
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) भूषण गवई ने अपने पैतृक नगर अमरावती में आयोजित एक सम्मान समारोह में देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था और संविधान को लेकर बड़ा बयान दिया. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि लोकतंत्र के तीनों स्तंभ कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका संविधान के अधीन हैं और भारत का संविधान ही सर्वोच्च है.
संसद या न्यायपालिका, कौन है सर्वोच्च?
मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा कि अक्सर इस बात को लेकर बहस होती है कि लोकतंत्र में सर्वोच्च कौन है? यहां उपस्थित कई मित्र संसद और विधायिका का प्रतिनिधित्व करते हैं. किसी ने कहा कि संसद सर्वोच्च है. लेकिन मैंने स्पष्ट किया कि न संसद सर्वोच्च है, न कार्यपालिका और न ही न्यायपालिका. वास्तव में, संविधान ही सर्वोच्च है और तीनों अंग उसके अधीन काम करते हैं.
उन्होंने अपने 22 वर्षों के न्यायिक कार्यकाल का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान के मूल्यों और सिद्धांतों का पालन करने की कोशिश की है.
संविधान की मूल संरचना में बदलाव का अधिकार नहीं-
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए ऐतिहासिक फैसलों का उल्लेख करते हुए कहा कि संसद को संविधान में संशोधन करने का अधिकार जरूर है, लेकिन वह संविधान की मूल संरचना में बदलाव नहीं कर सकती, यह ‘बेसिक स्ट्रक्चर’ सिद्धांत की मूल आत्मा है.
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायाधीश का काम केवल सरकार के विरुद्ध आदेश पारित करना नहीं है. एक न्यायाधीश को यह याद रखना चाहिए कि हम सिर्फ अधिकारों के धारक नहीं, बल्कि नागरिकों के अधिकारों और संविधान के मूल्यों के रक्षक हैं। हमारे कंधों पर जिम्मेदारी है.
उन्होंने यह भी जोड़ा कि न्यायाधीशों को जनभावनाओं के दबाव में नहीं आना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमें स्वतंत्र रूप से सोचना चाहिए. यह नहीं देखना चाहिए कि लोग हमारे फैसलों के बारे में क्या कहेंगे. निर्णय जनमत से नहीं, न्यायबुद्धि से होना चाहिए.
बुलडोजर न्याय पर क्या बोले गवई?
गवई ने ‘बुलडोजर न्याय’ के खिलाफ दिए गए अपने एक फैसले का उदाहरण देते हुए कहा कि रहने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है और इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता.
मुख्य न्यायाधीश के ये विचार न केवल संवैधानिक व्यवस्था के प्रति उनकी गहरी आस्था को दर्शाते हैं, बल्कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और दायित्व को लेकर एक स्पष्ट संदेश भी देते हैं. उनका यह बयान न सिर्फ अमरावती बल्कि देशभर में चर्चा का विषय बन गया है.
(धनंजय साबले की रिपोर्ट)
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