Air Pollution in Delhi NCR
Air Pollution in Delhi NCR हर बार की तरह ही दीवाली के बाद, दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है. हालांकि, ये पिछली बार से काफी कम है. अब इस समस्या से निपटने के लिए दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने एक विशेष धूल नियंत्रण अभियान की शुरुआत की, जिसमें मोबाइल एंटी-स्मॉग गन को पेश किया गया है. यह अभियान राजधानी की हवा की गुणवत्ता सुधारने के उद्देश्य से उठाए गए कई कदमों का हिस्सा है, जिसमें एंटी-डस्ट ड्राइव, बायो डिकम्पोज़र स्प्रे, पेड़ लगाना, और पटाखों के खतरों के प्रति जन-जागरूकता अभियान शामिल हैं.
एंटी-स्मॉग गन क्या हैं और यह कैसे काम करती हैं?
एंटी-स्मॉग गन, अक्सर वाहनों पर लगाई जाती हैं, ये हव में उड़ रहे कणों को नियंत्रित करने के लिए महीन मिस्ट (फुहार) का छिड़काव करती हैं. यह फुहार धूल कणों को बांधती है, जिससे वे नीचे बैठ जाते हैं और हवा अस्थायी रूप से साफ हो जाती है. इन गनों की मदद से पानी की बूंदों को हवा में फेंका जाता है और प्रदूषकों को जमीन पर लाया जाता है.
दिल्ली में हाल ही में शुरू किए गए मोबाइल एंटी-स्मॉग गन को सड़कों पर तैनात किया जाएगा, विशेषकर प्रदूषण हॉटस्पॉट पर. इन गनों से पानी का छिड़काव तीन शिफ्टों में लगातार किया जाएगा, ताकि हवा को साफ किया जा सके.
दिल्ली में क्या होगी योजना?
गोपाल राय के अनुसार, दिल्ली सरकार ने इस अभियान के लिए 200 एंटी-स्मॉग गन को तैनात किया है, जिसमें हर 70 विधानसभा क्षेत्रों में दो यूनिट नियुक्त की गई हैं और बाकी दूसरी गन प्रदूषण हॉटस्पॉट पर केंद्रित की गई हैं. इसका उद्देश्य है कि शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में समान रूप से प्रदूषण का नियंत्रण हो और हवा गुणवत्ता को नियमित रूप से मॉनिटर व रेगुलेट किया जा सके. यह पहली बार है जब दिल्ली की सड़कों पर इस तरह का एक बड़ा मोबाइल एंटी-स्मॉग गन बेड़ा तैनात किया गया है.
इसके अलावा, सरकार ने नागरिकों को ग्रीन दिल्ली ऐप के माध्यम से धूल प्रदूषण की शिकायतें दर्ज करने का आह्वान किया है.
क्या सच में काम करती है एंटी-स्मॉग गन?
इससे पहले भी कई भारतीय शहरों में एंटी-स्मॉग गन का उपयोग धूल नियंत्रण प्रयासों के हिस्से के रूप में किया गया है, लेकिन उनकी प्रभावशीलता पर बहस जारी है. ये सच है कि एंटी-स्मॉग गन, प्रदूषण के केंद्रित क्षेत्रों में जल्दी राहत देती है, जिससे धूल और कणों में अस्थायी रूप से कमी आती है. हालांकि, यह प्रभाव काफी सीमित होता है और इसका असर कम समय के लिए ही रहता है. साथ ही, एंटी-स्मॉग गन का कवरेज क्षेत्र उनके छिड़काव की सीमा तक ही सीमित होता है. दिल्ली में, प्रत्येक यूनिट केवल शहर के कुछ ही सड़क नेटवर्क के एक छोटे हिस्से को कवर कर सकती है.
इसके अलावा, एंटी-स्मॉग गन की प्रभावशीलता मौसम की स्थिति पर निर्भर करती है. तेज हवा में पानी की बूंदें अपने टार्गेटेड जगह नहीं पहुंच पातीं, जिससे कणों को पकड़ने में उनकी प्रभावशीलता कम हो जाती है. अगर मौसम में नमी हो तो यह समस्या बढ़ सकती है. साथ ही, पानी की खपत भी एक चिंता का विषय है. हर गन को लगातार चलाने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी की जरूरत होती है, जो पानी की कमी वाले क्षेत्रों में संसाधनों पर दबाव डाल सकता है.
एंटी-स्मॉग गन का उपयोग दिल्ली की प्रदूषण समस्या से निपटने के लिए उठाए गए कई कदमों का हिस्सा है. जबकि ये कुछ समय के लिए राहत दे सकती है, लेकिन ये प्रदूषण नियंत्रण उपायों का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए.