Sonia Gandhi and Rahul Gandhi
Sonia Gandhi and Rahul Gandhi नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत कई नेताओं के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 988 करोड़ रुपए के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चार्जशीट दाखिल किया है. मामले की सुनवाई 25 अप्रैल को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में होगी. कोर्ट ने ईडी से मामले की केस डायरी मांगी है. चलिए आपको नेशनल हेराल्ड अखबार के बारे में बताते हैं.
कैसे हुई थी नेशनल हेराल्ड अखबार की शुरुआत?
जिस नेशनल हेराल्ड केस में राहुल गांधी और सोनिया गांधी के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई है, उस अखबार की शुरुआत जवाहर लाल नेहरू ने की थी. साल 1938 में नेहरू ने 5 हजार स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर नेशनल हेराल्ड अखबार की शुरुआत की थी. इस अखबार का प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL) करता था.
3 भाषाओं में होता था प्रकाशन-
इस अखबार का प्रकाशन तीन भाषाओं में होता था. अंग्रेजी में इसके संस्करण को नेशनल हेराल्ड नाम दिया गया था. जबकि हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज के नाम से प्रकाशित होता था. आजादी के बाद ये अखबार कांग्रेस का मुखपत्र बन गया. लेकिन धीरे-धीरे इसकी आर्थिक हालत खराब होती चली गई. कांग्रेस ने कर्ज देकर इस अखबार को बचाने की कोशिश की. लेकिन इसके बावजूद अखबार का प्रकाशन बंद करना पड़ा. साल 2008 में ये अखबार बंद हो गया.
AJL का अधिग्रहण, फिर विवाद-
साल 2010 में यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (YIL) नाम का संगठन बना. इस संगठन ने AJL का अधिग्रहण कर लिया. आपको बता दें कि एजेएल ही नेशनल हेराल्ड अखबार निकालता था. वाईआईएल के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में सोनिया गांधी और राहुल गांधी शामिल थे. इसके अलावा इसमें मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज का नाम भी था. हालांकि इन दोनों नेताओं का निधन हो चुका है. YIL में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की हिस्सेदारी 76 फीसदी है. जब YIL ने AJL का अधिग्रहण किया तो कांग्रेस ने 90 करोड़ रुपए लोन को YIL को ट्रांसफर कर दिया.
कांग्रेस के लोन के बदले में एजेएल ने वाईआईएल को 9 करोड़ शेयर दिए. इसके बाद कांग्रेस ने एजेएल का 90 करोड़ का लोन माफ कर दिया. इसी सौदे को लेकर सवाल उठ रहे हैं और अब मामला कोर्ट में पहुंच गया है.
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