
बिहार में 2 अक्टूबर को जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट जारी की गई थी. अब 7 नवंबर को इसी जनगणना से जुड़े आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट जारी हुई है. इसमें अलग-अलग वर्गों का न केवल आर्थिक विश्लेषण किया गया है बल्कि सर्वे के आधार पर उनकी आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति भी दर्शाई गई है. मंगलवार को विधानसभा में हंगामे के बीच नीतीश सरकार ने सर्वे रिपोर्ट पेश की.
रिपोर्ट ने सरकार को सोचने पर किया मजबूर
जनगणना के आंकड़े जारी करने के बाद से पिछड़ी जातियों का आरक्षण बढ़ाने की मांग उठने लगी थी. अब आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट ने सरकार को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है. इस रिपोर्ट में सामने आया है कि सामान्य वर्ग में हिंदू की चार और मुसलमानों की तीन जातियों में सबसे खराब हाल भूमिहारों का है.
सामान्य वर्ग में 25.9 फीसदी परिवार हैं गरीब
भूमिहारों में 27.58 प्रतिशत परिवार गरीब हैं. ब्रह्मणों में 25.32 फीसदी परिवार गरीब हैं जबकि राजपूतों में गरीबी की बात करें तो 24.89 फीसदी गरीब परिवार हैं. 13.83 फीसदी कायस्थ परिवार गरीब हैं तो वहीं शेख में 25.84 फीसदी, पठान (खान) में 22 .20 फीसदी, सैयद में 17.61 फीसदी गरीब परिवार हैं. कुल मिलाकर सामान्य वर्ग में 25.9 फीसदी परिवार गरीब हैं. मालूम हो कि बिहार में जातिगत गणना रिपोर्ट आने के बाद सवर्णों की दो बड़ी जातियां ब्राह्मण और ठाकुर यानी राजपूत में राजनीतिक भागीदारी को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं.
बिहार में राजपूत की आबादी 3.45 प्रतिशत
बिहार की नीतीश सरकार ने 2 अक्टूबर 2023 को जातिगत सर्वे रिपोर्ट के आंकड़े जारी किए थे. इसके अनुसार, बिहार में राजपूत की आबादी 3.45 प्रतिशत, भूमिहार 2.86 प्रतिशत, कायस्थ 0.60 प्रतिशत और ब्राह्मण 3.65 फीसदी है. चारों अगड़ी जातियों की आबादी इकाई में ही है. यदि लोकसभा में जातियों के आधार पर भागीदारी की बात करें तो देखेंगे कि सवर्णों में आने वाली जातियां राजपूत के 7, भूमिहार के 3, ब्राह्मण के 2, अति पिछड़ा वर्ग के 7, एससी वर्ग से 6, यादव जाति से 5, कुशवाहा से 3, वैश्य से 3, कुर्मी और कायस्थ 1-1 और 2 मुस्लिम सांसद चुन कर आए हैं.
ओबीसी कैटेगरी के 33.16 फीसदी परिवार गरीब
ओबीसी कैटिगरी के 33.16 प्रतिशत परिवार गरीब हैं. जातीय जनगणना के मुताबिक, बिहार में ओबीसी की आबादी 27 प्रतिशत है. अति पिछड़ा वर्ग यानी ईबीसी के 33.58 परिवार गरीब हैं. अति पिछड़ा वर्ग ऐसी कैटिगरी है, जिनके पास खेती योग्य जमीन नहीं है. अनुसूचित जातियों में 42.70 प्रतिशत परिवार गरीब हैं. अन्य जातियों में 23.72 प्रतिशत परिवार गरीबी रेखा के नीचे हैं.
छह हजार से कम आय वाले माने गए हैं गरीब
बिहार में सामने आए आर्थिक आंकड़ों के मुताबिक जिन परिवारों की आय छह हजार रुपए से कम है, उन्हें गरीब माना गया है. इसके आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदेश की एक बड़ी आबादी गरीब है. बिहार में सभी जातियों के परिवारों की कुल संख्या 2,76,68,930 है. इनमें से कुल गरीब परिवारों की संख्या 94,42,786 है. यह कुल संख्या का 34.13 फीसदी है. वहीं, 6000 रुपए से 10 हजार रुपए तक की मासिक आय वालों की संख्या 81,91,390 है.
यह कुल संख्या का 29.61 फीसदी है. 10 हजार रुपए से 20 हजार रुपए मासिक आय वालों की संख्या 49,97,142 है. यह कुल संख्या का 18.06 फीसदी है. प्रदेश में महीने में 20 हजार रुपए से 50 हजार रुपए तक कमाने वाले परिवारों की संख्या 27,20,870 है. यह कुल संख्या का 9.83 फीसदी है. 50 हजार रुपए से अधिक मासिक आय वाले परिवारों की संख्या 10,79,466 है. यह कुल संख्या का 3.90 फीसदी है. प्रदेश में कुछ ऐसे भी परिवार हैं, जिन्होंने अपनी आय की जानकारी सार्वजनिक नहीं की है. ऐसे परिवारों की संख्या 12,37,276 है. यह कुल संख्या का 4.47 फीसदी है.
45 लाख लोग दूसरे राज्य या विदेश में कर रहे काम
बिहार की 13 करोड़ 7 लाख की आबादी में मात्र 3.50 प्रतिशत लोग दूसरे राज्यों में काम कर रहे हैं. विदेश में काम करने वाले 0.17 फीसदी हैं. दूसरे राज्य में काम करने वालों की संख्या 45,78,669 है. विदेश में काम करने वाले 21,7,499 हैं. प्रदेश के अंदर अपने मूल निवास स्थान से दूसरी शहर या जगह पर काम करने वालों की संख्या 15,89,000 है. यह कुल आबादी का 1.22 फीसदी है. बिहार में आंकड़े बताते हैं कि 13 करोड़ की कुल आबादी में से 5,52000 छात्र पढ़ने के लिए दूसरे राज्यों में गए हैं. विदेश जाने वालों की संख्या 23,738 है.
सरकारी नौकरी लेने में कौन है किस पोजीशन पर
बिहार में यदि सामान्य वर्ग की बात करें तो सामान्य वर्ग के पास 6 लाख 41 हजार 281 लोगों को सरकारी नौकरी है. अब जरा जातिगत देखें तो जातियों में भूमिहार जाति के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 1 लाख 87 हजार 256 हो जो कि 4.99 फीसदी है. ब्राह्मण जाति के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 1 लाख 72 हजार 259 है जो कि 3.60 फीसदी है. राजपूत जाति के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 1 लाख 71 हजार 933 है जो कि 3.81 फीसदी है.
कायस्थ जाति के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 52 हजार 490 है और उनकी संख्या 6.68 फीसदी है. सामान्य वर्ग में ही शेख जाति के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 39 हजार 595 (संख्या में) जबकि 0.79 प्रतिशत है. पठान जाति के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 10 हजार 517 है जो कि 1.07 फीसदी है. सैयद जाति के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 7 हजार 231 जबक उनका प्रतिशत 2.42 है.
यादव में 1.55 फीसदी सरकारी नौकरी में
कुर्मी जाति में संख्या के अनुसार सारकारी नौकरी में 3.11 फीसदी हिस्सेदारी, कुशवाहा में 2.04 फीसदी, यादव में 1.55 फीसदी, बनिया में 1.96 फीसदी, दुसाध में 1.44 फीसदी हैं. संथालों की संख्या 5 हजार 519 में 0.96 फीसदी सरकारी नौकरी, गोंड की 8 हजार 401 संख्या में 1.59 फीसदी, उरांव में 2 हजार 120 संख्या में 1.06 फीसदी, थारू में 3 हजार 128 संख्या में 1.63 फीसदी सरकारी नौकरी में है. चमार में सरकारी नौकरी 1.20 फीसदी, मुसहर में 0.26 फीसदी, धोबी की 34 हजार 372 जनसंख्या में 3.14 फीसदी के पास सरकारी नौकरी है.
7% आबादी के पास ग्रेजुएट की शिक्षा
बिहार की 22.67% आबादी के पास कक्षा 1 से 5 तक की शिक्षा है. 14.33% आबादी के पास कक्षा 6 से 8 तक की शिक्षा है. 14.71% आबादी के पास और कक्षा 9 से 10 तक की शिक्षा है. वहीं 9.19% आबादी के पास कक्षा 11 से 12 तक की शिक्षा है. 7% से ज्यादा आबादी के पास ग्रेजुएट की शिक्षा है.