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अयोध्या की धूल माथे पर लगा 42 किमी के सफर पर निकले लाखों श्रद्धालु, चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा मुस्तैद

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में शुक्रवार को अक्षय नवमी की बेला होते ही श्रद्धालुओं की भीड़ जुट गई. सभी ने अयोध्या की धूल माथे पर लगा कर 14 कोसी परिक्रमा उठाई. और थोड़ी ही देर में 42 किलोमीटर लंबा परिक्रमा मार्ग श्रद्धालुओं से भर गया. यह परिक्रमा राम जन्मभूमि मंदिर के 14 कोस की परिधि में की जाती है. कहा जाता है कि अक्षय नवमी के दिन जो अयोध्या की 14 कोस की परिक्रमा करते हैं उन्हें अत्यधिक पुण्य की प्राप्ति होती है.

अयोध्या में शुरू हुई 14 कोसी परिक्रमा अयोध्या में शुरू हुई 14 कोसी परिक्रमा
हाइलाइट्स
  • अयोध्या में होती हैं तीन परिक्रमाएं

  • जानिए 14, 5 और 84 कोसी की परिक्रमा का महत्व

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में शुक्रवार को अक्षय नवमी की बेला होते ही श्रद्धालुओं की भीड़ जुट गई. सभी ने अयोध्या की धूल माथे पर लगा कर 14 कोसी परिक्रमा उठाई. और थोड़ी ही देर में 42 किलोमीटर लंबा परिक्रमा मार्ग श्रद्धालुओं से भर गया. 

यह परिक्रमा राम जन्मभूमि मंदिर के 14 कोस की परिधि में की जाती है. कहा जाता है कि अक्षय नवमी के दिन जो अयोध्या की 14 कोस की परिक्रमा करते हैं उन्हें अत्यधिक पुण्य की प्राप्ति होती है. इसलिए दिल में आस्था और भक्ति की भावना लिए श्रद्धालु परिक्रमा कर रहे हैं. 

कोविड-19 संक्रमण के बाद इस बार श्रद्धालुओं की भीड़ बहुत ज्यादा है. पहले से ही उम्मीद थी कि इस बार लाखों की संख्या में श्रद्धालु आयेंगे. जिस कारण जिला पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हुए हैं. शुक्रवार की सुबह 10:22 मिनट पर परिक्रमा शुरू हुई. श्रद्धालुओं ने सरयू में अदनान पूजन कर अक्षय नवमी की शुभ बेला होते ही अयोध्या की धरती को प्रणाम कर अपनी परिक्रमा शुरू की. 

तीन परिक्रमाओं का है महत्व: 

अयोध्या में परिक्रमा का बहुत महत्व है. यहां तीन तरह की परिक्रमा होती है- 14 कोसी, 5 कोसी और 84 कोसी. तीनों परिक्रमाओं को अलग-अलग समय पर किया जाता है. तीनों परिक्रमाओं को करने का अलग-अलग महत्व और पुण्य है. इस बारे में रामभूमि के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने बताया कि 14 कोसी परिक्रमा अक्षय नवमी के दिन की जाती है. 

इस परिक्रमा को करने से मनुष्य के पाप खत्म होते हैं और उसे भगवान का सान्निध्य प्राप्त होता है. इस परिक्रमा में हर पग के साथ मनुष्य के पाप क्षीण होते हैं. और पुण्य बढ़ते हैं. वहीं, 5 कोसी परिक्रमा देवोत्थानी एकादशी के दिन की जाती है. इस दिन तुलसी विवाह होता है और बहुत से लोग व्रत करते हैं. इस परिक्रमा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. 

सत्येंद्र नाथ आगे बताते हैं कि 84 कोसी परिक्रमा चैत पूर्णिमा से होती है. यह कई दिनों तक चलती है. इस परिक्रमा का महत्व बहुत ज्यादा होता है क्योंकि इसे करने से मनुष्य 84 लाख योनियों के बंधन से मुक्त हो जाता है. इससे मनुष्य को भगवान के परमधाम की प्राप्ति होती है. 

विदेशों से भी आते हैं श्रद्धालु: 

अयोध्या में परिक्रमा करने का इतना ज्यादा महत्व है कि सिर्फ उत्तर प्रदेश या देश के दूसरे राज्यों से नहीं बल्कि विदेशों भी श्रद्धालु परिक्रमा के लिए आते हैं. क्योंकि अयोध्या में परिक्रमा की मान्यता देश-विदेश में फैली हुई है. अलग-अलग स्थानों से आने वाले संतों के साथ-साथ आम लोग भी भारी संख्या में यह परिक्रमा करते हैं. 

किए गए हैं सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम:

परिक्रमा में भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने अयोध्या में सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए हैं. शहर को सेक्टर और जोन में बांटा गया है. मौके की संवेदनशीलता को देखते हुए पीएससी, आरएएफ की भी तैनाती की गई है. 

सर्किल अफसर राजेश राय ने बताया कि सभी वरिष्ठ अधिकारियों के दिशा-निर्देशन में सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं. हर 100 मीटर पर फोर्स के साथ सारी सुरक्षा व्यवस्था की गई है. इसके अलावा दूरबीन और वॉचटावर से निगाह रखी जा रही है.