
दिल्ली और मुंबई में ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (BBC) के दिल्ली और मुंबई दफ्तर पर आयकर (IT) विभाग के सर्वे की खबर है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीबीसी के दफ्तर को सील कर दिया गया है. साथ ही कर्मचारियों के फोन जब्त कर लिए गए हैं. हालांकि, पहले खबर थी कि ये आईटी की छापेमारी थी लेकिन बाद में सामने आया कि यह "सर्वेक्षण" है. चलिए जानते हैं कि आखिर आईटी का सर्वे और छापा किस तरह से एक दूसरे से अलग है?
आईटी का सर्वे क्या है?
टैक्स अधिकारी छिपी या अघोषित आय और संपत्ति का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण करते हैं. यहां, मुख्य फोकस होता है किसी भी छिपी हुई या नई सूचना को इकठ्ठा करना. एक सर्वेक्षण में यह भी पता लगाया जाता है कि किसी व्यक्ति या बिजनेस ने अपने अकाउंट की बुक को ठीक से बनाए रखा है या नहीं. यह आईटी की 1961 की धारा 133ए के अंदर आता है. आईटी एक्ट में इसे 1964 में डाला गया था.
आईटी का सर्च ऑपरेशन या छापा क्या है?
वहीं, अगर रेड की बात करें यानि सर्च ऑपरेशन की तो ये टैक्स चोरी के मामलों में छिपी हुई आय या संपत्ति का पता लगाने के लिए बिल्डिंग, बिजनेस के स्थानों और उससे जुडी दूसरी जगहों पर तलाशी ली जाती है. अधिकारियों के पास उन दस्तावेजों, संपत्तियों, बुलियन आदि को जब्त करने की अनुमति भी होती है, जिन्हें टैक्स अधिकारियों से छिपाया गया है. इसीलिए ही इसे “सर्च और सीजर” ऑपरेशन भी कहा जाता है. आम बोलचाल की भाषा में हम उसे "छापा" भी कहते हैं. हालांकि, 1961 के I-T एक्ट में ऐसा कोई शब्द मौजूद नहीं है. I-T एक्ट की धारा 132 के तहत सर्च ऑपरेशन किया जाता है.
किस तरह सर्वे अलग है सर्च से?
बताते चलें कि सर्वे एक तरह से सर्च ऑपरेशन का ही छोटा रूप है. सर्वेक्षणों का मुख्य उद्देश्य जानकारी प्राप्त करना होता है. वहीं सर्च और सीजर (search and seizure) के दौरान, मुख्य उद्देश्य बेहिसाब संपत्ति और ऐसे ट्रांजेक्शन के रिकॉर्ड का पता लगाना होता है.
-सर्वे केवल उस समय किया जा सकता है जब बिजनेस ऑपरेट हो रहा हो. वहीं, सर्च या जिसे हम रेड कहते हैं वो किसी भी समय की जा सकती है.
-सर्वे केवल उसी स्थान पर हो सकता है जहां से व्यवसाय या पेशा किया जाता है. वहीं सर्च ऑपरेशन में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं होता है.
-"सर्च ऑपरेशन को दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (Code of Criminal Procedure) के प्रावधानों द्वारा नियंत्रित किया जाता है. इसमें छापा मारने वालों के पास सभी तरह की शक्ति होती है. इतना ही नहीं अगर सामने वाली पार्टी सहयोग नहीं कर रही है तो टैक्स अधिकारी बाहरी या आंतरिक दरवाजे या खिड़की को खोलने की अनुमति दे सकते हैं. ताकि कैंपस तक पहुंचा जा सके साथ ही इसके लिए सर्च वारंट की भी जरूरत होती है.
2002 फाइनेंस एक्ट में हुआ था संशोधन
गौरतलब है कि 2002 के फाइनेंस एक्ट से पहले, अधिकारियों के पास सर्वे के दौरान किसी भी संपत्ति को जब्त करने की शक्ति नहीं थी. हालांकि, कुछ साल बाद इसमें संशोधन हुआ और अधिकारियों को शक्तियां दी गईं. अब सर्वे के दौरान पुस्तकों और दस्तावेजों को जब्त किया जा सकता है. हालांकि, इसमें कुछ जरूरी नियम भी होते हैं. जैसे चीफ कमिश्नर, कमिश्नर, डायरेक्टर जनरल या डायरेक्टर की अनुमति के बिना दस दिनों से ज्यादा समय तक इन दस्तावेजों को नहीं रखा जा सकता.