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Allahabad University Protest: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने बढ़ाई इन कोर्सेज की फीस, धरने पर बैठे छात्र संगठन, सबकी एक ही मांग

Allahabad University Protest: उत्तर प्रदेश की जानी-मानी इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में फीस बढ़ोतरी के खिलाफ जमकर प्रदर्शन हो रहा है. सभी छात्र संगठन एक ही मांग को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं.

Protest against fee hike Protest against fee hike
हाइलाइट्स
  • समाजवादी छात्र सभा ने शुरू कर दिया अनशन

  • 5 छात्र अनशन पर बैठे

इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक प्रेस रिलीज जारी कर छात्रों को सूचना दी है कि अब आने वाले नए सत्र में सालाना फीस को बढ़ा दिया गया है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा जारी की गई प्रेस रिलीज में फीस स्ट्रक्चर की भी जानकारी दी गई है. लेकिन सत्र में लागू होने वाली फीस स्ट्रक्चर के विरोध में छात्र उतर आए हैं. 

समाजवादी छात्र सभा ने अनशन शुरू कर दिया तो उसके बाद एनएसयूआई, एबीवीपी, इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा बढ़ाए गए फीस वृद्धि के विरोध में उतर आए हैं. तीनों छात्र संगठन कैंपस में अलग-अलग जगह धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. 

पिछले 5 दिनों से ज्यादा समय से चल रहे प्रदर्शन के चलते कैंपस छात्रों के नारों से गूंज रहा है. तीनों छात्र संगठनों के नारों में विश्वविद्यालय प्रशासन से बढ़ी हुई फीस को कम किए जाने की मांग शामिल है. 

कौन कर रहा है किस छात्र संगठन को लीड 
सितंबर से शुरू हुए फीस वृद्धि के विरोध में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कई छात्र संगठन प्रदर्शन की राह पर हैं. एनएसयूआई छात्र संघ भवन के अंदर, तो वहीं समाजवादी छात्र सभा लाल पदम धर मूर्ति के सामने और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पूर्णकालिक अनशन इलाहाबाद विश्वविद्यालय डीएसडब्ल्यू कार्यालय के सामने जारी है. 

समाजवादी छात्र सभा के प्रदर्शन को लीड अजय सिंह सम्राट कर रहे हैं. एनएसयूआई के आदर्श सिंह और एबीवीपी के प्रदर्शन को अतेंद्र सिंह लीड कर रहे हैं. भले ही इन सभी छात्र संगठनों के प्रदर्शन अलग-अलग जगह हो रहे हो लेकिन इन तीनों छात्र संगठनों की एक ही मांग है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बढ़ाई जा रही फीस वृद्धि को कम किया जाए. 

अनशन पर बैठे छात्र
समाजवादी छात्र सभा के 5 छात्र अनशन पर बैठ गए. जिसमें कई छात्रों की तबियत खराब हो गई है. जैसे ही छात्र हॉस्पिटल में भर्ती होते हैं तो उनकी जगह दूसरे छात्र अनशन पर बैठ जा रहे हैं. विश्वविद्यालय फीस वृद्धि के विरोध में छात्र कैंपस में आर-पार की लड़ाई पर उतारू हैं. कई छात्र विश्वविद्यालय की छत पर चढ़कर आत्महत्या करने की कोशिश कर चुके हैं. 

इन सबके बीच विश्वविद्यालय प्रशासन फीस वृद्धि को कम करने का नाम नहीं ले रहा है. इसलिए विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ छात्र संगठन और लामबंद हो रहे हैं. छात्र संगठनों के अलावा विश्वविद्यालय के आम छात्र भी फीस वृद्धि के विरोध में हैं. 

इन कोर्सेज की बढ़ी है फीस 
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शुरू होने वाले नए सत्र के छात्रों को अब बढ़ी हुई फीस दर के हिसाब से पैसे जमा करने होंगे. सभी कोर्सों में तकरीबन ₹1000 सालाना फीस लगा करती थी जो अब बढ़कर 4 गुना हो गई है. बढ़ाई गई फीस अब नए सत्र जब शुरू होंगे तब से लागू होगी. इसी का विरोध विश्वविद्यालय में शुरू हो चुका है. 

  • बी.ए- पहले 975 रुपए थी, अब 3901 रुपए और लैब फीस के साथ 4151 रुपए हो गई है.
  • बी. एससी- 4151 रुपए
  • बी. कॉम- 3901 रुपए
  • एम. ए- 5401 रुपए
  • एम. एससी- 5401 रुपए
  • एम. कॉम- 5401 रुपए
  • एलएलबी- 4651 रुपए
  • एल एल एम- 4901 रुपए
  • पीएचडी- 5401 रुपए


फीस बढ़ाने के पीछे क्या है विश्वविद्यालय का तर्क
इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रेस रिलीज के जरिए कहा है कि सरकार की तरफ से विश्वविद्यालयों को साफ तौर पर यह संदेश दिया जा चुका है कि उन्हें अपने स्तर पर फड का इंतजाम करना होगा तथा सरकार पर निर्भरता कम करनी होगी. कई अन्य संस्थाओं की तरह सरकार द्वारा इलाहाबाद विश्वविद्यालय के फंड में भी कटौती की गई है. 

पिछले 110 वर्षों से प्रति माह ट्यूशन फीस 12 रुपये/महीना है. लेकिन चालू बिजली बिलों का भुगतान करने और अन्य रखरखाव के लिए शुल्क बढ़ाया जाना जरूरी है. साल 1922 के बाद यह पहला अवसर है, जब इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि की जा रही है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय में उसी अनुपात में फीस वृद्धि की गई है जिस अनुपात में अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों की फीस में वृद्धि हुई है. 

सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि वर्तमान समय में किसी भी कोर्स में पढ़ रहे छात्रों पर फीस वृद्धि लागू नहीं होगी. बढ़ी हुई फीस की दर नए छात्रों पर लागू होगी जो आने वाले सत्र में नामांकन ले रहे हैं. यह भी ध्यान रखना चाहिए कि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित प्रोफेशनल कोर्सेज की फीस में कोई वृद्धि नहीं की गई है. 

प्रशासन का कहना है कि यह तर्क दिया जा रहा है कि फीस वृद्धि करने से समाज के कमजोर तबके के छात्रों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. पर हम बताना चाहेंगे कि सरकार की कई ऐसी योजनाएं हैं जिसके माध्यम से आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को वित्तीय मदद मिलेगी.

(आनंद राज की रिपोर्ट)