

समस्तीपुर रेल मंडल के बापूधाम मोतिहारी से महात्मा गांधी द्वारा चंपारण सत्याग्रह शुरू किया गया था. जिस तरह से बापू मुजफ्फरपुर से मोतिहारी ट्रेन से पहुंचे थे ठीक उसी तरह उन्हीं की याद में रेलमंडल ने एक स्पेशल ट्रेन चलाने का निर्णय लिया है. इस ट्रेन को अनोखे अंदाज में सजाया गया है. ट्रेन के बोगियों के अंदर महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह से जुड़ी तस्वीरों को लगाया गया है.
बता दें कि रेलवे आज़ादी के 75वें अमृत महोत्सव पर आइकॉनिक वीक मना रहा है. जिसमे आज़ादी से जुड़े कार्यक्रमों को आयोजित किया जा रहा है. इसी कड़ी में समस्तीपुर रेलमंडल ने महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह पर एक स्पेशल ट्रेन चलाने का निर्णय लिया था. इस ट्रेन को 23 जुलाई को मुजफ्फरपुर स्टेशन से सुबह 7 बजे हरी झंडी दिखाकर बापूधाम मोतिहारी के लिए रवाना किया गया है. ट्रेन को महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह से जुड़ी तस्वीरों के माध्यम से ट्रेन के अंदर यादों को ताज़ा करने की कोशिश की गई है. ट्रेन में महात्मा गांधी के स्लोगन आदि को भी लगाया गया है. खास बात यह है कि ट्रेन के बाहरी हिस्से को तिरंगा का खूबसूरत रूप दिया गया है.
बापूधाम मोतिहारी के लिए चली है ट्रेन
समस्तीपुर रेलमंडल ने अमृत महोत्सव के समापन के दिन 23 जुलाई को महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह की यादों से जुड़ी ट्रेन को मुजफ्फरपुर स्टेशन से 7 बजे बापूधाम मोतिहारी स्टेशन के लिए रवाना किया है. यह ट्रेन मोतिहारी स्टेशन तक गई है. मोतिहारी स्टेशन पहुंचने के बाद इसे प्रदर्शनी के रूप में 45 मिनट तक रखा जाएगा. मोतिहारी स्टेशन पर इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. जिसमें समस्तीपुर के डीआरएम आलोक अग्रवाल के साथ अधिकारियों की टीम शिरकत करेंगे. इस चंपारण सत्याग्रह के याद को ताजा करने में स्वतंत्रता सेनानी और उनके परिजन भी उपस्थित रहेंगे.
1917 में महात्मा गांधी चंपारण सत्याग्रह में आए थे
बताते चलें, आज़ादी के स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी का चंपारण सत्याग्रह एक महत्वपूर्ण स्थान था जो समस्तीपुर रेलमंडल के मोतिहारी स्टेशन से जुड़ा हुआ है. महात्मा गांधी 10 अप्रैल 1917 को बिहार आये थे. पटना से बापू अगले दिन मुजफ्फरपुर पहुंचे थे. यहीं पर डॉ राजेन्द्र प्रसाद से उनकी पहली मुलाकात हुई थी. महात्मा गांधी कमिश्नर से इजाजत नही मिलने के बावजूद ट्रेन से चंपारण की धरती पर 15 अप्रैल 1917 को कदम रखें थे. यहां बापू को किसानों का भरपूर सहयोग मिला और अहिंसक तरीके से उन्होंने लड़ाई लड़ी. इसलिए आज़ादी के अमृत महोत्सव में चंपारण के मोतिहारी स्टेशन का काफी महत्व है.
(जहांगीर आलम की रिपोर्ट)