
भारत को जी-20 देशों की अध्यक्षता मिलने वाली है. भारत साल 2023 में जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी भी करेगा. ऐसे में एक पूर्णकालिक शेरपा की जरूरत है. इसलिए भारत ने जी-20 के शेरपा में बदलाव किया है. नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत नए शेरपा होंगे. इससे पहले पीयूष गोयल इस पद थे. लेकिन ज्यादा काम होने और कम वक्त निकाल पाने की वजह से गोयल ये पद छोड़ेंगे.
क्या होता है शेरपा-
जी-20, जी-8 जैसे इंटरनेशनल शिखर सम्मेलन में किसी देश के नेता के व्यक्तिगत प्रतिनिधि को शेरपा कहते हैं. शेरपा सम्मेलन के एजेंडे को लेकर समन्वय बनाता है. शेरपा सदस्य देशों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर आर्थिक, राजनीतिक और वैश्विक एजेंडे पर बात करते हैं. किसी भी मुद्दे पर शेरपा पॉलिटिकल लेवल पर सहमति चाहते हैं. इसके लिए वो सम्मेलन से पहले कई राउंड की बातचीत करते हैं और सम्मेलन में अपने नेताओं को मुद्दों पर बातचीत में मदद करते हैं
कहां से आया शेरपा-
शेरपा शब्द नेपाल में प्रचलित शेरपा से लिया गया है. शेरपा नेपाल में पर्वतारोहियों के लिए गाइड का काम करते हैं. इसी तरह से जी-20 सम्मेलन में सभी देशों के शेरपा मिलकर सम्मेलन के मुद्दों पर बात करते हैं. सम्मेलन में हर देश से एक शेरपा शामिल हो सकता है. इसकी नियुक्ति उस देश की सरकार करती है. इस पद पर राजनयिक, राजनीतिक या प्रशासनिक अनुभव रखने वाले अधिकारी या कोई वरिष्ठ नेता को नियुक्त किया जाता है. भारत की तरफ से सुरेश प्रभु, अरविंद पनगढ़िया, शक्तिकांत दास और मोंटेक सिंह अहलूवालिया भी इस शेरपा रहे हैं.
क्या काम करते हैं शेरपा-
शेरपा सम्मेलन से पहले कई बार मिलते हैं, ताकि किसी भी मुद्दों पर मतभेदों को दूर किया जा सके. जी-20 में दो माध्यमों के जरिए काम होता है. एक शेरपा ट्रैक के जरिए और दूसरा फाइनेंस ट्रैक के जरिए. आखिर में शेरपा फाइनेंस ट्रैक प्रतिनिधियों के साथ मिलकर सम्मेलन का डिक्लियरेशन तैयार करते हैं. यही जी-20 शिखर सम्मेलन का फाइनल रिजल्ट होता है.
शेरपा हर सदस्य देश और इंटरनेशनल संगठनों के अधिकारियों के साथ मिलकर किसी भी मुद्दे पर तकनीकी और नीतिगत विश्लेषण करते हैं. इनका फोकस कृषि, करप्शन से लड़ाई और रोजगार जैसे विकास से संबंधित मुद्दों पर केंद्रित होता है. इसके अलावा जलवायउ परिवर्तन, वित्त, बुनियादी ढांचे में निवेश और व्यापार जैसे मुद्दों पर भी चर्चा करते हैं.
फाइनेंस ट्रैक के जरिए जी-20 मेंबर्स के सेंट्रल बैंक के गवर्नर और वित्त मंत्रियों के साथ बातचीत किया जाता है. इसके साथ ही वैश्विक आर्थिक समस्याओं को लेकर हर साल बैठक होती है.
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