम?

अक्षय कुमार ने क्यों ली थी कनाडा की सिटीजनशिप
अक्षय कुमार ने बताया था 1990-2000 के दशक में उनकी फिल्में बैक टू बैक फ्लॉप हो रही थीं. खराब बॉक्स ऑफिस कलेक्शन की वजह से अक्षय ने कनाडा जाकर काम करना शुरू किया और वहां की नागरिकता के लिए अप्लाई किया था. एक इंटरव्यू में एक्टर ने कहा था, "मैंने सोचा कि भाई, मेरी फिल्में चल नहीं रही हैं और मुझे काम करते रहना है. मैं कनाडा काम करने के लिए गया था. मेरा एक दोस्त कनाडा में था. उसने मुझे कहा कि यहां आ जा और इस दौरान मैंने कनाडा की नागरिकता के लिए अप्लाई किया. मेरे पास केवल दो फिल्में बची थीं, जो रिलीज होनी बाकी थीं. यह मेरी खुशकिस्मती थी कि दोनों ही बची हुई फिल्में मेरी सुपरहिट हो गईं. मेरे दोस्त ने कहा कि अब तू वापस चला जा. दोबारा काम शुरू कर. मुझे कुछ और फिल्में मिलीं और उसके बाद से मैं नहीं रुका. काम करता चला गया. मैंने कभी सोचा भी नहीं कि मुझे यह पासपोर्ट बदलवा लेना चाहिए." कनाडा की नागरिकता के चलते अक्षय कुमार को लोग कैनेडियन कुमार कहकर ट्रोल करते थे.

दिसंबर 2019 में भारतीय पासपोर्ट के लिए किया था आवेदन 
अक्षय कुमार को साल 2011 में कनाडाई संघीय चुनाव के बाद वहां की कंजरवेटिव सरकार ने कनाडा की नागरिकता दी थी. अक्षय ने दिसंबर 2019 में भारतीय पासपोर्ट के लिए आवेदन किया, तब उन्होंने कहा था कि वो अपनी कनाडाई नागरिकता छोड़ने वाले हैं.

क्या होती है नागरिकता
नागरिकता किसी विशेष देश या राज्य की सदस्यता को कहा जाता है. किसी भी देश के नागरिकता प्राप्त नागरिक को अपने कुछ कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को पूरा करना होता हैं. नागरिकता के बदले में व्यक्ति को उस देश में स्वतंत्रता से रहने का अधिकार, सुरक्षा और बहुत सी अन्य सुविधाएं दी जाती हैं. नागरिकता प्राप्त व्यक्ति को मिली जिम्मेदारियों और कर्तव्यों में सामुदायिक जीवन में राजनैतिक भागीदारी के साथ सक्रिय होना, मतदान का अधिकार मिलना, करों का भुगतान करना, किसी सरकार की ओर से अधिनियमित आपराधिक कानूनों का पालन करना, समुदाय से विशेष संरक्षण का अधिकार मिलना और कई दायित्व शामिल हैं.

कितने प्रकार की होती है नागरिकता
1. राष्ट्रीय नागरिकता: नागरिकता की बात करते ही सबसे पहले कोई व्यक्ति और वह किस विशेष देश, राज्य या शहर का नागरिक है यही दिमाग में आता है. आम तौर पर यह एक व्यक्ति और उसके निवास स्थान के बीच संबंध के रूप में देखा जाता है. राष्ट्रीयता एक व्यक्ति को कुछ अधिकरों और कर्तव्यों को प्रदान करती है. किसी व्यक्ति की राष्ट्रीयता से उसकी जन्मभूमि का पता चलता है. साथ ही यह पता चलता है कि व्यक्ति किस मूल का है. एक राष्ट्र अपने नागरिकों को विदेशी आक्रमण से सुरक्षा प्रदान करता है जिसके बदले में वह नागरिकों से यह उम्मीद करता है कि राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का भी पालन करें.

2. अंतरराष्ट्रीय नागरिकता: बहुत से लोग पारिवारिक कारणों या खुद अपना देश छोड़कर दूसरे देश में कामकाज या अन्य वजहों के चलते वहीं बस जाते हैं. जब कोई व्यक्ति अपना देश छोड़कर (जहां उसका जन्म हुआ हो) दूसरे देश में रहने लगता है, जिसके लिए कुछ अहम कानूनी प्रक्रिया का पालम करना पड़ता है, तब उस व्यक्ति को अंतरराष्ट्रीय नागरिकता मिलती है.

राष्ट्रीयता और नागरिकता के बीच प्रमुख अंतर
1. राष्ट्रीयता उस स्थान या देश के बारे में बताती है, जहां पर व्यक्ति का जन्म होता है, जबकि नागरिकता सरकार की ओर से प्रदान की जाती है.
2. राष्ट्रीयता एक व्यक्तिगत सदस्यता है, जिसे व्यक्ति को देश में जन्म के साथ ही मिल जाती है, वहीं नागरिकता एक राजनीतिक/कानूनी स्थिति है, जो कि किसी व्यक्ति को कुछ औपचारिकताओं को पूरा करने पर दी जाती है.
3. राष्ट्रीयता का मूल कारक देशज या जातीय होता है, जबकि नागरिकता की अवधारणा कानूनी या न्यायिक प्रकृति की होती है.

कैसे मिलती है किसी विदेशी को भारत में नागरिकता
1. जन्म और वंश के आधार से मिलती है नागरिकता: 26 जनवरी 1950 को या इसके बाद और 1 जुलाई 1987 के पहले जिन लोगों का भारत में जन्म हुआ है, वह भारतीय नागरिक कहलाएंगे, फिर इससे फर्क नहीं पड़ता कि इनके माता-पिता कहां के नागरिक थे या हैं. 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच भारत में जन्म लेने वाला ऐसा शख्स जिसके जन्म के समय उसके माता या पिता में से कोई भी भारतीय नागरिक है, वो भारतीय नागरिक कहलाएगा. 3 दिसंबर 2004 के बाद भारत में जन्म लेने वाला कोई भी व्यक्ति जिसके माता-पिता दोनों भारतीय नागरिक हों या कम से कम कोई एक भारतीय नागरिक हो और दूसरा अवैध प्रवासी न हो, तो वह भारतीय नागरिक कहलाएगा.

2. रजिस्ट्रेशन से मिलती है नागरिकता: कुछ नियमों के तहत एक व्यक्ति को भारत के नागरिक के रूप में भी पंजीकृत किया जा सकता है यानी रजिस्ट्रेशन के जरिए भी नागरिकता मिल सकती है. यदि वह आवेदन से पहले सात साल तक भारत का सामान्य निवासी हो या अविभाजित भारत का निवासी हो और जिसने भारत के नागरिक से विवाह किया हो, उन्हें भी नागरिकता मिल जाती है. इसके अलावा कुछ अन्य कैटेगरी के लोगों को भी रजिस्ट्रेशन के जरिए नागरिकता मिल सकती है. 

3. सामान्य नागरिकता: किसी उस व्यक्ति को नागरिकता का प्रमाण पत्र नहीं दिया जा सकता है, जो उस देश से संबंधित हो, जहां भारतीय लोगों के नागरिकता प्राप्त करने पर रोक है. यदि उसका अच्छा चरित्र है और भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित भाषा का पर्याप्त ज्ञान है तो उसे नागरिकता मिल सकती है. ये नागरिकता नेचुरसाइजेशन के जरिए मिलती है. हालांकि, इसमें उन लोगों को नागरिकता नहीं दी जाती है, जो गैर कानूनी तरीके से भारत में आकर रहने लगे हैं या फिर वीजा अवधि के बाद भी गलत तरीके से भारत में रह रहे हैं. 

4. भारत के विस्तार से नागरिकता:  इसे आप एक उदाहरण से बेहतर समझ सकते हैं. जब पुडुचेरी भारत का हिस्सा बना तो वहां रहने वाली आबादी भारत की नागरिक बन गई. इसी तरह, यदि कोई क्षेत्र हमारे देश का हिस्सा बन जाता है, तो वहां रहने वाली सभी आबादी हमारे देश का हिस्सा बन जाती है. इस प्रकार नागरिकता के अधिग्रहण को बरकरार रखा जाता है. 

क्या कोई भारतीय दो देशों की नागरिकता ले सकता है
संशोधित नागरिकता अधिनियम 1955 के मुताबिक कोई भी भारतीय नागरिक दो देशों की नागरिकता नहीं ले सकता. यदि वह ऐसा करता है तो नागरिकता अधिनियम की धारा 9 के मुताबिक उसकी नागरिकता समाप्त की जा सकती है. प्रावधान के मुताबिक यदि भारत का कई भी नागरिक रहने के लिए या किसी और कारण से अन्य देश की नागरिकता ले लेता है तो पहले देश की नागरिकता को रद्द कर दिया जाता है.

क्या होता OCI कार्ड
ऐसे व्यक्ति जो स्वतंत्रता के बाद या पहले भारत से जाकर किन्हीं और देशों में बस गए उनके लिए भारत सरकार ने दोहरी नागरिकता का प्रावधान OCI में किया है. ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया (ओसीआई) एक आव्रजन स्थिति है, जो भारतीय मूल के एक विदेशी नागरिक को भारतीय गणराज्य में अनिश्चित काल तक रहने और काम करने की अनुमति देती है.

वह विदेशी नागरिक जो 26 जनवरी 1950 से पहले या बाद से भारत का नागरिक हो या वह या उसके बच्चे या पोते-पोतियां भारत के नागरिक हों उनको OCI कार्ड दिया जाता है. हालांकि OCI कार्ड धारकों के लिए कई सीमाएं हैं जैसे उन्हें मतदान का अधिकार नहीं होता. सरकारी कार्यालयों में काम करने का भी अधिकार नहीं होता. साथ ही OCI कार्ड धारकों को कृषि संपत्तियों को खरीदने का अधिकार भी नहीं है. साथ ही वह व्यक्ति भारत में कोई चुनाव भी नहीं लड़ सकता है.

नागरिकता छोड़ने की क्या है प्रक्रिया

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद को बताया कि इस साल जून तक कम से कम 87,026 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी है. इसके साथ ही 2011 से अब तक 17.50 लाख से ज्यादा लोग अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ चुके हैं.

भारत की नागरिकता छोड़ने वालों के लिए गृह मंत्रालय ने प्रक्रिया को काफी आसान बनाया है. इसके लिए सरकार ने एक ऑनलाइन पोर्टल एक्टिव किया है. सिटीजनशिप एक्ट 1955 के सेक्शन 8 के तहत भारत की नागरिकता छोड़ी जा सकती है. नागरिकता छोड़ने के लिए जरूरी प्रक्रिया ये है.
 
1. नागरिकता छोड़ने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होता है.
2. नागरिकता छोड़ने के लिए दस्तावेजों की जांच के लिए 60 दिन का वक्त लगता है.
3. साल 2018 में गृह मंत्रालय ने नागरिकता छोड़ने की वजह बताने का कॉलम जोड़ा था.
4. इसके तहत बताना होता है कि किस वजह से नागरिकता का त्याग कर रहे हैं. 
5. आवेदक को पासपोर्ट के अलावा, एड्रेस प्रूफ और फीस जमा करना होगा.
6. ऑनलाइन फॉर्म भरने के बाद उसे डाउनलोड करके सिग्नेचर के साथ जिला मजिस्ट्रेट के ऑफिस में जमा करना होगा.
7. प्रमाण पत्र जारी करने से पहले डीएम आवेदक का इंटरव्यू भी लेगा. 

वाणिज्य दूतावास को सौंपना होता है भारतीय पासपोर्ट  
भारत की नागरिकता छोड़ने की प्रक्रिया पूरी करने के लिए 60 दिन का वक्त लगता है. एक बार जब आप दूसरे देश का नागरिकता प्राप्त कर लेते हैं तो आपको अपना भारतीय पासपोर्ट रद्द करने के लिए वाणिज्य दूतावास को सौंपना होता है. वाणिज्य दूतावास इसे रद्द कर देगा और आपको प्रमाण पत्र देगा. जब आप नागरिकता छोड़ने के लिए अप्लाई करते हैं तो उसके बाद भी आप भारतीय नागरिक रहते हैं. लेकिन प्रोसेस पूरा होने के बाद आप नागरिक नहीं रह पाते हैं. 

कौन छोड़ सकता है नागरिकता 
1. यदि कोई नागरिक बालिग हो तो वो नागरिकता छोड़ सकता है.
2. यदि कोई नागरिकता छोड़ देता है तो उसके नाबालिग बच्चे भी नागरिकता खो देते हैं.
3. लेकिन नाबालिग बच्चा बालिग होने पर एक साल के भीतर नागरिक के लिए आवेदन कर सकता है.