
शुभांशु शुक्ला Axiom-4 (Ax-4) मिशन के ग्रुप कैप्टन हैं. वह दो हफ्तों तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में रहेंगे. यह भारत के लिए एक बड़ा कदम है, लेकिन शुभांशु और उनके परिवार के लिए भी एक नया अध्याय है. टाइम्स ऑफ इंडिया से खास बातचीत में उनकी पत्नी कामना ने बताया कि शुभांशु का अंतरिक्ष में जाने का सपना 2020 में शुरू हुआ था.
उन्होंने कहा कि गगनयान मिशन के लिए टेस्ट पायलट होना जरूरी था, और टेस्ट पायलट का बहुत छोटा ग्रुप होता है. उन्हें खुशी थी कि जो भी चुना जाएगा, वह हमारा जानने वाला होगा. अब वो छोटी सी बात एक बड़ी सच्चाई बन गई है.
शुभांशु के लिए अनुशासन है जरूर
कामना बताया कि घर पर शुभांशु कितने अनुशासित हैं. उन्होंने बताया कि शुभांशु को वर्कआउट करना, नॉन-फिक्शन किताबें पढ़ना, और उनके छह साल के बेटे सिड के साथ मस्ती करना बहुत पसंद है. लेकिन अगर उनकी हिम्मत की बात करें, तो उन्होंने बहुत बड़े फैसले लिए हैं. उन्होंने फाइटर पायलट की सुरक्षित जिंदगी छोड़ी और अंतरिक्ष की अनजान दुनिया में कदम रखा.
बचपन का निकनेम है 'Shux'
कामना ने बताया कि शुभांशु को बचपन से ‘Shux’ निकनेम से जाना जाता है. बचपन में उन्हें 'गुंजन' कहकर भी पुकारा जाता था. कामना का कहना है कि वह बहुत साहस वाले हैं. उनमें कभी हार न मानने वाला एटीट्यूड है. वह अक्सर ‘Finding Nemo’ फिल्म की डोरी का डायलॉग दोहराते हैं- ‘बस तैरते रहो.’ चाहे कोई मुश्किल हो, वह समाधान पर ध्यान देते हैं.
दोस्त से बढ़कर है AX-4 की टीम
कामना का कहना है कि AX-4 मिशन की टीम शुभांशु की सिर्फ साथी नहीं है, वे ‘दोस्त से बढ़कर’ बन गए हैं. कामना कहती हैं कि उनका ये अनुभव उन्हें जिंदगीभर के लिए एक-दूसरे से जोड़ कर रखेगा. उन्होंने ये भी कहा कि टीम के बाकी लोग उनके बेटे सिड को भी बहुत चाहते हैं.
स्कूल से साथ हैं दोनों
कामना और शुभांशु की कहानी स्कूल से शुरू हुई थी, जब वे तीसरी क्लास में साथ पढ़ते थे. कामना कहती है कि वह शुभांशु को बचपन से जानती हैं. वे दोनों बेस्ट फ्रेंड थे. शुभांशु क्लास के शर्मीले लड़के हुआ करते थे और आज लाखों लोगों के लिए प्रेरणा हैं. लेकिन एक अंतरिक्ष यात्री की पत्नी होना आसान नहीं है. क्योंकि पति-पत्नी साथ में बहुत कुछ करना मिस कर देते हैं. जैसे शुभांशु को अपने बेटे सिड का बचपन मिस करना बहुत तकलीफ देता है.
लेकिन उन्हें भरोसा है कि सिड जब बड़ा होगा तो उसे अपने पिता पर गर्व होगा. कामना के लिए ये लॉन्च एक और टेक-ऑफ जैसा है, जैसे फाइटर पायलट के समय होता था. वह कभी उनके टेक-ऑफ देखने नहीं गईं. उनका कहना है कि 'आंखों से दूर, दिल से दूर,' यही उनका तरीका है. लॉन्च के बारे में उन्होंने ज्यादा नहीं सोचा. वह बस शुक्रगुजार हैं.